आलाउद्दीन खिलजी बाजार नियंत्रण Alauddin Khilji market policy in Hindi
अलउद्दीन खिलजी की बाजार व्यवस्था
अलाउद्दीन ने केंद्र में एक बड़ी सेना रखा और उसे नकद वेतन दिया । चूंकि उस सेना पर व्यय बहुत ज्यादा आ रहा था । अतः अलाउद्दीन ने जनता के सामने एक बाजार नियंत्रण व्ययस्था स्थापित किया था । Alauddin Khilji market policy in Hindi
बाजार नियंत्रण और वस्तुओं के मूल्यों को निर्धारित करने अलाउद्दीन का एकमात्र लक्ष्य राजनीतिक था । एक बड़ी सेना रखना, अपने सैनिकों को एक निश्चित और नकद वेतन देना और उनके लिए सुविधाएं उपलब्ध कराना और इसकी पूर्ति के लिए वस्तुओं के मूल्यों को बढ़ाने से रोकना इसका मुख्य लक्ष्य था । अतः बाजार नियंत्रण इस लक्ष्य की पूर्ति में एक साधन था ।
अलाउद्दीन खिलजी के बाजार व्यवस्था की प्रशंसा नसीरुद्दीन चिराग देहलवी की रचना “खयारूल मजलिश” में की गई है । Alauddin Khilji market policy in Hindi
जैसा की यू एन राय ने कहा है “ मुद्रा प्रसार के कारण मूल्य बढ़ने की संभावना”
अलाउद्दीन खिलजी ने बाजार व्यवस्था के लिए “दीवान-ए-रियासत” अर्थात वाणिज्य मंत्रालय की स्थापना किया था । इसका अधिकारी ‘नाजिर याकूत’ था ।
बरनी की तारीख ए फिरोजशाही से अलाउद्दीन खिलजी के आर्थिक सुधार की विस्तृत जानकारी मिलती है ।
गल्ला मंडी
आपको बता दें की अलाउद्दीन का सबसे प्रमुख बाजार ‘गल्ला मंडी’ अर्थात अनाज रखने का बाजार था ।
इसके लिए अलाउद्दीन ने कुल आठ अधिनियम(जबाबीत) बनाए थे इसका उल्लेख बरनी ने किया है ।
- सभी अनाजों की कीमतें निर्धारित की । अर्थात सभी प्रकार के गल्लों का भाव निश्चित किया गया ।
- मलिक उलुग खानी को गल्ला मंडी(शहना-ए-मंडी) का शहना नियुक्त किया था।
- अनाज की वसूली गल्ले के रूप में कराई ।
- घुमक्कड़ व्यापारियों को यमुना नदी के किनारे बसने के लिए बाध्य किया ।
- जमाखोरी और कम तौलने वालों को उतना माँस कटवा लेता था।
- राजस्व अधिकारियों से यह लिखित रूप से समझौता किया जाता था की वह किसानों को खलिहानों में ही अनाज बेचने के लिए विवश करें ।
- बाजार की खबर हेतु बरीद(गुप्तचर) और मुनही(मुहाईयां) लोगों को नियुक्त किया था।
- राशनिंग व्यवस्था-आपात काल की स्थिति में अनाजों का वितरण इसी से किया जाता था ।
सराय-ए-अदल(न्याय का स्थल)-कपड़ा मंडी या निर्मित वस्तुओं का बाजार
अलाउद्दीन ने इस बाजार के लिए राज्य की तरफ से आर्थिक सहायता प्रदान की । इस बाजार के लिए भी कुल पाँच नियम थे ।
- बदायूं के गेट पर कपड़ा बाजार का निर्माण ।
- वस्तुओं की कीमत निर्धारित की
- सभी व्यापारियों का विभाग में पंजीकरण ।
- मुल्तानी व्यापारियों(हिन्दूव्यापारी) को 20 लाख टँका की सहायता उपलब्ध कराया गया । कभी कभी इनको शासकीय एजेंट भी कहा जाता था । ये कमीशन प्राप्त करने वाले लोग थे।
- कीमती वस्त्रों हेतु पर्मिट लेना पड़ता था। परमिट देने वाला अधिकारी परवाना नवीस कहलाता था ।
- नाजिर याकूत ही इस विभाग का प्रधान होता था ।
घोड़े और दासों का बाजार
अमीर खुसरो ने कहा है की घोड़े और नगर में सब में भाव समान रहे ।
मोरलैंड-दिल्ली को शेष प्रांतों से पृथक रखा गया ।
इरफानहबीब-दिल्ली का अभिजात वर्ग जिनके पास पैसा था ।
अलाउद्दीन चाहता था की सभी वस्तुएं निश्चित मूल्य पर बेची जाए और वह उसमें सफल भी रहा । लेकिन क्या इससे सभी वर्ग के लोग संतुष्ट या लाभान्वित थे? इस बात पर भी चर्चा करना जरूरी है ।
- इस व्यवस्था से किसानों को कोई लाभ नहीं हुआ ।
- कारीगरों को भी इससे कोई विशेष लाभ नहीं हुआ था।
- व्यापारी वर्ग इससे संतुष्ट नहीं हो सकता था।
इतना तो जरूर कहा जा सकता है की अलाउद्दीन खिलजी की बाजार व्यवस्था उसी काल में सफल रही लेकिन इसके मूल आधार पर ही दोष था । इस तरह की व्यवस्था को लंबा चलाने के लिए सदैव राज्य विस्तार और सैन्य व्यवस्था की जरुरत होती है । Alauddin Khilji market policy in Hindi
लेकिन अलाउद्दीन खिलजी के उत्तराधिकारी कुतुबउद्दीन मुबारकशाह को न साम्राज्य विस्तार की लालसा थी न ही मँगोल आक्रमण का भय था । अतः इसको बड़ी सेना रखना और उनके खर्चे को वहन करना ये उसको जरूरत नहीं था । हालांकि वो इसके लिए योग्य भी नहीं था ।
अलाउद्दीन खिलजी की बाजार व्यवस्था शक्ति पर आधारित थी अतः यह लंबे समय के लिए नहीं चलाई जा सकती थी । अतः अलाउद्दीन के मरते ही यह बाजार व्ययस्था समाप्त हो गई । Alauddin Khilji market policy in Hindi
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प्रश्न:-खयारूल मजलिस किसकी रचना है?
उत्तर:-चिराग-ए-दहलवी की रचना है ।
प्रश्न:-किसने कहा है “मुद्रा प्रसार के कारण मूल्य बढ़ने की संभावना”
उत्तर:-यू एन डे ने कहा था ।
प्रश्न:-अलाउद्दीन खिलजी की तीसरी बाजार व्यवस्था क्या थी?
उत्तर:-घोड़े और दासों का था ।
प्रश्न:-सराय ए अदल क्या था?
उत्तर:-न्याय का स्थल था । विनिर्मित वस्तुओ का बाजार ।
प्रश्न:-गल्ला मंडी क्या था?
उत्तर:-अलाउद्दीन खिलजी का सबसे प्रमुख बाजार था जो अनाजों का बाजार था ।
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Important Gyan के इस सीरीज में मैं आप लोगों को ये बताने का प्रयास किया कि अलाउद्दीन खिलजी की बाजार व्यवस्था कैसी थी? मित्रों मुझे अपनी लेखनी को यहीं पर समाप्त करने का इजाजत दीजिये। Alauddin Khilji market policy in Hindi
अगर कहीं कोई त्रुटि रह गयी हो तो मानवीय भूल समझ कर क्षमा कर दीजियेगा और कोई सुझाव हो तो जरूर दें हम अपने लेख में उचित स्थान देंगे और कोई प्रश्न हो तो जरूर पूछे। Alauddin Khilji market policy in Hindi
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