Bulb ka avishkar kis san mein hua tha?
बल्ब का अविष्कार किस सन में हुआ था?
नमस्कार साथियों!
इम्पोर्टेन्ट ज्ञान इस सीरीज में आप सभी का स्वागत है। इस सीरीज में हम कुछ अविष्कार की बातों पर चर्चा कर रहे हैं। इससे पहले हम आप लोगों को LED बल्ब का अविष्कार किसने किया था इसके बारे में बताये अगर आप लोगों ने उस लेख को नहीं पढ़ा है तो जरूर पढ़ें और अपना ज्ञानवर्धन करें। Bulb ka avishkar kis san mein hua tha
पूरे संसार को बिजली प्रदान करने के लिए बल्ब का अविष्कार हुआ। यह एक चमत्कारिक घटना थी जिससे उजाला सबको मिल सके।आप भी नित्य रोज यह अनुभव करते हैं की अगर विजली न रहे तो सब कुछ सुना लगता है। लगता है सारी एनर्जी ही शरीर से चली गयी। इसके बिना कुछ भी अच्छा ही नहीं लगता। तो क्या आपने कभी यह जानने की कोशिश किये की आखिर इतने चमत्कारिक चीज का अविष्कार किसने किया और कब किया? Bulb ka avishkar kis san mein hua tha Very Important?
बल्ब क्या है?
बल्ब एक ऐसा उपकरण होता है जो प्रकाश देता है। जहाँ कहीं भी करेंट उपलब्ध होता है वहीँ आप इसको लगाकर रौशनी प्राप्त कर सकते हैं।
बल्ब का अविष्कार किस सन में हुआ था?
बल्ब के खोजों का सिलसिला बहुत ही लम्बा है और काफी उलझा हुआ भी अतः हम आप लोगों को संक्षेप में इसके बारे में बताएँगे जो आप लोगों की लिए जरुरी और उपयोगी भी होगा।
बल्ब के अविष्कार का मुख्य श्रेय अमेरिका के महान वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडिसन को दिया जाता है।इन्होंने ने सन 1879 ईस्वी में बल्ब का अविष्कार किया था। लेकिन बल्ब का अविष्कार हम्फ्री डेवी के दिमाग की उपज है। 1802 में देखा जाय तो इन्होने ही सबसे पहले “इलेक्ट्रिक लाइट” का अविष्कार किया था। (Bulb ka avishkar kis san mein hua tha Very Important?)
हालाँकि आपको यहाँ एक बात ध्यान देना है की 1802 से लेकर 1879 के बीच में बहुत सारे वैज्ञानिक इस बल्ब के अविष्कार से जुड़े हैं। मुख्य वैज्ञानिक हैं “जोसेफ विल्सन स्वान”। इन्होने सं १८५० में “लाइट बल्ब” का अविष्कार कर लिया था और ये इसका डिजाइन भी बना चुके थे।
आखिर थॉमस अल्वा एडिसन को ही बल्ब का अविष्कारक क्यों माना जाता है?
साथियों! एक कहावत है न की पहले आओ और पहले पाओ। इसके पीछे एक छोटी सी कहानी है। हम्फ्री डेवी ने जो बल्ब का डजाइन बनाया था उसमें कुछ तकनीकी समस्या थी और यह कुछ घंटे तक ही जल पाता था। लेकिन कोई व्यक्ति जो सफल होता है उसके पीछे कुछ तो कारण होता है। कोई ऐसे ही सफल नहीं हो जाता है।
थॉमस अल्वा एडिसन चूँकि विद्वान तो थे ही साथ ही बुद्धिमान भी ये अपने अविष्कार को इंग्लॅण्ड जाकर पहले ही इसका पेटेंट करा चुके थे और इनका प्रोजेक्ट भी परफेक्ट था अतः इनका नंबर पहले ही आ गया और ये फेमस हो गए। अतः मुख्य रूप से देखा जाय तो इन्ही को बल्ब के अविष्कार का श्रेय दिया जाता है। (Bulb ka avishkar kis san mein hua tha Very Important?)
थॉमस अल्वा एडिसन के बचपन की कहानी
एक महान वैज्ञानिक जिसने इस पुरे संसार को नई रोशनी दी जिसका नाम था थॉमस अल्वा एडिसन। इनका जन्म सन ११ फरवरी १८४७ को यूनाइटेड स्टेट के Milan में हुआ था। चूँकि एडिसन बचपन में सामान्य बालक नहीं थे। इनकी बुद्धि पर सब शक करते थे और पागल कह कर सब चिढ़ाते थे। इनको प्रश्न पूछने की आदत थी। चूँकि प्रश्न भी काफी उलझे हुए होते थे अतः लोगों से लेकर स्कूल अध्यापक तक इनके प्रश्नों से बहुत ज्यादा चिढ़ते थे। (Bulb ka avishkar kis san mein hua tha Very Important?)
इन्हीं सब उटपटांग प्रश्नो से परेशान होकर और बच्चे में असामान्य लक्षण देख कर स्कूल टीचर ने बच्चे के स्कूल बैग में एक निष्काशन पत्र डाल कर बच्चे को घर भेज दिया। जब माँ को अपने बच्चे से पत्र मिला तो माँ ने वो खत पढ़ा और उसकी आँखे भर आयीं। आखिर माँ तो माँ होती है। अपने बच्चे को गलत कैसे मान लेती। उसने निश्चय किया की नहीं मेरा बेटा कमजोर नहीं है। आज से मैं ही इसका सब कुछ हूँ। आज से मैं ही माँ भी और गुरु भी। मैं अपने बच्चे को पढ़ाऊंगी। मैं ज्ञान दूंगी।(Bulb ka avishkar kis san mein hua tha Very Important?)
अपनी माँ को परेशान देख एडिसन ने पूछ ही लिया की माँ आखिर खत में क्या लिखा है जिससे तेरी आंखे भर आयी और तू रोने लगी। माँ अपने बच्चे को कैसे ये सब बाते बताती। उसने अपने आँशु पोछते हुए कहा की नहीं बेटा कोई ऐसी बात नहीं है। खत में लिखा है की आपका बेटा बहुत ज्यादा होशियार है पढ़ने में। इतना होशियार की हमारे स्कूल में ऐसा कोई टीचर नहीं जो आपके इस होशियार बच्चे को पढ़ा पाए। अतः बेटा आज से मैं ही आपको पढ़ाऊंगी। (Bulb ka avishkar kis san mein hua tha Very Important?)
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माँ ने अपने बच्चे को हर प्रकार की शिक्षा दीक्षा की व्यस्था की।एक लम्बा अर्सा बीत गया। कुछ समय पश्चात् एडिसन की माँ का देहांत हो गया। एक समय की बात है जब एडिसन अपने घर में पड़े सामान को टटोल रहे थे तो उनके हाथ वो खत लग गया। उन्होंने उस खत को पढ़ा उस खत में लिखा था की “आज से आपका बच्चा हमारे स्कूल में नहीं पढ़ सकता है कारण बताया गया था की आपके लड़के के पास बुद्धि नहीं हैं एकदम पागल और मंदबुद्धि का है,अतः अपने बच्चे को घर में ही पढ़ाएं।”
तो सोचिए मित्रों इतने बड़े महान वैज्ञानिक की ऐसी दास्ताँ। कैसे जीवन से गुजरे ये। जिसने पुरे संसार को एक रौशनी दिया उसका बचपन ऐसे गुजरा।
आज हमने इस लेख के माध्यम से बल्ब के अविष्कार के बारे में समझाने का प्रयास किये आशा है आप लोगों को ये लेख जरूर पसंद आया होगा। धन्यवाद!
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