Tulsidas ke guru Kaun the

Tulsidas ke guru Kaun the:-साथियों! आज के इस लेख में हम जानेंगे की Goswami Tulsidas ke guru Kaun the, Goswami Tulsidas Kaun the और उन्होंने कौन सी रचनाएं की थी? यदि आप इस प्रश्न का उत्तर जानना चाहते हैं तो आप इसे शुरू से अंत तक पढ़ें । Tulsidas

Tulsidas ke guru Kaun the

Tulsidas ke guru Kaun the?

तुलसीदास के गुरु नरहरी या नरहरीदास थे । नरहरीदास जी का जन्म उत्तर प्रदेश में रायबरेली जिले के पखरौली गाँव में हुआ था । इनका संपर्क हुमायूँ, शेरशाह और सलीमशाह आदि शासकों का था ।Tulsidas

आपको बताते चलें की नरहरी दास जी को सबसे ज्यादा सम्मान अकबर से मिला था । नरहरी दास जी के तीन रुक्मिणी मंगल, छप्पय नीति, कवित्त संग्रह । लेकिन इसमें रुक्मिणी मंगल ही उपलब्ध है । इसके अलावा कुछ फुटकल रचनाएं भी उपलब्ध हैं ।Tulsidas

गोस्वामी तुलसीदास जी

हिन्दी साहित्य के महान कवि और संत तथा राम चरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी बाल्मीकि जी का अवतार भी माने जाते हैं । कुछ लोग तुलसीदास जी का जन्म स्थान एटा को मानते हैं और कुछ लोग चित्रकूट को मानते हैं ।

गोस्वामी तुलसीदास जी रामबोला के नाम से मशहूर थे लेकिन नरहरी दास जी ने इनको ढूंढ निकाला और इनका नाम तुलसीराम रखा ।Tulsidas

संवत 1631 में तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना प्रारंभ किए । रामचरित मानस को यह अद्भुत ग्रंथ दो वर्ष सात महीने और छब्बीस दिन में पूरा हुआ । सबसे बड़ी बात यह है की जिस दिन रामचरित मानस की रचना शुरू हुई ठीक उसी दिन त्रेता युग में राम जी का जन्म था और रामचरित के सातों कांड संवत 1633 में राम विवाह के दिन पूरे हो गए । Tulsidas

तुलसीदास जी की पत्नी का नाम रत्नवाली था । ये अपनी पत्नी से अत्यधिक प्रेम करते थे । एक दिन उनकी पत्नी मायके चली गई लेकिन पत्नी के अतिशय लगाव से ये भी उनके पीछे पीछे चल दिए । कहा जाता है की ये रात में एक लटके हुए सांप को रस्सी समझकर पीछे के रास्ते घर में घुस गए ।Tulsidas

तुलसीदास जी की यह दशा देखकर उनकी पत्नी उनसे बहुत दुखी हुईं और उनको धिक्कारते हुए बोलीं “जितना तुम इस हाड़ मांस वाले शरीर से करते हो उसका आधा प्रेम भी तुम भगवान से कर लेते तो तुम्हारा कल्याण हो जाता । इस बात ने तुलसीदास जी के अंदर वैराग्य उत्पन्न कर दिया और ये प्रयाग आ गए ।Tulsidas

आखिर नरहरी दास जी ने तुलसीदास को अपना शिष्य क्यों बनाया?

तुलसीदास जी को बचपन में रामबोला लोग बोलते थे ।ये बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे और ये बचपन में ही लोकप्रिय हो चुके थे । नरहरी बाबा ने इनको खोज निकाला और इनका नाम तुलसीराम रखा । इसके बाद ये इनको अयोध्या ले गए और इनका यज्ञोंपवित संस्कार कराया । हर एक गुरु को एक अच्छे शिष्य की तलाश होती है ।Tulsidas

चाणक्य ने चंद्रगुप्त के अंदर एक राजा का रूप देखा और अपना शिष्य बनाया । वैसे ही नरहरी बाबा ने तुलसीदास में वो योग्यता देखे जिससे इतिहास बदलने की क्षमता थी । जब भी एक योग्य गुरु और एक योग्य शिष्य का मिलन होता है तो इतिहास करवट लेता है और एक ऐसी गूंज निकलती है जिससे असंख्य कानों को सुकून मिलता है । इतिहास बदलता है ।

आप इतिहास उठाकर देखें हर काल में ऐसे ही हुआ जब भी इतिहास बदलना होता है तो गुरु और शिष्य का अद्भुत मिलन होता है ।Tulsidas

गोस्वामी तुलसीदास को गायत्री मंत्र का स्पष्ट उच्चारण आता था इस ज्ञान को देखकर लोग चकित हो जाते थे ।

Tulsidas ke diksha guru Kaun the?

नरहरीदास ही इनके दीक्षा गुरु थे । इनको ये अयोध्या ले गए । विधि-विधान से यज्ञोंपवित संस्कार किया और राम मंत्र की दीक्षा दिए । शुकर क्षेत्र में इनको इनके गुरु ने राम कथा सुनाई । लेकिन माया का पर्दा इनके ऊपर तभी लगा था जिसके कारण इनको राम कथा बहुत समझ में नहीं आया ।

लेकिन जब वक्त ने समझाया तो इनके जीवन का कल्याण हुआ और वही कल्याण पूरे यूनिवर्स को पवित्र कर दिया । ये कोई आम घटना नहीं थी । एक ऐसी घटना जो युगों युगों तक अस्तित्व में रहेगी और लोग इससे लाभान्वित होते रहेंगे ।

रामायण के रचयिता महर्षि बाल्मीकि जी थे जिनका बचपन का नाम रत्नाकर था । बुद्ध का सबसे पहले उल्लेख रामायण में हुआ यही और इन्हें चोर कहा गया है । जयगोविंद में बुद्ध को ‘विष्णु का अवतार’ कहा गया है । रामायण का मूल रूप चौथी शताब्दी में और अंतिम रूप द्वितीय शताब्दी ईस्वी में लिखा गया था ।

इसका काल निर्धारण विंटरनिट्स ने किया था । रामायण में यवन और शक जातियों का उल्लेख हुआ है । इसमें 24000 श्लोक हैं । इस लिए इसको चतुर्विशतिशहस्री संहिता भी कहा जाता है । रामायण महाभारत से पहले लिखा गया था ।

आज आपने क्या सीखा?

Important Gyan men आज इस लेख के माध्यम से हमने आपको यह बताने का प्रयास किया है की Goswami Tulsidas ke guru Kaun the और रामचरित मानस की रचना किसने किया था ।

साथियों अगर आप लोगों को यह लेख पसंद आया होगा तो जरूर हमें कमेन्ट में लिखकर बताएं ।

प्रश्न:-रामचरित मानस की रचना किसने किया था?

उत्तर:-गोस्वामी तुलसीदास जी ने किया था ।

प्रश्न:-गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना कब प्रारंभ किया था?

उत्तर:-संवत 1631 में शुरू हुआ था और 1633 ईस्वी में पूरा हुआ था ।

प्रश्न:-गोस्वामी तुलसीदास जी की अंतिम कृति कौन सी थी?

उत्तर:-विनय पत्रिका थी ।

प्रश्न:-वैराग्य संदीपनी किसकी रचना है?

उत्तर:- गोस्वामी तुलसीदास जी की रचना है ।

प्रश्न:-रामायण में कितने श्लोक हैं?

उत्तर:- 24000 श्लोक हैं ।

प्रश्न:- महर्षि बाल्मीकि के बचपन का क्या नाम था?

उत्तर:-रत्नाकर था ।

प्रश्न:-झूलना किसकी रचना है?

उत्तर:-गोस्वामी तुलसीदास जी की रचना है ।

प्रश्न:-गोस्वामी तुलसीदास के बारह ग्रंथों का उल्लेख ग्रीयर्सन ने कहा किया है?

उत्तर:-एनसैकलोपेडिया ऑफ रिलीजन एंड इथिकस में किया है ।

2 thoughts on “Tulsidas ke guru Kaun the”

  1. महोदय, आपके लेख मे यह स्पष्ट किया गया है कि बुद्ध का उल्लेख सबसे पहले, वाल्मीकि रचित रामायण मे किया गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि रामायण की रचना के पहले बुद्ध थे। आपने यह भी स्पष्ट किया है कि महाभारत की रचना रामायण की रचना के बाद किया गया है, जो कि चौथी शताब्दी ईस्वी मे किया गया है। आपके लेख मे यह भी स्पष्ट किया गया है कि गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरितमानस सत्रहवीं शताब्दी मे किया गया है। अगर आपके लेख से यह सुनिश्चित किया जाए कि, ये सभी ग्रन्थ इसी सदी मे लिखे गए, मेरा आशय है कि, बुद्ध के जीवन काल के बाद ही लिखे गए, तब फिर ऐसा क्यों कहा जाता है कि महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण 4000 से 5000 साल पहले लिखा गया।

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    • उत्तर देर में देने के लिए हम आप से माफी चाहते हैं । रामायण का मूल रूप चौथी शताब्दी में तथा अंतिम रूप द्वितीय शताब्दी ईस्वी में लिखा गया था । यह काल निर्धारण विंटरनिट्स महोदय ने किया है जिसको पूर्ण रूप से एतिहासिक रूप से स्वीकार कर लिया गया है ।
      बुद्ध का जन्म ईसा पूर्व 563 के लगभग हुआ था ।
      रामायण में शक और यवन जातियों का भी उल्लेख हुआ है

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