निजामुद्दीन औलिया जो महबूब ए इलाही नाम से प्रसिद्ध थे और एकमात्र सूफी संत जो Nizamuddin Auliya in Hindi

निजामुद्दीन औलिया जो महबूब ए इलाही नाम से प्रसिद्ध थे Nizamuddin Auliya in Hindi

“गोरी सोवत सेज पर मुख पर डेल केश, चल घर खुसरो आपने रैन भई सब देश”

नमस्कार साथियों!

Important Gyan के इस सीरीज में आप सभी का स्वागत है । आज हम ब करेंगे चिश्ती सिलसिले के प्रमुख सूफी संत निजामुद्दीन औलिया के बारे में ।

आज आप जानेगे की शेख निजामुद्दीन औलिया कौन थे। शेख निजामुद्दीन औलिया का जन्म कब हुआ था । शेख निजामुद्दीन औलिया के माता पिता का नाम क्या था । शेख निजामुद्दीन औलिया की दरगाह कहाँ है । शेख निजामुद्दीन औलिया किस सूफी संत के शिष्य थे आदि बातों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे । Nizamuddin Auliya in Hindi

शेख निजामुद्दीन औलिया का जन्म कब हुआ था?

शेख निजामुद्दीन औलिया का जन्म 1238 ईस्वी में उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में हुआ था ।

शेख निजामुद्दीन औलिया कौन थे?

ये चिश्ती घराने के चौथे संत थे।  ये वैराग्य और सहनशीलता के आधार स्तम्भ थे और काफी लोकप्रिय भी । शेख निजामुद्दीन औलिया ने कुल 7 सुल्तानों का शासन देखा था और आमिर खुशरों इन्ही के शिष्य थे । Nizamuddin Auliya in Hindi

शेख निजामुद्दीन औलिया के माता पिता का नाम क्या था?

इनके पूर्वज बल्ख यानि की बुखारा के मूल निवासी थे । इनकी माता का नाम जुलेखा था और पिता का नाम सैयद अहमद था ।

शेख निजामुद्दीन औलिया किस सूफी संत के शिष्य थे?

आपको बता दें की ये बदायूं से शिक्षा दीक्षा लेकर दिल्ली आए और यहाँ पर कमालउद्दीन जाहिद के शिष्य बने । जब ये 20 वर्ष के थे तो ये फरीदुददिन गजशक्कर के शिष्य बने जिनको बाबा फरीद कहा जाता था । ये अजोधन  (पाकिस्तान में पाकपाट्टन शरीफ) में ही बाबा फरीद के शिष्य बने थे। लेकिन इन्होंने इसे अपना निवास स्थान नहीं बनाया था।

शेख निजामुद्दीन औलिया की प्रमुख उपाधि थी ‘महबूब-ए-इलाही’ और सुल्तान-ए-औलिया(सुल्तानों के राजा), जग उजियारे और कुतुब-ए-देहली ।

आपको बता दें की अलाउद्दीन के उत्तराधिकारी कुतुबमुबारक खिलजी ने अपने को ही खलीफा घोषित कर लिया था और इसने मस्जिद-ए-मिरी नामक मस्जिद का निर्माण करवाया और यहीं पर औलिया को नमाज पढ़ने के लिए कहा । Nizamuddin Auliya in Hindi

‘हुनुज दिल्ली दूरअस्त’  नामक प्रसिद्ध वाक्य शेख निजामुद्दीन औलिया का ही गायसुद्दीन तुगलक के लिए है ।

शेख निजामुद्दीन औलिया की मृत्यु?

शेख निजामुद्दीन औलिया की जब मृत्यु 1325 ईस्वी के लगभग हुई तो उनके मृत्यु पर आमिर खुसरो ने लिखा था-“गोरी सोवत सेज पर मुख पर डेल केश, चल घर खुसरो आपने रैन भई सब देश” । इनकी मृत्यु के छः महीने बाद ही अमीर खुसरो की भी मृत्यु हो गई ।

शेख निजामुद्दीन औलिया की दरगाह कहाँ है?

शेख निजामुद्दीन औलिया ने दिल्ली के पास ग्यासपुर में अपनी खानकाह बनाया था । यहाँ पर विभिन्न समुदायों के लोगों को खाना खिलाया जाता था ।

इन्होंने चिश्ती सिलसिले को काफी ऊंचाई तक ले जाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किया था। शेख निजामुद्दीन औलिया सभी धर्मों में काफी लोकप्रिय हुए और इन्होंने लगभग सात सुल्तानों का शासन काल देखा था ये इनकी के बड़ी उपलब्धि थी ।

इसके अलावा आपको बता दें की अमीर हसन नामक विद्वान ने “फवायद-उल-फवाद” में इनके मलफूजातों(वचनों,उपदेश , वार्ता) को संकलित किया था । अमीर हसन को भारत का सादी कहा जाता है ।  Nizamuddin Auliya in Hindi

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अगर कहीं कोई त्रुटि रह गयी हो तो मानवीय भूल समझ कर क्षमा कर दीजियेगा और कोई सुझाव हो तो जरूर दें हम अपने लेख में उचित स्थान देंगे और कोई प्रश्न हो तो जरूर पूछे। Nizamuddin Auliya in Hindi

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