Siraj ud daulah बंगाल का नवाब था। यह अप्रैल १७५३ से जून १७५७ ईस्वी तक बंगाल का नवाब था। यह अलीवर्दी खान का उत्तराधिकारी था। लेकिन उसका चचेरा भाई शौकत जंग जो पूर्णिया का सूबेदार था इसके गद्दी का विरोध किया था। जब Siraj ud daulah राजगद्दी पर बैठा तो उस समय उसकी उम्र २० वर्ष था। लेकिन ये चतुर्दिक षडयंत्रो से घिरा हुआ था। अंग्रेजों ने इसके चरित्र के बारे में मलिन विचार धारा व्यक्त किया था जो वह कत्तई नहीं था।
Siraj ud daulah के विरुद्ध षड्यंत्र
Siraj ud daulah विरूद्ध षड्यंत्र करने वालो में कलकत्ता के सेठ अमींचंद था जिसने इसको अपदस्थ कर मीर जाफर को बंगाल का नवाब बनाने के लिए कलकत्त्ता में अंग्रेजों और मुर्शिदाबाद में नवाब के विरोधियों के बीच गुप्त वार्ताएं जारी रखा।
अंग्रेजों से नाराजगी
Siraj ud daulah अपने व्यक्तिगत हितों की रक्षा में ठीक था लेकिन चारित्रिक स्थिरता के आभाव में वह लक्ष्य प्राप्त करने में असफल था। इससे हम यह अंदाजा नहीं लगा सकते के वह कायर था और युद्धों में घबराता था। वह युद्ध में अपने मौसेरे भाई शौकत जंग से एक दो हाथ कर चूका था। आपको बता दें की इसी युद्ध में शौकत जंग मारा गया था।
अंग्रेजों से अप्रशन्नता के कुछ अप्रतिम कारण थे जैसे अंग्रेजों ने उसकी आज्ञा के बिना ही कलकत्ता दुर्ग की किलेबंदी कर लिया था और भागे हुए राजा राजवल्लभ सेन के पुत्र कृष्णदास को शरण दे रखा था। कलकत्ता पर अधिकार चार दिनों के घेरे के बाद ही उसका अधिकार हो गया लगभग 16 जून से 20 जून के बीच में।
काल कोठरी घटना
बहुत सारे अंग्रेज जहाजों के द्वारा भाग चुके थे लेकिन शेष भागने में असफल रहे और वे बंदी बना लिए गए। इन शेष बचे हुए अंग्रेजों को बंदी बना लिया गया किले के अंदर एक कोठरी में। यह कोठरी १८ फुट लम्बा और १४ फुट १० इंच चौड़ा था। इनको बंद करने की घटना २० जून 1756 की रात में घटी थी लेकिन प्रातः होते ही अर्थात २३ जून को प्रातः कोठरी खोल दिया गया। इसमें कुल २३ लोग ही जीवित थे। जीवन पाए लोगों में ‘हॉलवेल’ भी थे। इन्हीं को इस घटना का रचयिता माना जाता है। हालाँकि इस घटना के बारे में Siraj ud daulah को नहीं मालूम था। इसकी ऐतिहासिकता पर भी संदेह है। लेकिन इस घटना को अंग्रेजों आगे के युद्धों के लिए हथियार बना लिया।
अंग्रेजों के साथ समझौता
Siraj ud daulah ने अंग्रेजो के साथ वार्ता प्रारम्भ कर दिया लेकिन अंग्रेजो ने मार्च 1757 ईस्वी में उसको सत्ता को अनदेखा करना प्रांरंभ कर दिया और चंद्रनगर पर अधिकार कर लिया। आपको बता दें की इस पर फ्रांसीसियों का अधिकार था। लेकिन इन बातों पर बहुत ज्यादा ध्यान न देते हुए Siraj ud daulah ने अंग्रेजों के साथ अलीनगर की संधि कर लिया। लेकिन अंग्रेजों ने इस संधि को अनदेखा करते हुए इसके खिलाफ षड्यंत्र करना प्रारम्भ कर दिया और क्लाइब के नेतृत्व में एक सेना भेजा और प्लासी के युद्ध की घटना पर मोहर लगा दिए। युद्ध हुआ और अंग्रेजों की जीत हुई।
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Important Gyan के इस सीरीज में मैं आप लोगों को ये बताने का प्रयास किया कि Siraj ud daulah क्या पूरा विवरण क्या है? मित्रों मुझे अपनी लेखनी को यहीं पर समाप्त करने का इजाजत दीजिये।
अगर कहीं कोई त्रुटि रह गयी हो तो मानवीय भूल समझ कर क्षमा कर दीजियेगा और कोई सुझाव हो तो जरूर दें हम अपने लेख में उचित स्थान देंगे और कोई प्रश्न हो तो जरूर पूछे। Siraj ud daulah
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