प्रेम,भक्ति,श्रद्धा,विश्वास,समर्पण ये प्रार्थना के प्रमुख ‘Key’ होते हैं !Prathna kaise karte hain-जानें सफलता का राज

Prathna kaise karte hain: साथियों आज हम इस लेख में जानेंगे की पिता परमेश्वर से प्रार्थना कैसे करें, ईश्वर से प्रार्थना कैसे करें, ईश्वर से प्रार्थना में क्या मांगे, प्रार्थना कितने प्रकार की होती है, प्रार्थना से क्या लाभ है,हमारे जीवन में प्रार्थना का क्या महत्व है, शिक्षा में प्रार्थना का क्या महत्व है, सुबह की प्रार्थना कैसे करें आदि बातों को हम विस्तार से समझेंगे ।

Prathna kaise karte hain: प्रार्थना के बारे में अच्छे से समझने के लिए आप इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें क्योंकि ये लेख आपको बहुत ज्यादा लाभ देने वाला है ।

Prathna kaise karte hain

Prathna kaise karte hain

Prathna kaise karte hain प्रेम,भक्ति,श्रद्धा,विश्वास,समर्पण ये प्रार्थना के प्रमुख ‘Key’ होते हैं जो ईश्वर तक आपके दिल की बात पहुंचाते हैं ।

प्रार्थना कितने प्रकार की होती है?

प्रार्थना मुख्य रूप से निम्न प्रकार की होती है-

  • व्यक्तिगत प्रार्थना
  • सकाम प्रार्थना
  • निष्काम प्रार्थना
  • समूह प्रार्थना
  • सामुदायिक प्रार्थना

व्यक्तिगत प्रार्थना

Prathna kaise karte hain जब व्यक्ति स्वयं के भलाई के लिए या सकूँन के लिए ईश्वर तक अपनी दिल की बात करता है या प्रार्थना करता है तो इसे ही व्यक्तिगत प्रार्थना कहते हैं । इसमें व्यक्ति विशेष सिर्फ अपने भले के लिए प्रार्थना करता है ।

सकाम प्रार्थना

जब प्रार्थना सिर्फ भौतिक सुख सुविधा, दुखों से मुक्ति के लिए किया जाता है तो उसे सकाम प्रार्थना कहा जाता है । अर्थात सिर्फ स्वार्थ को साधने के लिए ।

निष्काम प्रार्थना

Prathna kaise karte hain जब स्वार्थरहित होकर प्रार्थना की जाती है तो उसे निष्काम प्रार्थना कहा जाता है । जैसे जन कल्याण के लिए । पहले के ऋषि मुनि ये प्रार्थना किया करते थे ।

समूह प्रार्थना

जब समूह में किसी समस्या के समाधान के लिए प्रार्थना की जाती है तो उसे समूह प्रार्थना कहा जाता है । इसमें कई लोग एक साथ प्रार्थना करते हैं ।

सामुदायिक प्रार्थना

जब विश्व स्तर पर एक साथ सभी लोग भलाई के लिए मिलकर प्रार्थना करते हैं तो उसे ही सामुदायिक प्रार्थना कहते हैं । यह प्रार्थना राष्ट्र की भलाई के लिए किया जाता है जब विश्वस्तर पर कोई संकट आता है ।

परमेश्वर से प्रार्थना कैसे करें

Prathna kaise karte hain मैं जहां तक समझता हूँ प्रार्थना का न कोई रंग और न कोई रूप और न कोई भाषा होता है ये तो दिल से निकली हुई आवाज होता है जो ईश्वर तक पहुँचती है । अब हम इसके तरीके को देखें तो वास्तव में इसका कोई तरीका भी नहीं होता । बस आप जो भी टूटी फूटी भाषा में अपनी बात सच्चे दिल से ईश्वर तक पहुंचा दें वही प्रार्थना बन जाती है ।

Prathna kaise karte hain जब भी आप प्रार्थना करें उस प्रार्थना में ‘कैसे’ मत जोड़िए, आप अपने भीतर या हृदय से से भाव को उठने दीजिए, जब आपके भीतर से प्रार्थना का भाव उठेगा या निकलेगा, तो प्रार्थना अपने आप होती जायेगी, आपको करना नहीं पड़ेगा!  इसका प्रमुख कारण है की प्रार्थना गढ़ी नहीं जा सकती या प्रार्थना को बनाया नहीं जाता वो तो दिल से निकली हुई उदगार होती है, प्रार्थना हमेशा अनगढ़ होती है और हर प्राणी की अपनी अपनी होती है ।

Prarthna kaise karte hain आपको बताते चलें की प्रार्थना कोई कला नहीं होती है कि आप कहीं भी इसे सीख लोगे, और नहीं प्रार्थना की कोई पाठशाला नहीं होती है ,क्योंकि ज्यादातर देखा जाए तो पाठशालाओं ने ही प्रार्थना को गलत रूप दिया है, आपको एक रटी रटाई प्रार्थना सिखा दी गई, जिसमें आपका अपना कोई भाव नहीं है,कोई रूप नहीं है आपको जो दूसरों ने दिया या समझाया,आप वही रटे जा रहे हो ।

Prathna kaise karte hain जब भी कोई सिखाता है प्रार्थना! अगर आप वही बोलते हो जिसमें आपका कोई भाव नहीं है कोई उद्गार नहीं है तो फिर वो प्रार्थना नहीं बल्कि बनी बनाई बातें ही रह जाती ।

और यही आपकी अपनी प्रार्थना के उत्पन्न होने में बाधा बन जाता है, आपको अपने माता-पिता ने सिखा दिया, स्कूल में आपको सीखा दिया गया, इसके अलावा आपको पंडित पुरोहितों ने सिखा दिया, आपको मंदिरों में सीखा दिया, ये सब सीखी हुई, गढ़ी हुई प्रार्थना है । और यही आप रटी रटाई, गढ़ी गढ़ाई प्रार्थना ईश्वर के सामने बोलने लगते हो फीर आपका हृदय ईश्वर से जुड़ नहीं पाता है ।

Prathna kaise karte hain आप इतना जान लें की प्रार्थना में प्रेम, भक्ति, ऊर्जा, विश्वास होना चाहिए । आप चाहें जब भी करें, कैसे भी करें, किसी तरह भी करें इसका कोई मतलब नहीं है । ईश्वर सिर्फ आपका भाव, श्रद्धा, भक्ति, प्रेम और विश्वास देखता है ।आप किस स्तर तक समर्पित हो प्रभे के प्रति । आप समर्पण का भाव रखें ।

शिक्षा में प्रार्थना का क्या महत्व है?

Prathana kaise karte hain अगर विद्यार्थी नियमित अपनी पढ़ाई के साथ-2 प्रार्थना करता है तो उसकी बुद्धि हमेशा साफ और मन मस्तिष्क हमेशा चुस्त दुरुस्त रहता है । विद्यार्थी की सफलता उसकी कदम चूमती है। विद्यार्थी का जीवन सफल होता है ।

प्रार्थना से क्या लाभ है?

Prathna kaise karte hain वैसे प्रार्थना लाभ हानि देखकर नहीं की जाती है । अच्छे कार्य का परिणाम हमेशा अच्छा ही होता है । अगर आपने दिल से प्रार्थना किया है तो वो निष्फल कभी नहीं जाता है । प्रार्थना के अद्भूत लाभ होते हैं । आपकी सभी समस्याएं खत्म होती हैं आपकी जीवनी ऊर्जा बढ़ती है और आप हमेशा प्रसन्न रहते हैं । आप हमेशा ईश्वर से कनेक्ट रहते हैं और  आपके अंदर विनम्रता आती है । प्रार्थना से सिर्फ आप अपना ही नहीं बल्कि अपने समाज और राज्य का भी कल्याण करते हैं ।

प्रार्थना एक शक्ति, श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है । गांधी जी प्रार्थना के बल पर ही जीवन जीते थे और कभी नागा नहीं करते थे । अतः इसकी शक्ति को जरूर पहचानें आप लोग । वैसे बताते चलें की प्रार्थना करते समय मन में कोई भी शंका नहीं पाले और प्रार्थना पर पूर्ण विश्वास करें ।

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Sutikshna Rishi:- आज आपने क्या जाना? आज हम इस लेख में बताने का प्रयास किया है की Prathna kaise karte hain ya Prarthna kaise ki jati hai?

Important Gyan: शायद आप लोगों को अपने उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर मिल गया होगा लेकिन अगर कहीं कोई त्रुटि रह गयी हो तो मानवीय भूल समझ कर क्षमा कर दीजियेगा और कोई सुझाव हो तो जरूर दें हम अपने लेख में उचित स्थान देंगे और कोई प्रश्न हो तो जरूर पूछे।

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