Bharat ka Pratham governor general Kaun tha

Bharat ka Pratham governor general Kaun tha

Bharat ka Pratham governor general Kaun tha:साथियों! आज हम पढ़ेंगे की भारत के प्रथम गवर्नर जनरल कौन थे?

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Bharat ka Pratham governor general Kaun tha:लॉर्ड एमहर्स्ट के कार्यकाल समाप्त होने के बाद बैंटिक भारत में प्रथम गवर्नर जनरल बनकर आए । इन्होंने अपना कार्यभार जुलाई 1828 ईस्वी में संभाल लिया था ।

इनका जीवन सेना में एक एनसाइन पद से शुरू हुआ था और जल्द ही प्रगति करते हुए 1803 ईस्वी में मद्रास के गवर्नर बन गए लेकिन 1806 में इन्होंने सैनिकों को माथे पर जातीय चिन्ह लगाने और कानों में बालियाँ पहनने से मना कर दिया । इस कारण वेल्लोर में सैनिक विद्रोह हो गया । Bharat ka Pratham governor general Kaun tha

आपको बताते चलें की विलियम बैंटिक का एक अन्य नाम केवेनडीश बैंटिक था और ये एक कट्टर व्हीग(उदारवादी) थे । ये भारत के प्रथम गवर्नर जनरल पद पाने का गौरव प्राप्त कर चुके हैं । इनका शासन काल अधिकांशतः शांतिपूर्ण था । ये भारतीय रियासतों के मामले में अहस्तक्षेप की नीति अपनाए थे ।

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बैंटिक द्वारा सती प्रथा का अंत:-

बैंटिक के प्रयासों से दिसंबर 1829 ईस्वी के नियम 17 द्वारा विधवाओ को जलाना अवैध धोषित कर दिया गया । इस प्रयास में राजा राम मोहन राय की महती भूमिका थी ।

इसके साथ ही देवी देवताओं के सामने हो रही नर-बलि प्रथा को बंद कर दिया गया राजपूतों में लड़कियों की शिशु हत्या पर भी प्रतिबंध लग गया । Bharat ka Pratham governor general Kaun tha

बैंटिक द्वारा ठगी प्रथा का अंत:-

ठग एक प्रकार से लोगों के रुपये समान छिन लिया करते थे । इनके वर्ग में डाकुओं और चोरों का एक वर्ग था । इनका मुख्य काम लूटपाट करना था । इनको ‘फाँसीगर’ कहना ज्यादा ठीक होगा ।

इनके अत्याचार इतने बढ़ गए थे की कर्नल स्लीमन को ठगों के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिए नियुक्त किया गया । 1837 ईस्वी के बाद ठगों का अंत कर दिया गया । Bharat ka Pratham governor general Kaun tha

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बैंटिक द्वारा सरकारी सेवाओं में भेदभाव का अंत:-

लॉर्ड कार्नवालिस के समय से चल रही सरकारी सेवाओं में भेदभाव का अंत कर दिया गया और 1833 के चार्टर एक्ट की धारा 87 को आधार बनाकर योग्यता ही सेवा का आधार बनाया गया ।

इसमें यह विधान किया गया की किसी भी भारतीय नागरिक को उसके धर्म, जन्मस्थान, जाति या रंग के आधार पर किसी भी पद से वंचित नहीं किया जाएगा । Bharat ka Pratham governor general Kaun tha

बैंटिक द्वारा समाचार पत्रों के प्रति उदार नीति-

साथियों आपको बताते चलें की बैंटिक समाचार पत्रों के प्रति एक उदार नीति का पालन किये थे । इसके साथ ही वे इसको “असंतोष से रक्षा का अभिद्वार” मानते थे ।

बैंटिक वाद-विवाद और अंतिम निर्णय में भेद को स्वीकार करते थे । जब उन्होंने देखा की भारतीय और यूरोपीय पत्रकार पूर्ण स्वतंत्रता की मांग कर रहे हैं तो उन्होंने ने उनको संतोषजनक आश्वासन दिया लेकिन मार्च 1835 ईस्वी में ये अस्वस्थ हो गए और अपने पद से त्यागपत्र दे दिए । Bharat ka Pratham governor general Kaun tha

अतः समाचार पत्रों पर से सभी प्रकार की पाबंदी हटाने का पूरा श्रेय चार्ल्स मेटकाफ के झोली में आ गया ।

बैंटिक द्वारा शिक्षा में सुधार:-

बैंटिक महोदय ने शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए एक समिति बनाई-एक पक्ष था “प्राच्य विद्या के समर्थक” जिसके प्रमुख थे-विल्सन और प्रिंसेप बंधु और दूसरा पक्ष था “पाश्चात्य और आंग्ल विद्या के समर्थक जिसके प्रमुख ट्रेवेलीयन महोदय और राजाराम मोहन राय समर्थक । मैकाले इसका अध्यक्ष बनाए गए ।

मैकाले ने अपने विचारों को 2 फरवरी 1835 ईस्वी में अपने स्मरण पत्र में प्रतिपादित किया था । इसने भारतीय विषयों की खिल्ली उड़ाई ।

मैकाले के विचार 7 मार्च 1835 ईस्वी में एक प्रस्ताव के द्वारा अनुमोदित कर दिया गया । इसमें इस बात का विधान किया गया की उच्च स्तरीय प्रशासन की भाषा अंग्रेजी होगी । 1835 ईस्वी में ही बैंटिक ने कलकत्ता में मेडिकल कालेज की नींव रखे ।

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बैंटिक द्वारा वित्तीय व्यवस्था में सुधार:-

बर्मा युद्ध ने ब्रिटिश सरकार का कोष रिक्त कर दिया और आय से अधिक व्यय होने लगा । अर्थव्यवस्था चरमरा रही थी की इसी बीच बैंटिक ने दो समितियाँ नियुक्त किया । Bharat ka Pratham governor general Kaun tha

एक सैनिक और दूसरी असैनिक । इनको बचत का सुझाव देना था । कोर्ट ऑफ डाईरेक्टरर की आज्ञा से सैनिक और असैनिक भत्ता कम कर् दिया गया ।

अगर सेना कलकत्ता के 400 मिल की परिधि में नियुक्त सैनिक का भत्ता आधा कर दिया गया । इधर पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत अर्थात आधुनिक उत्तर प्रदेश में रॉबर्ट मर्टिनस बर्ड के निरीक्षण में भूमि व्यवस्था से अधिक लाभ होने लगा ।

इसके अलावा अफीम व्यापार को नियमित और अनुपत्रित किया गया तथा साथ ही लोहे,कोयले,चाय,काफी के बगीचों और नहरों को प्रोत्साहन दिया गया ।

इस तरह कंपनी का घाटा पूरी तरह से लाभ में बदलता चला गया ।

बैंटिक द्वारा न्यायिक सुधार:-

योग्यता प्राप्त भारतीयों को मुंसिफ़ का पद मिलने लगा और इनकी पदोन्नति सदर अमीन तक हो सकती थी ।

न्यायालयों की भाषा फारसी के विकल्प और अन्य भाषाएं बनीं और ऊंचे न्यायालयों में अंग्रेजी भाषा का प्रयोग होने लगा ।

प्रांतीय अपीलीय और सर्किट न्यायालयों में काम बढ़ने के कारण और कार्यविधि बिलंब होने के कारण बंद कर दिए गए और ये जिम्मेदारी मजिस्ट्रेट और कलक्टर को दे दिया गया ।

इलाहाबाद में सादर निजामत अदालत और दिल्ली तथा उत्तर प्रदेश में पृथक सादर दीवानी अदालत बनें ।

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बैंटिक के भारतीय रियासतों के प्रति नीति:-

इनकी भारतीय रियासतों के प्रति तटस्थता की नीति थी । जहां संभव था वहाँ तटस्थता की नीति और जहां उग्रता थी वहाँ अधिग्रहण । जयपुर और हैदराबाद में तटस्थता की नीति और मैसूर, कुर्ग तथा कछाड़ में अधिग्रहण की नीति ।

बैंटिक का मूल्यांकन

ब्रिटिश इतिहास में एक अद्भुत बात थी की पुराने लगातार हो रहे युद्ध नीति को एक तरह से तिलांजलि दे दी गई और सुधार, प्रोत्साहन तथा सुदृढीकरण को बल प्रदान किया गया । कुछ कुरीतियों को समाप्त किया गया और व्यापार, शिक्षा को एक नई दिशा दी गई । भारतीय इतिहास में बैंटिक का नाम सामाजिक तथा प्रशासनिक सुधारों के लिए जाना जाता है ।

लेकिन दूसरी तरफ इनके शासन काल की आलोचना भी हुई । इनके काल को उपलब्धियों से रहित काल कहा गया तथा सैनिक और प्रशासनिक शासक रूप में एक आलोचना की गई । Bharat ka Pratham governor general Kaun tha

खैर हर काल और हर परिस्थिति में कोई न कोई खूबी और कमी होती है अतः हम किसी की पूरी तरह तारीफ और आलोचना नहीं कर सकते हैं । सब में कुछ अच्छाइयाँ और बुराईयाँ होती हैं चाहें वो व्यक्ति विशेष हो या व्यवस्था संस्था विशेष हो ।

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प्रश्न:-किसके बाद बैंटिक भारत के गवर्नर जनरल बने?

उत्तर:-लॉर्ड एमहर्स्ट के पश्चात ।

प्रश्न:-बैंटिक कार्यकाल क्या था?

उत्तर:-बैंटिक कार्यकाल 1828 ईस्वी से 1835 ईस्वी के बीच में था ।

प्रश्न:-वैलोर में सैनिक विद्रोह कब हुआ था?

उत्तर:-1806 ईस्वी में ।

प्रश्न:-ठगों का अंत किसने किया था?

उत्तर:-कर्नल स्लीमन ने बैंटिक के काल में ।

प्रश्न:-शिक्षा नीति को सुधार करने वाली बनी समिति के अध्यक्ष कौन थे?

उत्तर:-मैकाले थे।

प्रश्न:-बैंटिक ने योग्यता ही सेवा का आधार किस सन में पारित किया था?

उत्तर:-1837 के धारा 87 के अनुसार ।

प्रश्न:-विधवाओं को जालना अवैध घोषित किया गया?

उत्तर:-दिसंबर 1829 के नियम 17 द्वारा ।

Important Gyan में आज आपने जाना Bharat ka Pratham governor general Kaun tha

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