Nal Damayanti kiski rachna hai

Nal Damayanti Kiski Rachana hai

आज हम चर्चा करेंगे राजा नल और दमयन्ती के की कथा के बारे में । आपको बताते चलें की इनकी कथा का उल्लेख महाभारत जैसे महाकाव्य में आता है । नल दमयन्ती कथा की रचना राजा रवि वर्मा ने किया था । एक बार की बात है जब पांचों पांडवों ने अपना सब कुछ जुए में हार कर गवां दिया और उनको वनवास जाना पड़ा । उसी बन में उन्हें एक ऋषि के मुख से नल दमयन्ती की कथा को सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ ।

Nal Damayanti kiski rachna hai

राजा नल कौन से युग में थे?

Nal Damayanti kiski rachna hai राजा नल का जिक्र महाभारत काल में देखने को मिलता है । इन दोनों की प्रेम कथा का स्थल नरवर था । नरवर शिवपुरी जिले में एक छोटा सा कस्बा था । नल विरसेन के पुत्र और निषाद देश के राजा थे । नल उस समय अपनी वीरता और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध थे ।

Baksar ka yudh kab hua
Plasi ka yudh kab hua
sutkagendor
lothal kahan sthit hai

महाभारत में दमयन्ती कौन थी?

दमयन्ती विदर्भ अर्थात पूर्वी महाराष्ट्र के नरेश की पुत्री थी जो अत्यंत गुनवती और सुंदर थी । इनकी सुंदरता की बखान सुनकर ही नल इनसे प्रेम करने लगा था । राजा नल ने अपने प्रेम संदेश को एक अलग ढंग से दमयन्ती के पास पहुंचाए । इनका प्रेम संदेश एक हंस लेकर गया जिसे जानकार दमयन्ती भी राजा नल से प्रेम करने लगी ।

नल दमयन्ती कथा

Nal Damayanti kiski rachna hai:विदर्भ देश में भीष्मक नामक एक राजा थे और उनकी पुत्री थी दमयन्ती । दमयन्ती का व्यक्तित्व और सुंदरता बढ़चढ़कर था । ये लक्ष्मी के समान सूदर और रूपवती थी । भीष्मक राजा के चार संताने थीं जिसमें तीन पुत्र और एक कन्या । तीनों का नाम था-दम, दान्त और दमन ।  गुलाबी बदन लिए दमयन्ती चतुर्दिक विख्यात थी । इतनी सुंदर कन्या देवलोक में भी विरले ही देखने को मिली हो ।इसी समय निषाद राज्य में नल नामक राजा राज्य करते थे । इनकी भी सुंदरता और व्यक्तित्व कम नहीं था । ये ब्राह्मण भक्त थे ।

इन दोनों के व्यक्तित्व और सुंदरता की एक दूसरे के बारे में जानकारी राहगीरों के माध्यम से मिलता था । जो लोग विदर्भ से निषाद देश में आते थे वे दमयन्ती के के गुणों का बखान किया करते थे और जो लोग निषाद देश से विदर्भ आते थे वे लोग नल राजा के गुणों की बखान किया करते थे । अब ये एक सिलसिला बन गया था । और दोनों का प्रेम आगाढ़ होता गया और दोनों एक दूसरे को मन ही मन दिल दे बैठे ।

kalibanga kahan sthit hai
Banwali
Mehargarh Civilization in Hindi
Dholavira

अचानक एक दिन नल उद्यान में टहल रहे थे की उन्होंने कुछ हंसो को देखा । उनमें से एक हंस को उन्होंने पकड़ लिया । इसी बीच अपना बचाव करने के लिए हंस बोल उठा “कृपाकर आप हमें छोड़ दें । हम दमयन्ती के पास जाकर आपके गुणों की बखान करेंग । वे हंस चले गए और विदर्भ देश पहुंचे । जब दमयन्ती ने उनको देखा तो खुश होकर उन्हें पड़ने लगी । इस पर हंस बोल उठे की “रूपवती दमयन्ती निषाद देश में एक बहुत ही सुंदर भूषण के समान राजा है जिसका नाम नल है । तुम दोनों की जोड़ी बहुत खूबसूरत लगेगी अगर तू उसको वर लेगी तो । तुम्हारा जीवन और सुंदरता दोनों ही सफल हो जाएगा ।

इस पर होना क्या था दमयन्ती पहले से ही उनको दिल दे बैठी थी अब हंसो की बात सुनकर नल से और प्रेम करने लगी । दिन रात नल के प्रेम में खोई रहती थी जिससे आगे चलकर शरीर धूमिल होने लगा और वो कमजोर सी होने लगी ।

ऐसी स्थित देखकर राजा भीष्मक को यह आभास हो गया की मेरी बेटी अब विवाह योग्य हो गई है । उन्होंने स्वयंबर रखा । नर-गंधर्व से लेकर देवता गण तक इस बात का समाचार मिला की दमयन्ती का विवाह हेतु राजा भीष्मक ने स्वयंबर रचा है । सब लोग लालायित होकर स्वयंबर में शामिल होने लगे । इधर इन्द्र भी सभी देवताओ के साथ स्वयंबर में शमिल होने के लिए चल दिए ।

लेकिन अचानक उनको नल आते हुए दिखाई दिए । उनके सौन्दर्य और पौरुषता को देखर देवता भी समझ गए की हो न हो ये इतना सुंदर दिखने वाला युवक नल ही है । सभी देवता उन्हें पहचान लिए और सोचने लगे की क्यों न नल को अपना दूत बनाकर दमयन्ती के पास भेजा जाए ।

उन्होंने नल के सामने एक प्रस्ताव रखा की आप दूत बनकर हमारा संदेश दमयन्ती तक पहुंचा दो । नल ने थोड़े देर विचार करके देवताओं से यह कार्य करने के लिए मना कर दिया क्योंकि वो जानते थे की जिस कन्या को वरने के लिए मैं खुद दूल्हा बनकर जा रहा हूँ उसी के सामने एक दूत बनकर कैसे जा सकता हूँ । अतः अपने मान सम्मान को देखते हुए उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया ।

Koldihwa in Hindi
Neolithic Age in Hindi
Mesolithic Age in Hindi
Atharva Veda in Hindi

दमयन्ती का स्वयंबर

दमयन्ती का स्वयंबर रखा गया जहां पर देश-विदेश और देवलोक से देवतागण आए थे । देवता लोग तो नल का रूप धारण करके आए थे । इसमें यह पहचानना मुश्किल हो गया था की असली नल कौन है । लेकिन रूपवती दमयन्ती खूबसूरत तो थी साथ ही शांतचित वाली भी थी । वो एकदम घबराई नहीं और अपने अंतर्मन से नल को पहचान गई और नल को वर ली ।

इस तरह नल दमयन्ती का विवाह सम्पन्न हुआ । दोनों सुखी पूर्वक अपना जीवन व्यतीत करने लगे । आगे चलकर उनको दो संतान हुई जिसमें एक पुत्र और दूसरी कन्या थी । दोनों ही अपने माता पिता की तरह खूबसूरत थे । कालांतर में चलकर इनके जीवन में एक समस्या घेर ली ।

कहते हैं न कि “सब दिन होत न एक समान” । सुख:दुख का चक्र चलता रहता है । समय ने करवट लिया। राजा नल सर्वगुण सम्पन्न तो थे ही लेकिन उनके अंदर भी एक कमी थी । वे जुआ खेलने के बहुत बड़े शौकीन थे । नल के भाई पुष्कर ने इनको जुआ खेलने के लिए उकसाया । जुए में नल सब कुछ गवां दिए । इस प्रतिकीउल समय को देखकर दमयन्ती अपने बच्चों को विदर्भ देश की राजधानी कुंडीनपुर में भेज दी ।

दोनों पति पत्नी एक वस्त्र पहनकर राज्य से बाहर निकल गए । लेकिन रास्ते में नल को सोने के पंख वाले कुछ पक्षी दिखाई दिए । नल ने सोचा की क्यों न इनको पकड़ कर बेच दिया जाए और जो इससे पैसा मिलेगा उससे कुछ दिन गुजारा करेंगे । जैसे ही नल ने अपना वस्त्र उन पक्षियों के ऊपर फैंक दिया लेकिन दुर्भाग्यवश वे पक्षी वस्त्र लेकर ही उड़ गए ।

अब नल निर्वस्त्र हो गए । लेकिन नल को अपने दुख से ज्यादा दमयन्ती का दुख सता रहा था । दोनों जंगल में भटकते हुए चले गए। दोनों एक ही वस्त्र से अपना शरीर ढके लेटे हुए थे । दमयन्ती बहुत थकी थी और सो गई । इसी बीच राजा नल ने सोचा की अगर मैं इसको छोड़कर चला जाऊँ तो शायद ये अपने पिता के घर चली जाए और दुख के पहाड़ से इसका तो जीवन सुरक्षित हो जाएगा ।

जब नल दमयन्ती को छोड़कर चले गए तो दमयन्ती की नींद खुली । उसने देखा की नल तो यहाँ हैं नहीं । वो काफी परेशान थी । भूख प्यास से भी उसकी बेचैनी बढ़ रही थी । वो जैसे ही आगे बढ़ी तो अजगर वहीं खड़ा था और उसको निगलने की कोशिश कर रहा था । लेकिन यह स्थिति देखकर एक व्याध उसको बचा लिया । लेकिन उसने इस उपकार के बदले अपनी बुरी नजर दमयन्ती पर डालने लगा ।

Dhanna Jaat

Tulsi ka Murjhaya Paudha

जैसे ही दमयन्ती की सुंदरता पर मोहित होकर अपने आगोश में लेना चाहा । तुरंत दमयन्ती अपने सतीतत्व की रक्षा हेतु आगे बढ़ी और व्याध को श्राप दे दिया । व्याध वहीं मर गया । इसके बाद दमयन्ती भटकते हुए चेदि नरेश सुबाहु के पास पहुंची और उसके बाद वो अपने पिता के घर ।

आगे चलकर दमयन्ती के सतीतित्व के कारण उसके दुखों का अंत हो गया । अंत में वो नल से मिली और दमयन्ती का सुखी जीवन वापस आ गया और उसका राज्य भी वापस मिला।

Nal Damayanti kiski rachna hai

नल दमयन्ती राजा रवि वर्मा द्वारा रची गई महाभारत कालीन कथा है ।

प्रश्न:-राजा नल कौन से युग में थे?

उत्तर:-राजा नल की कहानी का वर्णन माहभारत जैसे प्रसिद्ध ग्रंथ में मिलता है ।

प्रश्न:-राजा नल पूर्व जन्म में कौन थे?

उत्तर:-ये भील थे और भगवान शिव की कृपा से राजा बने थे ।

प्रश्न:-राजा नल किस देश के राजा थे?

उत्तर:- राजा नल निशाद देश के राजा थे ।

प्रश्न:-दमयन्ती किस देश की राजकुमारी थी?

उत्तर:- दमयन्ती विदर्भ देश की राजकुमारी थी

प्रश्न:-नल दमयन्ती की कथा रचना का अन्य भाषा में उल्लेख?

उत्तर:-बोप ने इसको लैटिन भाषा में किया है और मिलमैन ने अंग्रेजी में ।

प्रश्न:-नल दमयन्ती किसकी रचना है?

उत्तर:-इसकी रचना राजा रवि वर्मा ने किया था ।

Nal Damayanti Katha

Important Gyan के इस सीरीज में मैं आप लोगों को ये बताने का प्रयास किया कि Nal Damayanti kiski rachna hai कब जारी किया जाएगा? मित्रों मुझे अपनी लेखनी को यहीं पर समाप्त करने का इजाजत दीजिये।

अगर कहीं कोई त्रुटि रह गयी हो तो मानवीय भूल समझ  क्षमा  कर दीजियेगा और कोई सुझाव हो तो  जरूर दें हम अपने लेख में उचित स्थान देंगे और कोई प्रश्न हो तो जरूर पूछे। Nal Damayanti kiski rachna hai

आप लोगों को और अपना ज्ञानवर्धन करना चाहिए, अगर आप लोगों को लगता है की हमें और क्या पढ़ना चाहिए तो आप www.importantgyan.com के वेबसाईट पर नियमित विज़िट करके अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं । Nal Damayanti kiski rachna hai

हमारे कुछ मीनू आप लोगों का राह देखते रहते हैं जैसे-Motivation, Health, sarkari Yojna, Sarkari Naukari आदि । आप इनका लाभ जरूर उठायें । आपका दिन शुभ हो!- Nal Damayanti kiski rachna hai

Leave a Comment

error: Content is protected !!