Karm aur bhagya Kya hai-कर्म और भाग्य क्या है?
नमस्कार साथियों!
आज आप लोगों का प्यार मुझे फिर नए लेख लिख़ने पर मजबूर कर दिया। इम्पोर्टेन्ट ज्ञान में आज भी हम ज्ञान की बातें दिल से करेंगे। आज का विषय बड़ा रोचक और ज्ञान परक है। हम कर्म या भाग्य का गुणगान नहीं करेंगे बल्कि निष्पक्ष भाव से वैज्ञानिक तौर पर विश्लेषण करेंगे जिसकी आधारशिला व्यावहारिक और अनुभव परक होगा।मेरे गुरु से जो ज्ञान मिला उसको हम यहाँ प्रश्तुत करेंगे।
रोचक कहानी कर्म और भाग्य के बारे में
एक बार कर्म और भाग्य में खुद को सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए झगड़ा हो गयाऔर दोनों तर्क-वितर्क करने लगे।कर्म कहता है कि सड़के तो मैंने बनायीं तो भाग्य कहता है की बनाया तो तुमने लेकिन चलता तो मैं ही हूँ। कर्म कहता है की इतनी बड़ी -बड़ी बिल्डिंग तो मैंने ही बनाया है ,तो भाग्य कहता है की रहता तो मैं ही हूँ।फिर कर्म कहता है कि ये हवाई जहाज ये ट्रैन और तमाम विकास का काम तो मैंने ही किया है, तो भाग्य कहता है की लेकिन इसका मजा तो मैं ही लेता हूँ।
कर्म करने वाले मजदूर कर्म तो कर रहे हैं लेकिन ये सारे सुख सुविधा भाग्य वाले व्यक्ति के पास है। अब दोनों में तर्क वितर्क होने लगा और विवाद ज्यादा बढ़ गया तो दोनों चले गए भगवान शिव के पास और उनसे कहे की कृपया आप ही बताइये कि हम दोनों में श्रेष्ट कौन है।
भगवान शिव ने दोनों से एक स्थान पर ठहरने के लिए इशारा किया लेकिन जहाँ पर शिव जी ने भेजा वहां तो एक बड़ी गुफा थी जब वे अंदर गए दोनों तो गुफा बाहर से बंद हो गया अंदर झाड़-झंखाड़ देख के और डरावनी आवाजें सुनके दोनों दुबक के रह गए और अपने विवाद भूल गए और जाके गुफा के कोने में बैठ गए और थोड़े देर बाद दोनों को भूख-प्यास लग गयी। जो कर्मयोगी था उसने देखा की एक कोने से पानी टपक रहा है तो उसने जैसे ही पत्थर हटाया पानी बहने लगा तो दोनों ने पानी पिया।
कर्मयोगी थोड़ा आगे बढ़ा तो उसने देखा की आगे कंदमूल है उसने उसको निकाला,धोया और खाने लगा तो ये देख कर भाग्य वाला व्यक्ति बोला कि मुझे भी दो भूख लगी है। कर्मयोगी को दया आ गयी और उसने कुछ कंदमूल दे दिया। दोनों ने खा लिए और एक जगह बैठ के भगवान से प्रार्थना किये की हमें इस गुफा से बहार निकालें। थोड़ी देर बाद गुफा खुली और दोनों बाहर आ गए।
भगवान शिव ने कुछ फैसला तो किया नहीं तो फिर दोनों विवाद में फंसे। कर्मयोगी बोला की न मैं मेहनत करता और नहीं तुमको पानी और कुछ भी खाने को मिलता मैंने दया की और तुमको दिया। भाग्य वाला व्यक्ति बोला की ये दया ही तो मेरा भाग्य है। पार्वती माँ वहाँ उपस्थित हुई और भाग्य वाले से बोली की ये जान लो भाग्य अलग से कुछ नहीं होता जो तुमने पहले कर्म किया है वही आज तुम्हारा भाग्य बना है और अब जो करोगे वो कल का तुम्हारा भाग्य बनेगा।
हर कर्म भाग्य है और हर भाग्य कर्म है। ये दोनों ही अपने स्थान पर महत्वपूर्ण है। कर्म एक क्रिया है और उसका परिणाम ही भाग्य होता है। उन्होंने कहा की ये जो हाथ तुमको मिले है वो ‘कर’ कहलाते हैं और ये दुनिया है वो कर्मभूमि है। तुम्हे जो शक्ति मिली है वो कर्म करने के लिए मिली है न की बैठने के लिए। तुम अपने कर्म से अपने भाग्य को महान बना सकते हो।
अब आपने कहानी तो पढ़ ली, उत्तर तो मिल गया पार्वती माँ की तरफ से लेकिन हम भी इस इस पर तर्क-वितर्क कर लें। प्रश्न यहाँ यह उठता है कि एक ही माँ बाप के चार लड़के हैं एक बहुत धनवान अधिकारी हो जाता है, एक के पास कुछ पैसे रहते है एक एकम गरीबी की जिंदगी जीता यही और एक नशा का जीवन जीता है। आखिर उस माँ-बाप ने अपने बच्चो के प्रति कोई पक्षपात तो किया नहीं होगा। हाँ आपके मन में ये प्रश्न जरूर उठ रहा होगा की बच्चों की गलतियां रहीं होगीं। लेकिन मैं पूछता हूँ की बच्चों ने गलतियां की ही क्यों? क्या कोई मन से गरीब ही बना रहना चाहता है। Karm aur bhagya Kya hai
एक मजदूर दिन-रात कर्म तो करता ही है, सारे विकास में क्या उसके कर्म नहीं जुड़े हैं?तो वो क्यों नहीं महलों का अधिकारी बन जाता है, अगर कर्म ही सबकुछ है तो? हम दोनों में से एक को बड़ा कैसे कर दें और दूसरे को छोटा कर दें। क्या दोनों (कर्म+भाग्य ) एक ही सिक्के दो पहलू नहीं लगता है? क्या एक दूसरे के बिना अधूरे नहीं हैं। अगर मीठा ही बड़ा है तो लोग कुछ तीखा क्यों खोजते हैं? क्या दोनों जरुरी नहीं हैं इस जीवन में।Karm aur bhagya Kya hai
हाँ पुरुषार्थ के बिना कुछ भी असंभव है। लेकिन किस्मत को भी हम झुठला नहीं सकते हैं। एक ब्यक्ति पुरुषार्थ करके जीवन में कुछ हासिल कर लेता है और मान लीजिये जीवन में कुछ विषम परिश्थियों का शिकार हो जाता है तो और एक समय के बाद सब कुछ ख़त्म होने लगता है तो वहां जा के कहता है की अरे मेरी तो क़िस्मत ही ख़राब है।जनाब एक IAS जो पुरे जिला चला रहा है आखिर वो कुछ समय बाद जा के फेल हो जाता है और आत्म हत्या तक कर लेता है। Karm aur bhagya Kya hai
दुनिया के बड़े बड़े मोटिवेटर अष्टवक्र गीता का हवाला देते हुए कहते हैं की अगर मजदूर हो, गरीब हो तो तुम्हारा बच्चा तो गरीब ही न होगा। अरे मैं उनसे पूछता हूँ की क्या आपने एक रिक्शा वाले के बच्चे को IAS या धनी बनते नहीं देखा है और क्या एक आईएएस है तो जरुरी नहीं की उसका बेटा भी IAS हो जायेगा।Karm aur bhagya Kya hai
जनाब एक बंद महल को खोलने के लिए एक छोटी सी चाबी ही काफी होती है हथौड़ा मरोगे तो ताला टूट जायेगा वैसे ही अगर आदमी को मोटीवेट करना है तो थोड़े ज्ञान में ही वो अपना रास्ता पकड़ लेगा और पुरुषार्थ करेगा तो बड़ा बन जायेगा। हमें लगता है की अगर आपके भाग्य में कुछ बनना है तो आपके के लिए एक ज्ञान और एक मोटिवेशन ही काफी है। अगर नहीं है भाग्य में तो मारते रहो हथौड़ा कुछ आप बनोगे नहीं।Karm aur bhagya Kya hai
भाग्य पुरुषार्थ से बनता है और पुरुषार्थ भाग्य से बनता है। तुलसीदास जी को तो उनकी पत्नी ने एक ही शब्द दोहे में कहा और वो इस दुनिया के तुलसीदास बन गए और रामचरित मानस लिख दिए। उठा लीजिये ऐसे लाखों उदारहरण आपके आस पास ही मिल जायेंगे। बहुत इतिहास-भूगोल नहीं पढ़ना पड़ेगा।ऐसे बहुत लोग हैं जिनको दिन-रात आप प्रेणा दीजिये कोई फर्क नहीं पड़ता कुछ लोगों को कुछ टिप्स और ज्ञान दे दीजिये वो जी जान से लग जाते हैं अपना करियर बनाने में। Karm aur bhagya Kya hai
ये दोनों ही शब्द एक दूसरे के बिना अधूरे है।लेकिन पुरुषार्थ (कर्म ) को सर्वोपरि रखा गया है क्योंकि अगर भाग्य हासिल करना है तो पुरुषार्थ तो करना ही पड़ेगा। अगर आपको IAS बनना है,आपके किस्मत मैं है तो कर्म तो करना ही पड़ेगा जनाब। Karm aur bhagya Kya hai
तो साथियों अब मुझे अनुमति दीजिये। आप अपने विचार और सुझाव जरूर दें। अगर आपके मन में भी कोई प्रश्न है तो जरूर पूछें। आपका दिन शुभ हो!
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FAQ
प्रश्न:-क्या कर्म ही सब कुछ होता है?
उत्तर-कर्म प्रधान है लेकिन भाग्य के साथ- साथ। ये दोनों ही शब्द एक दूसरे के बिना अधूरे है।लेकिन पुरुषार्थ (कर्म ) को सर्वोपरि रखा गया है
प्रश्न:-क्या हमें भाग्य पर भरोसा करना चाहिए ?
उत्तर:-आप सिर्फ भाग्य के भरोसे न रहें। आपको भाग्य से कुछ मिलेगा या नहीं इस बात की कोइर गॉरन्टी नहीं नहीं लेकिन कर्म से आप जरूर कुछ पालेंगे इस बात का भरोसा है।
प्रश्न:-क्या कर्म करने से भाग्य अच्छा हो जाता है?
उत्तर:-अपने कर्म के दम जिंदगी में बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं। पुरुषार्थ जीवन में बहुत मायने रखता है। आप अपने भाग्य का दरवाजा खोल सकते हो,अपनी किस्मत को पलट सकते हो। जीवन में सब कुछ आसान है, कठिन है तो सिर्फ आपका एक कदम बढ़ाना और आपकी सोच।
प्रश्न:- कर्म ही प्रधान है तो मजदूर क्यों नहीं धनी हो जाते हैं या सब सुख क्यों नहीं भोगते हैं?
उत्तर:-कभी कभी एक मजदूर भी धनी हो जाता है क्योंकि उसका भाग्य भी साथ होता है।मैंने देखा है जनाब मजदूर को भी आगे बढ़ते हुए।
प्रश्न :-क्या हमें भाग्य के ही भरोसे रहना चाहिए?
उत्तर:-नहीं! हमें सिर्फ भाग्य के भरोसे बैठ कर अपना जीवन नहीं जीना चाहिए हमें सबसे पहले कर्म पर भरोसा करना चाहिए भाग्य तो अपने आप आपके पीछे पीछे आएगा।