Simon commission Bharat kab Aaya

Simon commission Bharat kab Aaya

साथियों! आज हम जानेंगे की साइमन कमीशन क्या था, साइमन कमीशन का गठन कब हुआ था, साइमन कमीशन भारत कब पहुंचा, साइमन कमीशन के समय भारत का वायसराय कौन था, साइमन कमीशन ने अपनी रिपोर्ट कब प्रस्तुत की, साइमन कमीशन का उद्देश्य क्या था, साइमन कमीशन के समर्थक, साइमन कमीशन का भारतीयों ने विरोध क्यों किया, साइमन कमीशन वापस जाओ का नारा किसने दिया, साइमन कमीशन में कितने भारतीय सदस्य थे, साइमन कमीशन को भारत छोड़ने को क्यों कहा गया, जब साइमन कमीशन भारत भेजा गया तब ब्रिटेन का प्रधानमंत्री कौन था? आदि बातें ।

साइमन कमीशन क्या था?

साइमन कमीशन कुल 7 ब्रिटिश सांसदों का समूह था । आपको बता दें की 1927 ईस्वी में अनुदारवादी ब्रिटिश सरकार को इस बात का आभास हुआ की आगामी चुनाव में मजदूर दल के हाथों में उसकी पराजय हो सकती है, अतः इस बात को देखते हुए इसने सोचा की ब्रिटिश साम्राज्य के अहम मसले को अनुभवहीन श्रमिक दल के भरोसे नहीं छोड़ सकते हैं इसलिए एकाएक एक विधायी आयोग बनाया गया जिसे साइमन कमीशन कहा गया । Simon commission

साइमन कमीशन का गठन कब हुआ था?

साइमन कमीशन का गठन 08 नवंबर 1927 ईस्वी में किया गया था । आपको बता दें की 1919 के भारत शासन अधिनियम में इस बात का जिक्र किया गया था की अधिनियम के पारित होने के 10 वर्ष पश्चात एक संवैधानिक आयोग की नियुक्ति की जाएगी जो इस बात की जांच करेगा अधिनियम व्यवहार में कहाँ तक प्रगति हुई । Simon commission Important Gyan

साइमन कमीशन का उद्देश्य क्या था?

साइमन कमीशन का उद्देश्य भारत में संविधान सुधारों के अध्ययन के लिए किया गया था । इसका मुख्य कार्य मांटेग्यू सुधारों की प्रगति की जांच करना । Simon commission

साइमन कमीशन भारत कब पहुंचा?

साइमन कमीशन भारत 08 फरवरी को पहुंचा । इसका आगमन मुंबई में हुआ था । इस दिन पूरे मुंबई में हड़ताल का आयोजन बड़े पैमाने पर किया गया था और नारा लगाया गया की ‘साइमन वापस जाओ’ । जहां जहां साइमन आयोग गया वहाँ वहाँ ‘साइमन गो बैक’ बोला गया । Important Gyan Simon commission

साइमन कमीशन के समय भारत का वायसराय कौन था

साइमन कमीशन के समय भारत का वायसराय 1928 ईस्वी में लॉर्ड इरविन थे । आपको बता दें की लॉर्ड इरविन का कार्यकाल 1926 ईस्वी से 1928 ईस्वी के मध्य में था ।  

साइमन कमीशन ने अपनी रिपोर्ट कब प्रस्तुत की?

भारतीयों के पूर्ण बहिष्कार की उपेक्षा करके साइमन कमीशन ने 27 मई 1930 ईस्वी में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दिया ।

इस रिपोर्ट में यह सुझाव था की-

  1. एक उत्तरदाई सरकार गठित की जाए जिसमें विधि और व्ययस्था सम्मिलित हो ।
  2. केंद्र में उत्तरदाई सरकार के गठन का समय नहीं आया है ।
  3. केन्द्रीय विधानमण्डल को पुनरगठित करने की बात कही गई जिसमें संघीय भावना हो और सदस्यों का चुनाव प्रांतीय विधान मंडलों द्वारा सम्पन्न हो ।
  4. जिस समय साइमन कमीशन की नियुक्ति हुई थी उस समय भारत में क्रांतिकारी गतिविधियां अपने चरम सीमा पर थीं जिससे सांप्रदायिकता के कारण चौतरफा खून खराबा और दंगे हो रहे थे ।

साइमन कमीशन को श्वेत कमीशन क्यों कहा गया?

इस कमीशन की नियुक्ति सर जान साइमन की अध्यक्षता में की गई थी जिसमें कुल सात सदस्य थे और इसके सभी सदस्य अंग्रेज थे इस लिए इसे काँग्रेसियों ने “श्वेत कमीशन” कहा था । Simon commission Important Gyan

साइमन कमीशन के विरोध का क्या कारण था?

11 दिसंबर 1927 ईस्वी को इलाहाबाद में हुए एक सर्वदलीय सम्मेलन में आयोग में एक भी भारतीय सदस्य को न नियुक्त किए जाने के कारण इसके बहिष्कार का निर्णय लिया गया । Simon commission Important Gyan

27 दिसंबर 1927 ईस्वी को मद्रास में हुए कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में साइमन कमीशन के पूर्ण बहिष्कार का निर्णय लिया गया । इसकी अध्यक्षता एम ए अंसारी ने किया था । Simon commission Important Gyan

तत्कालीन राजनीतिक दलों में भारतीय औद्योगिक वाणिज्यिक कांग्रेस, लिबरल फेडेरेशन, हिन्दू महासभा, किसान मजदूर पार्टी, मुस्लिम लीग आदि ने आयोग के बहिष्कार का समर्थन किया ।

साइमन कमीशन का समर्थन किसने किया?

कालांतर में देखा जाए तो मुस्लिम लीग का एक गुट मुहम्मद शफ़ी के नेतृत्व में साइमन आयोग का समर्थक हो गया ।

इसके अलावा जस्टिस पार्टी(मद्रास) और यूनियनिस्ट पार्टी(पंजाब) आदि ने इसका समर्थन किया ।

08 फरवरी 1928 ईस्वी को आयोग मुंबई पहुँच गया । इस दिन पूरे मुंबई में हड़ताल का आयोजन किया गया था । लोगों ने काले झंडे के साथ ‘साइमन वापस जाओ’ के नारे लगाए । Simon commission Important Gyan

लखनऊ में देखा जाए तो खलीकूजजमा और मद्रास में टी प्रकाशम ने कुछ अनोखे तरीके से आयोग का विरोध किया था । इधर लखनऊ में ही आयोग के विरोध में पंडित जवाहर लाल नेहरू और गोविंद बल्लभ पंत को लाठियाँ खानी पड़ी थी ।

लाला लाजपत राय की मृत्यु

लाहौर में बीमारी के हालत में भी लाला लाजपत राय आयोग का विरोध करने वाली एक भीड़ का नेतृत्व कर रहे थे जिनके ऊपर लाठियाँ बड़ी बर्बरता का साथ बरसाई गईं जिसके कारण उनकी मृत्यु हो गई । Simon commission

इसी समय लाजपत राय ने एक बहुत ही प्रसिद्ध वाक्य कहा “मेरे ऊपर जो लाठियों के प्रहार किए गए हैं वही एक दिन ब्रिटिश साम्राज्य के ताबूत की आखिरी कील साबित होगा ।“ Simon commission Important Gyan

साइमन कमीशन में कितने भारतीय सदस्य थे?

साइमन कमीशन में एक भी भारतीय सदस्य नहीं थे । इसीलिए इसको श्वेत आयोग कहा गया था और इसके विरोध का एक बहुत बड़ा कारण भी था । Simon commission Important Gyan

साइमन कमीशन कितनी बार भारत आया था?

वैसे देखा जाए तो 1928 ईस्वी से 1929 ईस्वी के बीच में साइमन कमीशन दो बार भारत की यात्रा किया था । इसी बीच आयोग ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दिया जिस पर लंदन में आयोजित गोलमेज सम्मेलनों में विचार होना था । भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में साइमन आयोग विरोध ने जन आंदोलनों के साथ ही साथ भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को निर्णायक दौर में पहुंचा दिया । Simon commission Important Gyan

साइमन कमीशन को भारत छोड़ने को क्यों कहा गया लिखिए?

साइमन कमीशन अंग्रेजों द्वारा बनाया गया एक आयोग था जिसमें सिर्फ और सिर्फ अंग्रेज सदस्य थे । इस आयोग में भारतीय सदस्य एक भी नहीं था । इसमें उस दौर में चल रहे माहौल के हिसाब से कुछ ऐसी लाभकारी बात नहीं थी । न ही इसमें भारत को स्वराज्य देने की बात कही गई थी । Simon commission Important Gyan

Leave a Comment

error: Content is protected !!