फिरोजशाह तुगलक सल्तनत काल में अकबर नाम से प्रसिद्ध और दासों के शौकीन Firoz shah Tughlaq

फिरोजशाह तुगलक सल्तनत काल में अकबर नाम से प्रसिद्ध और दासों के शौकीन Firoz shah Tughlaq

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साथियों आज हम Important Gyan के इस सीरीज में आज हम आप लोगों को फिरोज शाह तुगलक के में के बारे में कुछ रोचक और ज्ञानपरक जानकारी देने जा रहे हैं । Firoz shah Tughlaq

आज आप लोग जानेंगे की फिरोजशाह तुगलक  कौन था? फिरोजशाह तुगलक  के राजस्व सुधार । फिरोजशाह तुगलक  के गैर राजनीतिक कार्य । फिरोजशाह तुगलक  द्वारा स्थापित नगर । फिरोजशाह तुगलक  का मकबरा कहाँ है । फिरोजशाह तुगलक क के प्रशासनिक सुधार । फिरोजशाह की विदेशनीति।

फिरोज शाह तुगलक क की धार्मिक नीति । फिरोजशाह तुगलक  की उपलब्धियां । फिरोजशाह तुगलक  द्वारा निर्मित सबसे लंबी नहर । फिरोजशाह तुगलक  के उत्तराधिकारी। फिरोजशाह की मृत्यु कब हुई थी । आदि बातों के बारे में एक लंबी चर्चा  । Firoz shah Tughlaq

फिरोज शाह तुगलक  कौन था?

फिरोज शाह तुगलक  गायसुद्दीन तुगलक  के छोटे भाई रज़्ज़्ब का पुत्र था । इसकी माँ एक जाट महिला थी । यह राजपूत राजा रणमल की पुत्री ‘बीबी जैला’ थी । फिरोज शाह तुगलक  1309 ईस्वी में पैदा हुआ था । यह मुहम्मद तुगलक  के काल में बारबक के पद पर था । फिरोज शाह तुगलक  मुहम्मद तुगलक  का उत्तराधिकारी था । Firoz shah Tughlaq

आपको बता दें की इसने स्वयं को खलीफा का प्रतिनिधि घोषित किया और मिश्र के खलीफा ने इसको “सैयद उस सलातींन की उपाधि दिया । Firoz shah Tughlaq

फिरोजशाह तुगलक  का राजस्व सुधार

फिरोजशाह तुगलक  की आत्मकथा फ़तूहात-ए-फिरोजशाही में इस बात का उल्लेख हुआ है की उसने 24 कष्टदायक करों को हटा दिया था । Firoz shah Tughlaq

खराज क्या था?

यह एक प्रकार का कर था जिसकी दर 1/3 से 1/5 था । खराज की वसूली के लिए ख्वाजा हिसामुद्दीन को नियुक्त किया था । इसने बताया की खालसा भूमि से 6 करोड़ 85 लाख मिलना चाहिए ।

भूमि प्रशासन के मुख्य दोष थे ठेकेदारी प्रणाली और जागीरदारी प्रणाली ।

खम्श क्या था?

इसको माल-ए-गनीमह भी बोला जाता था । यह लूट का माल या भूगर्भ में छिपी हुई संपत्ति थी । आपको बता दें की खम्श का 4/5 भाग सैनिकों में और 1/5 भाग राजस्व में जमा करता था । Firoz shah Tughlaq

जकात क्या था?

जकात एक प्रकार का कर था जो मुसलमानों की संपत्ति पर 2 ½ वसूला जाता था जिसे धार्मिक कार्यों में व्यय किया जाता था ।

जजिया कर क्या था?

यहाँ हम आपको बता दें की हिंदुओं को तीन श्रेणियों में बांटा गया था । उच्च श्रेणी में 40 टंका प्रतिवर्ष/मध्यम श्रेणी में 20 टँका प्रतिवर्ष और निम्न श्रेणी में 10 टंका प्रतिवर्ष । Firoz shah Tughlaq

ब्राह्मणों पर भी जजिया कर लगा दिया गया । फिरोज तुगलक  ने ब्राह्मणों को निम्न कोटी में रखा था ।

फिरोजतुगलक  ने राजस्व सुधारों में कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि की, उनके कार्य के बदले जागीरें दी । इसके अलावा उन्हें या सूबेदारों को यतनाएं देकर उसने ठीक हिसाब लेने की प्रथा को बंद किया और साथ ही सुल्तान को भेंट देने की प्रथा को भी बंद किया जिससे किसानों पर भार न पड़े। Firoz shah Tughlaq

किसानों को राज्य से लिए गए तकावी ऋण को भी माफ कर दिया । इस तरह से देखा जाए तो सुल्तान के राजस्व संबंधी सुधार सफल रहे।

फिरोजशाह तुगलक  के राजस्व व्यवस्था के प्रमुख दोष क्या था?

फिरोजशाह तुगलक  के राजस्व सुधार में मुख्य रूप से दो दोष थे-प्रथम जागीरदारी प्रथा और दूसरा भूमि को ठेक पर देने की प्रथा । इन दोनों प्रथाओं के चलते किसानों की पूर्ण भलाई की आशा नहीं की जा सकती थी । Firoz shah Tughlaq

फिरोजशाह तुगलक  द्वारा निर्मित सबसे लंबी नहर

याहिया अहमद सरहिन्दी ने फिरोजतुगलक  के कुल पाँच नहरों का उल्लेख किया है ।

प्रथम नहर>यमुना से हिसार तक था । यह 150 मील लंबी नहर थी और इसको उलुगखानी नहर कहा जाता था । यह सबसे लंबी नहर थी ।

दूसरी नहर>सतलज से घग्घर तक थी और इसको रजज़्बशाही नहर कहा जाता था ।

तीसरी नहर>सिरमौर की पहाड़ी से लेकर हांसी तक था

चौथी नहर>घग्घर से फीरोजाबाद तक था ।

पाँचवीं नहर> यमुना से फीरोजाबाद तक था इसको फिरोजशाही नहर कहा जाता था ।

इस्लामी विद्वानों से सलाहकर सिंचाई कर 1/10 भाग जिसे हक-ए-शर्ब कहा जाता था, इस कर को वसूला जाता था ।

फिरोजशाह तुगलक  के शासन की एक बड़ी विशेषता यह थी की इसके शासन काल में एक भी अकाल नहीं पड़ा और न ही एक भी मँगोलों का आक्रमण हुआ  । Firoz shah Tughlaq

फिरोजशाह तुगलक  द्वारा स्थापित नगर कौन से थे?

फिरोजशाह तुगलक  द्वारा बसाये गए नगर इस प्रकार है-

हिसार फिरोजा/फीरोजाबाद/फिरोजशाह कोटला/फिरोजपुर(बदायूं)/ जफराबाद(जौनपुर)

जौनपुर नगर की स्थापना जूनाखान की स्मृति में बनाया गया था ।

फिरोजशाह तुगलक  ने अपने मुहँ से ही अपने को “खलीफा का नायब” कहा ।

फिरोजशाह तुगलक  ने अपना राज्याभिषेक दो बार कराया था । फिरोजशाह तुगलक  ने अपनी आत्मकथा में लिखा है की खलीफा ने मुझे मानाअभिषेक पत्र प्रदान किया और सैयद उस सालातींन की उपाधि दिया ।  Firoz shah Tughlaq

फिरोजशाह तुगलक  की धार्मिक नीति

दिल्ली के सुल्तानों में फिरोजशाह प्रथम शासक था जिसने इस्लाम के कानूनों और उलेमा वर्ग को राज्य के शासन में प्रधानता प्रदान किया था । इसने कट्टर सुन्नी वर्ग का समर्थन प्राप्त करने हेतु इस्लाम के सिद्धांतों को अपने राज्य की नीति का आधार बनाया । प्रत्येक अवसर पर उलेमा वर्ग से सलाह लिया । इसका सिद्धांत बादशाह औरंगजेब की भांति था । लेकिन औरंगजेब खुद को इस्लामी कानूनों में पारंगत मानता था लेकिन फिरोज उलेमा वर्ग की सलाह पर निर्भर था ।

इसने शियायों को दंडित किया और उनकी धार्मिक पुस्तकों को जलवा दिया । यह बहुसंख्यक हिन्दू प्रजा के प्रति अत्यधिक कठोर था । इसने इस्लाम के प्रचार को अपना प्रमुख कर्तव्य माना। इसने हिंदुओं को ‘जिम्मी कहकर पुकारा । Firoz shah Tughlaq

इसने खलीफा से दो बार अपने पद की स्वीकृति लिया था । खुद को नायब बोला और अपने सिक्कों पर खलीफा का नाम अंकित कराया । इससे बहूसख्यक हिन्दू प्रजा नाराज थी । आपको बता दें की फिरोज की धर्मांधता की नीति राज्य के लिए हानिकारक और सिद्धांत के आधार पर प्रतिक्रियावादी थी ।

फिरोजशाह तुगलक  के युद्ध, आक्रमण और विद्रोह

फिरोजश तुगलक  की नीति साम्राज्य विस्तार करने की नहीं थी बल्कि वो राज्य के संगठन में अपना ध्यान लगाया ।

बंगाल का अभियान-1355-59 ईस्वी

यहाँ का विद्रोही नेता शमसुद्दीन इलियासशाह था । बड़े मसक्कत के बाद भी फिरोजशाह तुगलक  बंगाल जीत नहीं पाया और संधि करके राजधानी वापस चलाया गया । Firoz shah Tughlaq

ऑडिशा अथवा जाजनगर-1360 ईस्वी

इस समय यहाँ का शासक भानुदेव तृतीय था। फिरोजशाह तुगलक  का उद्येश्य पूरी के जगन्नाथ मंदिर पर आक्रमण करने का था । उसने पूरी के जगन्नाथ मंदिर को नष्ट कर दिया और और राजा को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया । Firoz shah Tughlaq

नगरकोट पर आक्रमण1361 ईस्वी

यहाँ पर सुल्तान ज्वालामुखी के मंदिर को ध्वस्त करने का विचार बनाया और यहाँ के राजा को पराजित करके मूर्तियों को ध्वस्त किया ।

सिंध अभियान-1362 ईस्वी  

यहाँ पर जाम बाबनियाँ ने सुल्तान का कठोरता के साथ मुकाबला किया था  । लेकिन अंत में सुल्तान ने इस पर नियंत्रण कर लिया और वार्षिक कर देना स्वीकार किया ।

इस प्रकार देखा जाए तो सिंध के अतिरिक्त सुल्तान को और कहीं पूरी सफलता नहीं मिली ।

आपको बता दें की सुल्तान के आर्थिक, लोकहितकारी और सार्वजनिक निर्माण के कार्य सफल हुए ।  

फिरोजशाह तुगलक  ने प्रजा हित के लिए कौन कौन से कार्य किए थे

फिरोजतुगलक ने प्रजा हित के लिए बहुत सारे कार्य किए जिससे उसे काफी प्रसिद्धि मिली जैसे-

इसमें से पहला उसने कृषि की सिंचाई के लिए पाँच नहरों का निर्माण किया । याहिया अहमद सरहिन्दी ने कुल पाँच नहरों का उल्लेख किया है । इसमे से यमुना से हिसार तक सबसे लंबी नहर थी जिसका नाम उलुगखानी नहर था ।

इसने जनता के हित के लिए राजस्व सुधार कर बहुत सारे करों को माफ किया ।

जो बंजर भूमि से ये प्राप्त होती थी उसे वह धार्मिक और शैक्षिक कार्यों में खर्च करता था ।

फिरोजशाह तुगलक बहुत सारे सरायों, जलाशयों, बगीचों और अस्पतालों को जनता के हित के लिए खुलवाया ।

फिरोजशाह तुगलक ने दीवान-ए-खैरात विभाग की स्थापना किया जिसमें मुस्लिम वर्ग की लड़कियों की शादी के लिए इस विभाग से अनुदान प्रदान किया जाता था ।

फिरोजशाह तुगलक ने सरकारी खर्चे पर कुछ अच्छे वैद्य की व्यवस्था किया जिससे असहाय वर्ग के लोगों के लिए अनुदान मील सके । इसके लिए इसने दारुलशफ़ा, दीवान-ए-खैरात  नामक अस्पताल खोला ।

गरीब वर्ग के लोगों के लिए सरकारी खर्चे पर भोजन की भी व्यवस्था किया ।

फिरोजशाह तुगलक ने दफ्तर-ए-रोजगार खोला जिससे बेरोजगार वर्ग के लोगों को रोजगार मील सके ।

फिरोजशाह तुगलक के पूर्व के शासकों द्वारा दी जाने वाली अनैतिक और कठोर यातनाओ को भी बंद किया ।

फिरोजशाह तुगलक  का मकबरा कहाँ है ?

फिरोजशाह का मकबरा दिल्ली के हौज खास में है ।

फिरोजशाह तुगलक  के गैर राजनीतिक कार्य क्या थे?

फिरोजशाह तुगलक ने जनता के हित के लिए बहुत से कार्य किए जिससे इसकी लोकप्रियता बढ़ी और जनता भी काफी खुश थी , लेकिन इसने ऐसे कुछ गैर राजनीतिक कार्य भी किए जिससे इसकी आलोचना भी हुई । चलिए एक एक करके इसके गैर राजनीतिक कार्यों पर प्रकाश डालते हैं ।

प्रथम फिरोजशाह तुगलक  ने मुस्लिम महिलाओं को सूफी संतों के मज़ारों पर जाने से रोक दिया अर्थात प्रतिबंधित कर दिया था।

दूसरा इसने अपने शौक के लिए राज्य का अनैतिक रूप से खर्चे बढ़ा दिया । इसको दासों का बहुत शौक था । इसके शासन काल में 180000 दास थे । हर दास को 10 से 100 टंके वेतन मिलता था और इनकी देखभाल के लिए दीवान-ए-बंदगांन नामक विभाग भी खोल दिया । फिरोजशाह तुगलक का यह शौक राज्य के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक सिद्ध हुआ ।

तीसरा फिरोजशाह तुगलक सेना में योग्य व्यक्ति रखने के बजाय इसने सैनिक सेवा को वंशानुगत कर दिया और घुस देकर घोड़े की स्वीकृति लेना प्रारंभ कर दिया । इसने ऐसा खुद भी किया था । इससे राज्य की सैन्य संगठन पर बहुत बुरा असर पड़ा ।

चौथा फिरोजशाह तुगलक की धर्मांधता की नीति राज्य के लिए हानिकारक सिद्ध हुई । बहुसंख्यक हिन्दू प्रजा इससे बहुत ज्यादा तकलीफ में थी । यह अपने काफिर प्रजा को जिम्मी(विधर्मी) कहकर पुकारा । इसने ब्राह्मणों से जजिया कर लिया । यह बहुसंख्यक हिन्दू प्रजा के प्रति अत्यधिक कठोर था और इस्लाम के प्रचार को अपना मुख्य कर्तव्य मानता था ।

पाँचवा फिरोजशाह तुगलक ने बहुसंख्यक मंदिरों को नष्ट किया,हिन्दू मेलों को भंग किया, हिन्दुओ को मुसलमान बनाने का प्रयत्न किया और निरपराध ब्राह्मणों का वध कराया । इसने जाजनगर में पूरी के मंदिर और मूर्ति और नगरकोट के ज्वालामुखी मंदिर और मूर्ति को नष्ट किया । यह महमूद की भांति मूर्तिभंजक बनना चाहता था ।

यह पहला ऐसा सुल्तान था जिसने इस्लाम धर्म को राज्य शासन का आधार बनाया और  उनका व्यावहारिक प्रयोग करने का प्रयास किया । इस प्रकार देखा जाए तो फिरोजशाह तुगलक दिल्ली सल्तनत की सैनिक और प्रशासकीय प्रतिष्ठा को काफी धक्का पहुंचाया ।

फिरोजशाह की विदेशनीति क्या थी

फिरोजशाह तुगलक की नीति साम्राज्य विस्तार की नहीं थी। वैसे देखा जाए तो बंगाल, राजस्थान और दक्षिणी भारत को जीतने का प्रयास नहीं किया ।  उसके सरदारों ने उसको सलाह दिया लेकिन उसने यह कहकर मना कर दिया की वह मुसलमानों का रक्त बहाने के लिए तैयार नहीं है ।

फिरोजशाह तुगलक राज्य के आंतरिक संगठन पर ध्यान देता था । इसमें इतनी सैनिक प्रतिभा भी नहीं था की राज्य विस्तार कर पाए । इसने सैन्य संगठन को काफी कमजोर कर दिया और घूसखोरी का बोलबाला हो गया ।

फिरोजशाह तुगलक ने प्रशासन को काफी हद तक कमजोर कर दिया अतः इसकी विदेश नीति बहुत हद तक दुर्बल ही रही । लेकिन इसने दासों के निर्यात पर पाबंदी जरूर लगाया क्योंकि यह दासों का शौकीन सुल्तान था ।

फिरोजशाह की मृत्यु कब हुई थी

फिरोजशाह तुगलक  के अंतिम दिन बहुत ही कष्ट में बीते। उसके योग्य पुत्रों फतहखान और जफ़र खान की मृत्यु उसके जीवन काल में ही हो गई थी । फिरोजशाह तुगलक  की मृत्यु 1388 ईस्वी में हो गई थी ।

फिरोजशाह तुगलक  के उत्तराधिकारी कौन थे?

फिरोजशाह तुगलक के योग्य दो पुत्रों की मृत्यु उसी के काल में हो गई थी। इसका प्रथम उत्तराधिकारी बड़ा पुत्र फतहखान था लेकिन इसकी मृत्यु हो गई । लेकिन इसका दूसरा पुत्र मुहम्मद खान उसका उत्तराधिकारी था ।  लेकिन इधर फिरोजशाह तुगलक का वजीर खानेजहां था जो इसको बहुत ज्यादा प्रभावित कर लिया था । लेकिन वजीर अपने अनैतिक कार्यों के कारण मारा गया ।

शाहजादा मुहम्मद सुल्तान के साथ साथ राज करने लगा और इसको “नसीरुद्दीन मुहम्मदशाह’ की उपाधि दी गई। लेकिन यह बहु ज्यादा भोगविलासी निकला ।

अंत में फिरोजशाह तुगलक ने फतह खान के पुत्र तुगलकशाह को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया। यही आगे चलकर ‘गायसुद्दीन तुगलक द्वितीय नाम से सुल्तान बना ।

फिरोजशाह तुगलक का मकबरा किसने बनवाया था?

आपको बता दें की फिरोजशाह तुगलक ने बहुत सारे इमारतों का निर्माण करवाया था और इसके निर्माण का वह शौकीन भी था । लेकिन इसके द्वारा बनवाए गए इमारत साधारण और दुर्बल ही थे । इसने दिल्ली के निकट फीरोजाबाद, उसमें फिरोजशाह कोटला नगर और किला, हौज-ए-खास के निकट एक विद्यालय और अपना स्वयं का मकबरा बनवाया था।

फिरोजशाह को सल्तनत युग का अकबर किसने कहा था?

  सर बुलजले हेग इनका एक कथंन है की” फिरोज के शासन काल से भारत में अकबर से पहले के मुस्लिम शासन के इतिहास के एक गौरवपूर्ण युग का अंत हो जाता । लेकिन हेनरी इलियट और एल्फिंस्टन ने फिरोजशाह तुगलक को सल्तनत युग का अकबर कहा था ।                                    

फिरोजशाह तुगलक के मुद्रा सुधार

फिरोजशाह तुगलक ने शशगनी सिक्का चलाया था यह चांदी का था और इसका वजन 6 जीतल के बराबर था। आपको बता दें की शशगनी का आधा दोगानी होता था ।

खुतबे में एबक को छोड़कर सभी शासकों का नाम पढ़वाया जाता था । इसने सैयद सालार मुसद गाजी की दरगाह की यात्रा किया था । साथ ही इस सुल्तान का नाम गया में बने सूर्य मंदिर के शीलालेख में दो बार आया है ।

फिरोजशाह तुगलक का मूल्यांकन

तत्कालीन इतिहासकार जैसे बर्नी और अफीफ ने फिरोजशाह तुगलक की अत्यधिक प्रशंसा किए हैं । इसके अलावा इलियट और एलफीस्टन ने फिरोज की प्रशंसा करते हुए इसको ‘सल्तनत युग का अकबर’ कहा है ।

लेकिन बी.ए स्मिथ ने एकदम साफ शब्दों में कहा है की फिरोज की तुलना अकबर से करना उचित नहीं है । उन्होंने कहा है की “फिरोज में उस विशाल हृदय और उदार बुद्धि वाले बादशाह(अकबर) की प्रतिभा का शतांश भी नहीं है ।“

फिरोज तुगलक की कुछ विशेषताएं

व्यक्तिगत रूप में देखा जाए तो फिरोज तुगलक एक विद्वान था और साथ ही वह विद्वानों का सम्मान भी करता था । यह इस्लाम के सिद्धांतों का पालन करता था और मुस्लिम प्रजा की उन्नति करना चाहता था । इसने निर्वाध रूप से 37 वर्ष तक शासन किया था । Firoz shah Tughlaq

लेकिन यह न तो पूर्ण दयालु था न ही पूर्ण उदार । इसकी पूर्ण दयालुता और उदारता सिर्फ कट्टर सुन्नी मुसलमानों तक सीमित थी । फ़ुतूहात-ए-फिरोजशाही में इस बात के प्रमाण हैं की जो सुल्तान अपने सैनिकों को बैमानी करने और कराने के लिए खुद धन दे सकता है उसे पूर्ण ईमानदार कैसे कहा जा सकता है । फिरोज के समय में भ्रस्टाचार व्याप्त था और उसको रोकने का प्रयास नहीं किया गया । Firoz shah Tughlaq

एक शासक के रूप में देखा जाए तो फिरोज तुगलक अपने राज्य और प्रजा को सम्पन्न करने में लगा रहता था । यह बात तो प्रामाणिक रूप से सत्य है की इसने तलवार के जगह प्रजा को सम्पन्न और खुश रखने में विश्वास किया । बेरोजगारों के लिए सहायता, दीवान-ए-खैरात, खैराती अस्पताल की स्थापना किया । यह पहला सुल्तान था जिसने शासक के कर्तव्यों को विस्तृत किया, तलवार की जगह प्रजा हित को देखा,शांति स्थापित किया। लेकिन ये सब कार्य के लिए उसके अधिकारी जिम्मेदार थे । Firoz shah Tughlaq

इन सब कार्यों के बावजूद भी फिरोज ने राज्य को सुसंगठित नहीं किया बल्कि दुर्बल और भ्रस्टाचार से भरपूर कर दिया। इसकी दास प्रथा ने राज्य के आर्थिक स्थिति को अनावश्यक रूप से कमजोर कर दिया। Firoz shah Tughlaq

यह पहला ऐसा सुल्तान था जिसने इस्लाम धर्म को राज्य शासन का आधार बनाया और उसका व्यवहार में प्रयोग किया। फिरोजतुगकल दिल्ली सल्तनत की सैनिक और प्रशासकीय मान  को स्थापित करने में असफल रहा। फिरोजतुगलक को एक योग्य शासक तो माना जा सकता है लेकिन श्रेष्ठ और महान नहीं।

FAQs

प्रश्न:-फिरोजशाह तुगलक किसका पुत्र था?

उत्तर:- फिरोजशाह तुगलक की माँ एक जाट महिला थी जिसका नाम ‘बीबी जैला’ था ।

प्रश्न:- फिरोजशाह तुगलक ने कितने करों को हटाया था?

उत्तर:- फिरोजशाह तुगलक ने कुल 24 कष्टदायक करों को हटाया था ।

प्रश्न:- फिरोजशाह तुगलक द्वारा 24 करों के हटाए जाने का उल्लेख किस ग्रंथ में हुआ है?

उत्तर:- फिरोजशाह तुगलक द्वारा 24 करों के हटाए जाने का उल्लेख उसकी आत्मकथा ‘फ़तूहात-ए-फिरोजशाही में हुआ है।

प्रश्न:- फिरोजशाह तुगलक ने खराज की वसूली के लिए किसको नियुक्त किया था?

उत्तर:- फिरोजशाह तुगलक ने खराज की वसूली के लिए ख्वाजा हिसामुद्दीन को नियुक्त किया था ।

प्रश्न:- फिरोजशाह तुगलक के प्रधानमंत्री कौन थे?

उत्तर:- फिरोजशाह तुगलक के प्रधानमंत्री मलिक मकबूल गायक थे जिनको ‘खाने-जहां-तेलंगानी’ की उपाधि मिली थी ।

प्रश्न:- फिरोजशाह तुगलक ने अपना राज्याभिषेक कितनी बार कराया था?

उत्तर:- फिरोजशाह तुगलक ने अपना राज्याभिषेक दो बार कराया था ।

प्रश्न:- फिरोजशाह तुगलक के दो नहरों का उल्लेख किसने किया है?

उत्तर:- फिरोजशाह तुगलक के दो नहरों का उल्लेख शम्स-ए-सिराज अफीफ ने ‘तारीख-ए-फिरोजशाही’ में किया है।

प्रश्न:- फिरोजशाह तुगलक द्वारा सबसे लंबी नहर कौंन सी थी?

उत्तर:-फिरोजशाह तुगलक द्वारा सबसे लंबी नहर उलुगखानी नहर थी जो यमुना से हिसार तक जाती थी और यह नहर 150 मील लंबी थी ।

Important Gyan के इस सीरीज में मैं आप लोगों को ये बताने का प्रयास किया कि फिरोज शाह कौन था और इसने कौन से मुख्य कार्य किया ? मित्रों मुझे अपनी लेखनी को यहीं पर समाप्त करने का इजाजत दीजिये। Firoz shah Tughlaq

अगर कहीं कोई त्रुटि रह गयी हो तो मानवीय भूल समझ कर क्षमा कर दीजियेगा और कोई सुझाव हो तो जरूर दें हम अपने लेख में उचित स्थान देंगे और कोई प्रश्न हो तो जरूर पूछे। Firoz shah Tughlaq

आप लोगों को और अपना ज्ञानवर्धन करना चाहिए, अगर आप लोगों को लगता है की हमें और क्या पढ़ना चाहिए तो आप www.importantgyan.com के वेबसाईट पर नियमित विज़िट करके अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं । Firoz shah Tughlaq

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