Alivardi khan बंगाल के नवाब के रूप में -बात उन दिनों की है जब सरफराज खान बंगाल का नवाब बना। यह शुआजुद्दीन का बेटा था। कुछ समय बीते थे जब नादिरशाह ने चढ़ाई किया था और दिल्ली को खूब लुटा। इस लूट से पूरा मुग़ल प्रशासन हिल गया था। इसी आपदा में एक अवसर की तलाश किया अलीवर्दी खान ने। उसने घुस देकर दिल्ली से एक फरमान प्राप्त कर लिया। इस फरमान से सरफराज खान को हटाकर उसके स्थान पर अलीवर्दी खान को बंगाल का नवाब बना दिया गया।
गिरिया का युद्ध
Alivardi khan ने राजमहल के निकट गिरिया के युद्ध में लगभग १७४० ईस्वी में अपने भाई हाजी अहमद और जगत सेठ की सहायता से सरफराज खान के विरुद्ध विद्रोह किया और उसको हराकर गद्दी पर कब्ज़ा कर लिया बादशाह को सनद भेजकर अपने राजगद्दी को प्रमाणित कर लिया।
Alivardi khan सन १७४० ईस्वी से १७५६ ईस्वी तक बंगाल पर शासन किया था और यह मुख्य रुप से १७४० ईस्वी में बंगाल का नवाब बना था और इसने २ करोड़ रुपए मुगल बादशाह को देकर अपने पद की वैधानिकता को प्रमाणित कराया था।
अलीवर्दी खान एक नायब के रूप में
Alivardi khan का मूल नाम ‘मिर्ज़ा मुहम्मद खान’ था और यह नवाब सुजाउद्दौला के मृत्यु के समय बिहार में नायब नाजिम अर्थात वित्त विभाग का मुख्य अधिकारी था। यह उस समय बंगाल का एक हिस्सा हुआ करता था। Alivardi khan को बंगाल के नवाब शुजाउद्दीन ने जमीन से उठाकर आदमी बना दिया और यही ‘मिर्ज़ा मुहम्मद खान’ अल्ह वर्दी खान के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
मराठों का आक्रमण
Alivardi khan ने अपने १६ वर्ष के शासन काल में कभी भी मुगल राजकोष में एक भी राजस्व का हिस्सा नहीं जमा किया था और इसके शासन काल में ही मराठों ने बंगाल पर आक्रमण भी किया था और Alivardi khan से ओडिशा छिना। इसके साथ ही बंगाल और बिहार की चौथ के रूप में १२०००० वार्षिक तय किया गया। आपको बता दें की ये संधि मराठा सरदार रघु जी भोंसले के साथ की गयी थी।
अब इसी का फायदा अंग्रजों ने उठाया और फोर्ट विलियम के चारों ओर खाई बना दिया। इसी बीच Alivardi khan ने मुगल बादशाह को दस्तक निरस्त करने हेतु एक पत्र लिखा लेकिन इस पत्र का कोई जवाब नहीं आया। यह दस्तक ३००० रुपए के बदले बंगाल में कर मुक्त व्यापार करने के लिए था।
आपको बता दें की अंग्रेजों के साथ इनके सम्बन्ध तो ठीक था लेकिन अलीवर्दी खांन को किलेबंदी का अधिकार नहीं प्राप्त था। Alivardi khan ने योरोपियों की तुलना ‘मधुमखियों’ से किया है। उसने कहा की यदि इन्हें छेड़ा जाय तो ये शहद देंगे और अगर इनको छोड़ दिया जाय तो काट काट कर मार देंगे।
अलिवर्दी खान की म्रत्यु
अलिवर्दी खान १७५६ में की म्रत्यु हो गयी । Alivardi khan के मृत्यु के बाद ही इनका दौहित्र अर्थात पुत्री का पुत्र सिराजुद्दौला इसका उत्तराधिकारी बना।
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Important Gyan के इस सीरीज में मैं आप लोगों को ये बताने का प्रयास किया कि Alivardi khan के लिए क्या पूरा विवरण है? मित्रों मुझे अपनी लेखनी को यहीं पर समाप्त करने का इजाजत दीजिये।
अगर कहीं कोई त्रुटि रह गयी हो तो मानवीय भूल समझ कर क्षमा कर दीजियेगा और कोई सुझाव हो तो जरूर दें हम अपने लेख में उचित स्थान देंगे और कोई प्रश्न हो तो जरूर पूछे।
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