क्या बक्सर के युद्ध ने प्लासी के युद्ध पर मोहर लगा दिया Baksar ka yuddh kab hua
साथियों आज हम इस लेख में समझेंगे की बक्सर का युद्ध कब हुआ था, Battle of Buxar क्यों हुआ था, buxar war के क्या परिणाम हुए , प्लासी और बक्सर के युद्ध में आप किसे निर्णायक मानते हैं और क्यों?
Buxar war
आपको बता दें की बक्सर के युद्ध से पहले भी कुछ छोटे मोटे झगड़े अंग्रेजी कंपनी और मीरकासिम के बीच में हुए थे । इसमें मीरकासिम पराजित हुआ और निर्वासन की जिंदगी व्यतीत किया । Baksar ka yuddh kab hua
करवा का युद्ध 09 जुलाई 1763 ईस्वी में सम्पन्न हुआ जिसमें मीर कासिम को पराजय का मुंह देखना पड़ा । इसके बाद गिरिया का युद्ध हुआ 04 सितंबर 1763 ईस्वी में । इसमें भी मीरकासिम की पराजय हुई। फिर इसके बाद ऊधवनला का युद्ध 1763 ईस्वी में हुआ जिसमें मीरकासिम फिर पराजित हुआ । Baksar ka yuddh kab hua
इस प्रकार देखा जाए तो कंपनी और मीर कासिम के बीच इसी तरह के झड़पें 1763 से ही प्रारंभ हो गया था जिसमें लगातार मीरकासिम को बार बार हार खानी पड़ी । इसके बाद मीरकासिम भागते हुए अवध चला गया । Baksar ka yuddh kab hua
अवध में मीरकासिम ने एक योजना बनाया जिसमें अवध के नवाब शुजाऊदौला, दिल्ली के सम्राट शाहआलम द्वितीय शामिल थे । योजना थी अंग्रेजों को मार भगाने की । इन तीनों की एक संगठित सेना बनी । Baksar ka yuddh kab hua
Battle of Buxar 22 October 1764
साथियों! मीर कासिम और अंग्रेजों के बीच झगड़े तो 1763 ईस्वी से ही प्रारंभ हो गए थे लेकिन भटकते हुए मीरकासिम ने एक संगठन बनाकर अंग्रेजों से अंतिम लोहा लेने के लिए ठान ही लिया ।
मीरकासिम की सेना में 40 से 50 हजार के बीच में सैनिक थे । कंपनी की सेना में लगभग 7027 सैनिक ही थे । इसकी कमान मेजर मनरों सम्हाले हुए था।
दोनों सेनाओं के मध्य घमासान युद्ध हुआ लेकिन जीत आखिर में अंग्रेजों की हुई । हम मानते हैं की प्लासी का युद्ध एक विश्वासघात का युद्ध था जिसे अपनों ने ही ही किया लेकिन यहाँ तो रणकौशल ही देखा गया । आखिर बक्सर के जीत ने प्लासी के निर्णयों पर मुहर लगा दी ।
अब अंग्रेजों को टक्कर देने वाला भारत में कोई नहीं बचा था ।
प्लासी और बक्सर के युद्ध में आप किसे निर्णायक मानते हैं और क्यों?
यहाँ पर देखा जाए तो बक्सर का युद्ध काफी निर्णायक साबित हुआ । अब अंग्रेज अबाधित शक्ति के मालिक बन गए । तत्कालीन भारतीय सेना की शक्ति का भी पूरा खेल समझ आ गया और अंग्रेजी सेना की श्रेष्ठता भी प्रमाणित हो गई । Baksar ka yuddh kab hua
बक्सर के युद्ध ने बंगाल, बिहार और ऑडिशा पर कंपनी का प्रभुत्व स्थापित कर दिया । सम्राट एक मात्र पेंशनर और अंग्रेजों का कृपापात्र बनकर रह गया । वहीं कुछ समय भटकने के बाद अवध का नवाब भी 1765 ईस्वी में कंपनी की शरण पकड़ लिया । इतिहासकारों ने इसको एक तरह से पूर्ण सैनिक विजय माना है । Baksar ka yuddh kab hua
हम देखें तो जहां प्लासी के विजय ने कंपनी को बंगाल का क्षेत्र ही दिया लेकिन बक्सर विजय ने अंग्रेजों को एक अखिल भारतीय शक्ति का रूप दे दिया ।
मीरकासिम के मृत्यु के बाद कंपनी ने उसके पुत्र नजमूदौला को अपने संरक्षण में ले लिया और बंगाल का नवाब बना दिया । अंग्रेजी संरक्षण प्राप्त बंगाल का प्रथम नवाब था लेकिन बंगाल का अंतिम नवाब मुबारकऊदौला था । संधि में नवाब को 53 लाख का वार्षिक पेंशन मिलना तय हुआ । लेकिन रक्षा व्यवस्था, सेना, वित्तीय मामले और बाहरी संबंधों पर पूर्ण नियंत्रण कंपनी ने अपने हाथ में कर लिया । Baksar ka yuddh kab hua
बक्सर की विजय ने अंग्रेजों को इतना शक्ति दे दिया की जब क्लाइब मई 1765 ईस्वी में दोबारा भारत आया तो उसने शाहआलम और शुजाऊदौला से संधि किया । Baksar ka yuddh kab hua
सम्राट शाहआलम से संधि
12 अगस्त 1765 ईस्वी में इलाहाबाद की प्रथम संधि भगोड़े सम्राट शाहआलम के साथ हुआ जिसमें इलाहाबाद और कारा के जिले सम्राट को मिले, कंपनी को बंगाल, बिहार, ऑडिशा की दीवानी स्थायी रूप से दे दिया गया और इसके बदले सम्राट को 26 लाख रुपया कंपनी देगी और निजामत के व्यय के लिए 53 लाख देगी । Baksar ka yuddh kab hua
अवध के साथ संधि
16 अगस्त 1765 ईस्वी में क्लाइब अवध के नवाब से मुलाकात किया और इलाहाबाद की दूसरी संधि सम्पन्न किया-
संधि की शर्तों के अनुसार नवाब इलाहाबाद और कारा के जिले सम्राट शाहआलम को दे दे, युद्ध की क्षतिपूर्ति हेतु कंपनी को 50 लाख रुपया दे, बनारस के जागीरदार बलवंत सिंह को उसकी जागीर लौटा दे । रक्षात्मक रूप में कंपनी की निःशुल्क सहायता कंपनी की नवाब करे । Baksar ka yuddh kab hua
इस तरह इसके बाद ही बंगाल में द्वेध शासन की शूरवात हो गई । अतः हर मामले में बक्सर का युद्ध कंपनी के लिए निर्णायक साबित हुआ । Baksar ka yuddh kab hua
Battle of Buxar क्यों प्रसिद्ध हुआ? Buxar War क्यों हुआ और इसका क्या महत्व था? Buxar ka yudh किसके बीच हुआ था और इसमें किसकी विजय हुई?
प्रश्न:-करवा का युद्ध कब हुआ था?
उत्तर:-09 जुलाई 1763 ईस्वी में ।
प्रश्न:-बक्सर का युद्ध कब हुआ था?
उत्तर:-बक्सर का युद्ध 23 अक्टूबर 1764 ईस्वी में हुआ था ।
प्रश्न:-गौरिया का युद्ध कब हुआ था?
उत्तर:-गौरिया का युद्ध 5 सितंबर 1763 ईस्वी में हुआ था ।
प्रश्न:-बक्सर के युद्ध में भारत के तरफ से कौन भाग लिया था?
उत्तर:-मीर कासिम, शाह आलम और शुजाऊदौला ने भाग लिया था ।
प्रश्न:-बक्सर के युद्ध में अंग्रेजों का नेतृत्व कौन कर रहा था?
उत्तर:-मेजर मुनरो कर रहा था ।
उत्तर:-नजमूदौला था ।
उत्तर:-मुबारकदौला था ।
प्रश्न:-कंपनी को बंगाल, बिहार और ऑडिशा की दीवानी किस युद्ध के बाद मिली?
उत्तर:-बक्सर के युद्ध के बाद मिली ।
प्रश्न:-इलाहाबाद और कारा के जिले शाह आलम को किस संधि में मिला ।
उत्तर:-इलाहाबाद संधि में ।
प्रश्न:-द्वेध शासन की शुरुवात भारत में किस युद्ध के बाद शुरू हुआ था?
उत्तर:-बक्सर युद्ध के बाद ।
प्रश्न:-द्वेध शासन का जनक किसको माना जाता है?
उत्तर:-लियो कार्टिस को माना जाता है ।
प्रश्न:-शाहआलम को कितना वार्षिक आय मिली दीवानी का अधिकार देने के बदले में?
उत्तर:-26 लाख वार्षिक आय ।
प्रश्न:-निजाम को कितना वार्षिक पेंशन मिला इलाहाबाद संधि में ?
उत्तर:-53 लाख
प्रश्न:-बक्सर का युद्ध निर्णायक क्यों था?
उत्तर:-बक्सर के युद्ध ने प्लासी के युद्ध पर मोहर लगा दी । कंपनी को दीवानी का अधिकार मिल गया, अब कंपनी एक क्षेत्रीय से ऊपर उठकर अखिल भारतीय शक्ति का रूप धारण कर चुकी थी, अब कंपनी का कोई दुश्मन नहीं रहा, नवाब और सम्राट कंपनी के आश्रित हो गए और इसी के बाद भारत में द्वेध शासन की शूरवात हुई ।
उत्तर:-नजमूदौला बना ।
प्रश्न:-बक्सर के युद्ध के समय मुगल सम्राट कौन था?
उत्तर:-शाहआलम द्वितीय ।
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Important Gyan के इस सीरीज में मैं आप लोगों को ये बताने का प्रयास किया कि Battle of Buxar कब हुआ था? मित्रों मुझे अपनी लेखनी को यहीं पर समाप्त करने का इजाजत दीजिये। Baksar ka yuddh kab hua
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