safalta ke 11 Sutra: भगवान श्री कृष्ण ने जीवन में सफलता के लिए 11 सूत्र बताएं हैं जिसका पालन हर एक प्राणी को करना चाहिए। अगर अपने जीवन को सफल बनाना चाहते हैं तो आपके लिए ये जरूरी है इन नियमों का तन्मयता के साथ पालन करें । ये सिर्फ सूत्र नहीं बल्कि जीवनी मंत्र हैं । अगर आप ईमानदारी से इसका पालन करते हैं तो आप अपने आप को सफलता के बहुत ही करीब पाएंगे ।
आप इन नियमों का पालन करके न सिर्फ सफल हो सकते हैं बल्कि इस रास्ते पर चलकर आप मोक्ष,बुद्धत्व,कैवल्य की प्राप्ति कर सकते हैं साथ ही आप आपने स्वरूप को भी पहचान लेंगे और जन्म मरण के बंधन से भी मुक्त हो जाएंगे । आपको आत्मज्ञान हो जाएगा और अंततः ईश्वर की प्राप्ति भी संभव है ।
Safalta ke 11 Sutra-पहला सूत्र
पहला सूत्र:-भगवान श्री कृष्ण कहते हैं की जब भी आप लक्ष्य की प्राप्ति हेतु संघर्षों के दौर से गुजर रहे हैं और सफल नहीं हो पा रहे हैं तो आप लक्ष्य एकदम नहीं बदले रणनीति बदलें, कार्य करने का ढंग बदलें अपनी सोंच में सुधार लाएं और हार्ड वर्क के साथ ही स्मार्ट वर्क भी करें । साथ ही अपने जीवन को सफल बनाने के लिए आप अपने माता पिता, इष्टदेव और गुरु से भी लगातार प्रार्थना करते रहें ।
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Safalta ke 11 Sutra-दूसरा सूत्र
दूसरा सूत्र:-हमेशा प्रसन्न रहें, मुस्कराते रहें। इसको कृष्ण भगवान ने एक तप कहा है । जो व्यक्ति हर हाल में मुस्कराते हुए अपना दिनचर्या व्यतीत करता है उसका जीवन हमेशा उत्तम मार्ग पर जाता है । उसको कोई विपरीत ग्रह परेशान नहीं कर सकते हैं ।
Safalta ke 11 Sutra-तीसरा सूत्र
तीसरा सूत्र:-वासना,काम और क्रोध ये तीनों आत्मविनाश के तीन मार्ग हैं । जब व्यक्ति क्रोध करता है तो उसके मन में ब्रह्म पैदा हो जाता है । भ्रम पैदा होने से बुद्धि और तर्क करने की क्षमता नष्ट हो जाती है और इस तरह व्यक्ति का पतन हो जाता है । जो व्यक्ति क्रोध, लोभ, काम से रहित होकर जीवन जीता है वही उत्तम मार्ग को प्राप्त होता है और सफलता उसी को वरती है ।
Safalta ke 11 Sutra-चौथा सूत्र
चौथा सूत्र:-यदि व्यक्ति विश्वास को आत्मसात करते हुए जागृत कर लेता है तो फिर वही विश्वास उस व्यक्ति के सफलता के द्वार को खोलती है । जो व्यक्ति जैसा विश्वास कर लेता है वह वैसा ही बन जाता है । अतः विश्वास और आत्म विश्वास के ताकत को पहचानें । ये आपका धरोहर है आपकी जिंदगी है और आपका निर्माण है । अगर खुद का नव निर्माण करना चाहते हैं तो अपने को विश्वास से नियमित तराशें फिर लोग आपको तलाशेंगे । खुद को विश्वास से संकल्पित करें ।
Safalta ke 11 Sutra-पाँचवाँ सूत्र
पाँचवाँ सूत्र: इस सूत्र में श्री कृष्ण भगवान ने मन के बारे में बात किया है । वे मन को एक बहरूपिया के रूप में संबोधित करटे हुए कहते हैं की मन तुम्हारा मित्र और शत्रु दोनों है । यह सबसे बड़ा बहरूपिया होता है जो हर पल एक नया स्वांग रचता है । अगर इसको साध कर नियंत्रित कर लिए तो फिर ये आपका मित्र हो जाएगा ।
लेकिन अगर आप मन के वश में हुए तो फिर ये आपका सबसे बड़ा शत्रु बन जाएगा और आपका विनाश करने में तनिक भी समय न लगाएगा । अतः गीता के माध्यम से कृष्ण भगवान कहते हैं की तुम इस मन का दास न बनो बल्कि इसी को अपना दास बना लो। फिर देखो आपके जीवन में क्या कमाल होता है । अगर आप मन पर नियमित काम करेंगे तो आप इसको जरूर साध लेंगे । अपने मन को केंद्रित करने के लिए इसको पढ़ें-
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Safalta ke 11 Sutra- छठवाँ सूत्र
छठवाँ सूत्र:-हमेशा निर्भीक बनो-कृष्ण भगवान कहते हैं की तुम हमेशा निर्भीक बनो । सत्यवान कभी डरते नहीं । तुम एक आत्मा हो न की शरीर । आत्मा कभी न मरती है न मिटती है । स्वयं को आत्म स्वरूप समझो । जो स्थायी नहीं है उससे क्यों डरते हो आगे बढ़ो और विजयी हो । प्रबुद्ध व्यक्ति के लिए सोने का ढेर, पत्थर का ढेर, या कूड़े का ढेर सब समत्वरुप में है । इन सबसे वो कभी विचलित नहीं होता है ।
Safalta ke 11 Sutra- सातवाँ सूत्र
सातवाँ सूत्र:-संशय से दूर रहो! मन में शंका या संदेह में रहकर जीने वाले लोग न तो इस लोक में और न ही स्वर्ग लोक में कहीं सुख नहीं पाते हैं । और सफलता तो बहुत दूर की बात है । दुविधाग्रस्त मन सागर में हमेशा हिलोरे लेता रहता है । ऐसे व्यक्ति कभी पार नहीं पाते हैं । दुविधाग्रस्त मनुष्य दिशाहीन,निर्णयहीन और भटकती हुई जिंदगी जीते हैं। अतः मन से शंका को खत्म करो और आगे बढ़ो और ये पूरा विश्वास रखो की ईश्वर तुम्हारे साथ हमेशा है और तुम खुद में भी शक्तिमान हो!
Safalta ke 11 Sutra-आठवाँ सूत्र
आठवाँ सूत्र:-आत्मा अमर है । ये कभी न मरती है और न जन्म लेती है । इस संसार में सभी प्राणी जन्म से पहले बिना शरीर के थे और मरने के बाद भी बिना शरीर के ही हो जाएंगे । आत्मा नित्य,अजर अमर,शाश्वत और पुरातन है । न इसे कोई काट सकता है और न इसे कोई जला सकता है । अतः अपने को आत्मसवरूप में स्थापित करके जियो और मन से डर खत्म कर दो । भय चिंता से मुक्त हो जो ।
Safalta ke 11 Sutra-नौवां सूत्र
नौवां सूत्र:-कर्मयोगी बनिए-सबसे ज्यादा कृष्ण भगवान ने कर्म को बल दिया है । कृष्ण जी का कहना है की कर्महीन व्यक्ति मृतक के समान होता है । हर हाल में हर प्राणी को कर्म करना है । कर्म के बिना जीवन नहीं । लेकिन ध्यान रहे कृष्ण भगवान ने स्थितप्रज्ञ होकर कर्म करने के लिए कहा है । समत्व भावना में होकर कर्म करता हुआ व्यक्ति कर्म करता है तो उसे पाप और पुण्य कभी नहीं सताता है । ऐसे व्यक्ति को भी शास्त्रों ने नरोत्तम कहा है । ऐसा व्यक्ति हर जगह सफल होता होता ।
Safalta ke 11 Sutra-दसवां सूत्र
दसवां सूत्र:-कृष्ण भगवान कहते हैं की जो प्राणी मेरे साथ हैं मैं उसके साथ हूँ । पूरा ब्रह्मांड मुझमें है । मेरी इच्छा से ही ये सब प्रकट होते हैं और अपना कर्म करते हुए मुझमें ही समा जाते हैं । जो मुझपर विश्वास करके मेरी भक्ति करते हुए जीते हैं वे सब मेरे अंदर समा जाते हैं ।
जो प्राणी हमेशा नीचता में जीते हैं और बुरे कर्म करते हैं वे मेरी भक्ति से वंचित रह जाते हैं । जो प्रेमी है, प्रेम करते हैं और वो मेरी भक्ति को पाते हैं और उनके जीवन का उद्धार होता है । जो कर्म करते हुए भक्ति करते हैं वो कर्म करते हुए जीवन जीते हैं वो निश्चित तौर पर उत्तम जीवन जीते हैं और अंत में परमात्मा में विलीन हो जाते हैं । अपने जीवन को उत्तम बनाने के लिए जीवन जीने कि कला सीखें-
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Safalta ke 11 Sutra-ग्यारवाँ सूत्र
ग्यारवाँ सूत्र:-ईश्वर हर वस्तु में है और हर वस्तु ईश्वर में है । जो समत्व और प्रबुद्ध व्यक्ति होते हैं वो ईश्वर के सिवा और किसी भी चीज पर निर्भर नहीं करते हैं । निष्काम भाव से कर्म करते हुए जीवन जीते हैं और सभी कर्तव्यों का पालन करते हैं ।
Important Gyan में साथियों आपने आज जाना की सफलता के 11 सूत्र कौन से हैं और इसका कैसे पालन करना चाहिए । आप जीवन में सफल होना चाहते हैं तो इन सूत्रों को मंत्र की तरह श्रद्धा और विश्वास से होकर पालन करें । जीवन निश्चित तौर पर सफल होगा । जीवन उत्तम बनेगा और आप हर चीज पाने के हकदार होंगे ।