Bilgram ka yudh in Hindi-आखिर बिलग्राम के युद्ध के बाद हुमायूँ क्यों निर्वासित हो गया?

Bilgram ka yudh in hindi-शायद आप लोग इन प्रश्नों की तलाश में तो नहीं है न-कन्नौज का युद्ध या बिलग्राम का युद्ध कब हुआ था । कन्नौज का युद्ध कब और किसके बीच हुआ था । बिलग्राम का युद्ध किसके बीच हुआ था? बिलग्राम कहाँ है? आज हम इन्हीं प्रश्नों पर विचार-विमर्श करने वाले हैं । कन्नौज या बिलग्राम के युद्ध के बारे में विस्तार से जानने के लिए आप लोग इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें ।

कन्नौज या बिलग्राम का युद्ध कब हुआ था?

Bilgram ka yudh in Hindi कन्नौज या बिलग्राम का युद्ध 17 मई 1540 ईस्वी को हुआ था । आप यहाँ पर एक बात का और ध्यान रखें की इसको भोजपुर का युद्ध भी कहा जाता है ।

बिलग्राम का युद्ध किसके बीच हुआ था?

जब शेरशाह को चौसा के युद्ध में विजय मिला तो उसके बाद भयभीत हुमायूँ चौसा के मैदान से भागकर आगरा आ गया । उसने अपने सभी भाइयों के साथ टेबल मीटिंग किया जिसमें उसका भाई कमरान उपस्थित नहीं हुआ और लाहौर लौटने का निश्चय कर लिया ।

Bilgram ka yudh in hindi-चूंकि हुमायूँ के भाइयों के बीच मतभेद की स्थिति को भांप कर शेरशाह ने इसका लाभ उठाना चाहा । इस लालच में उसने अपने पुत्र कुतुब खान को चँदेरी की ओर भेजा । लेकिन दुर्भाग्य से कुतुब खान मारा गया । इस पर शेरखान बहुत ज्यादा कुपित हुआ और हुमायूँ के विरुद्ध उसने कमर कसने की कसम खाई और इसी उद्देश्य से शेरखान कन्नौज पहुँच गया और गंगा नदी के तट पर अपना डेरा डाल दिया ।

लेकिन इसी समय हुमायूँ के शिविर में एक अजीब घटना घटी । इसी समय मोहम्मद जमा मिर्जा अपने पुत्र के साथ हुमायूँ के शिविर को छोड़कर अन्यत्र चला गया । इस घटना ने हुमायूँ के सैनकों में असंतोष पैदा कर दिया ।

अब हुमायूँ के पास कोई ऑप्शन नहीं था । उसने युद्ध करना ही उचित समझा और नदी पार किया । अब विधि का खेल देखें । जैसे ही हुमायूँ नदी पार किया वैसे ही वर्षा शुरू हो गई जिससे हुमायूँ की सेना अस्त व्यस्त हो गई ।

Bilgram ka yudh-अब शेरखान को बढ़िया मौका मिल गया । उसने अवसर का लाभ उठाने में तनिक भी देर नहीं किया और हुमायूँ की सेना पर टूट पड़ा । अब होना क्या था? शेरखान को विजय मिल गई । शेरखान ने यह आक्रमण 17 मई 1540 ईस्वी को किया था ।

अब शुरू हुआ हुमायूँ का भारत से निर्वासन काल । कन्नौज के युद्ध ने हुमायूँ को एक निर्वासित जीवन व्यतीत करने पर मजबूर किया था ।

हुमायूँ की असफलता के कारण:-

Bilgram ka yudh in Hindi हुमायूँ की पराजय का कई कारण था । चलिए देखते हैं की आखिर हुमायूँ कैसे पराजित हुआ और उसे एक निर्वासित जीवन व्यतीत करना पड़ा था ।

  • हुमायूँ हमेशा समय का दुरुपयोग करता था ।
  • शत्रु पर विजय प्राप्त करने के पश्चात आमोद-प्रमोद में लग जाता था ।
  • वह सेना को संगठित नहीं करता था ।
  • उसकी सेना में फुट पड़ गई थी युद्ध से पूर्व ही ।
  • उसकी सेना भी काफी दुर्बल अवस्था की थी ।
  • शेरखान के नेतृत्व में अफगानों का उत्कर्ष हो रहा था ।
  • इसी समय शेरखान और गुजरात के शासक बहादुरशाह का गठबंधन हो गया था ।
  • हुमायूँ ने बहादुरशाह के साथ युद्ध में कई भूल कर चुका था ।
  • हुमायूँ ने शेरखान के विरुद्ध जितने भी युद्ध किए वो संगठित युद्ध नहीं कर पाया ।
  • हुमायूँ की चारित्रिक दुर्बलता भी उसकी पराजय का कारण बना था ।

इस तरह देखा जाय तो बिलग्राम का युद्ध कई मामलों में काफी महत्वपूर्व था। शेर शाह सूरी ने अपनी सूझ बुझ से ये तो साबित ही कर दिया की अगर जीवन में कुछ कर गुजरने की ताकत है तो आप कोई भी युद्ध जीत सकते हैं। बस अपनी रणनीति कारगर होनी चाहिए।

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प्रश्न:- बिलग्राम के युद्ध को और किस नाम से जाना जाता है?

उत्तर:-कन्नौज या बिलग्राम का युद्ध या भोजपुर का युद्ध भी कहा जाता है।

प्रश्न:-भोजपुर का युद्ध कब हुआ था?

उत्तर:-17 मई 1540 ईस्वी को हुआ था

प्रश्न:-कन्नौज पर आक्रमण शेरखान ने कब किया था?

उत्तर:-शेरखान ने यह आक्रमण 17 मई 1540 ईस्वी को किया था ।

प्रश्न:-कन्नौज के युद्ध से पहले शेरखान का कौन सा पुत्र मारा गया था?

उत्तर:-कन्नौज के युद्ध से पहले दुर्भाग्य से कुतुब खान मारा गया ।

Important Gyan के इस सीरीज में मैं आप लोगों को ये बताने का प्रयास किया कि Bilgram ka yudh in Hindi के लिए क्या पूरा विवरण है? मित्रों मुझे अपनी लेखनी को यहीं पर समाप्त करने का इजाजत दीजिये।

अगर कहीं कोई त्रुटि रह गयी हो तो मानवीय भूल समझ कर क्षमा कर दीजियेगा और कोई सुझाव हो तो जरूर दें हम अपने लेख में उचित स्थान देंगे और कोई प्रश्न हो तो जरूर पूछे।

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