Baijnath ki Katha भोले नाथ का सुन्दर भोग

Baijnath ki Katha भोले नाथ का सुंदर भोग

Baijnath ki Katha: आज के इस लेख में हम आपको बाबा बैजनाथ के बारे में विस्तार से बताएंगे की बैज नाथ कौन थे और उनकी सुंदर कथा क्या है । बैजनाथ ने अपने भोले स्वभाव से कैसे भोले नाथ को प्रभावित किया और उनकी कृपा पाई । यदि आप इनकी कथा के बारे में जानना चाहते हैं तो इस लेख को अंत तक पढ़ें ।

Baijnath ki Katha

Baijnath ki Katha:इम्पोर्टेन्ट ज्ञान के इस सीरीज में हम आपसे ज्ञान की बातें दिल से करेंगे और आज हम आप लोगों के लिए एक बहुत ही सुन्दर और रोचक प्रसंग लेकर आए हैं। आप लोगों ने बाबा बैजनाथ के बारे में सुना ही होगा। चलिए जानते हैं इनके बारे में कुछ रोचक तथ्य।

बैजू स्वाभाव से बहुत ही सीधे और सरल इंसान थे और नित्य प्रति गाय चराना इनका काम था और साथ ही मंदिर की साफ सफाई करना इनकी दिनचर्या थी। इनको बड़ा आनंद आता था इसमें। Baijnath भोले नाथ का सुन्दर भोग

मस्त मगन रहने वाले बैजू को मंदिर के पुजारी बाबा ने अपने पास बुलाया और कहा की में दो महीने के लिए तीर्थ यात्रा पर जा रहा हूँ। अब बैजू मंदिर का पूरा जिम्मा तुम्हे ही लेना है। लेकिन एक बात का ध्यान रखना। …”तुम्हें भोले नाथ को बिना भोग लगाए खुद भोजन ग्रहण नहीं करना है।”

अब सीधा साधा बैजू(Baijnath) तड़के उठा और अपना नित्य कर्म करके भोजन बनाया और जल्दी से बाबा भोले नाथ के सामने प्रसाद स्वरुप थाली लेके खड़ा हो गया और बड़े प्यार से कहा…”बाबा भोजन लाये हैं जल्दी से भोजन कर कईलो”

Tulsi ka murjhaya paudha Kya sanket deta hai

अब होना क्या था? बाबा जरा सा भी हिले नहीं…टस से मस नहीं हुए। Baijnath भोले नाथ का सुन्दर भोग

सुबह से शाम हो गयी …नहीं बाबा ने भोजन किया और न ही बैजू ने…

यही सिलसिला दो दिन तीन दिन चला…

लेकिन चौथे दिन बैजू(Baijnath) के धैर्य का बांध आखिर टूट ही गया…बगल में पड़ी लाठी उठाये और एक लाठी शिवलिंग पे जड़ दिए…!!

तुरंत भोले नाथ पीठ सुहलाते हुए हाजिर हुए और बोले…बोलो क्या बात है?

बैजू(Baijnath)बोले…बोलना क्या है? चार दिन से तुम्हारे फ़िराक में कुछ खाये पिए नहीं और तबसे मनाये जा रहे हैं तब तो तुम्हें कुछ सुनाई नहीं दिया और एक लाठी मारे क्या बहुत जल्दिये हाजिर हो गए…

अब चलो भोजन कैलियो ताकि हमहुँ कुछ खा पी ली, कबसे हमहुँ भूखे हईं…

अब भोलेनाथ पीठ को सहलाते हुए और मगन होकर जैसे तैसे बनाये कच्चा पका भोजन उठा के लगे खाने…

Baijnath ki Katha:बैजू(Baijnath) सोचने लगे की लगता है बाबा को बड़े कस के चोट लग गइल…बैजू बाबा से बोले की बाबा आप भोजन करो मैं अंदर से हल्दी और चन्दन लेकर आते हैं। वो चन्दन उनके पीठ पर लगाने लगे। (Baijnath भोले नाथ का सुन्दर भोग)

जब बाबा भोजन कर लिए तो वो उठके वापस चलने लगे, तो बैजू बोल उठे…कल समय से आजाना…ठीक है ना…!

बाबा बोले…जरूर बैजू…

दूसरे दिन बाबा भोलेनाथ पार्वती माँ के साथ विराजमान हुए…

बैजू(Baijnath) आश्चर्य चकित होते हुए बोले…”बाबा ये आपके साथ कौन है?

बाबा बोले…ये तुम्हारी अम्मा हैं…माँ अन्नपूर्णा!

बैजू(Baijnath) बोले…आओ आओ आओ अम्मा, जल्दी से बैजू अंदर से दरी ले आये और बिछाए… 

इसके बाद दो थाली भोजन अंदर से बैजू लेकर आये…

बाबा बोले की बैजू तुम्हारे लिए भोजन बचा है ना?

अब क्या बोलता बैजू …वो जल्दी से कह दिया बाबा आप चिंता न करो बहुत ज्यादा भोजन बचा है…!

बाबा मगन होकर लगे खाने और भोजन ख़त्म किये…

अगले दिन भी बाबा पार्वती माँ के साथ तड़के विराजमान हो गे…समय से पहले ही…

बैजू हकबकाकर होकर बोले की …आप आज इतने तड़के आ गए…

माता पार्वती मंद मंद मुस्कराते हुए बोली की बैजू मैं आज खाना बनाउंगी।

लेकिन बैजू(Baijnath) हठ करने लगा की नहीं माता आप परेशान न हो हम बनाई लेंगे। (Baijnath भोले नाथ का सुन्दर भोग)

लेकिन बैजू(Baijnath) की एक भी न चली और माता पार्वती खाना बनाने लगीं …

जब उन्होंने भोजन परोसा सबके लिए तो बाबा भोले नाथ खाते हुए बोले की “शिवा”…

आज भोजन में वो स्वाद और रस नहीं है जो मैं पहले भोजन ग्रहण किया था।

पार्वती माँ बोलीं की…”हाँ स्वामी सच में इस भोजन में स्वाद और रस दोनों नहीं है”…!!

लेकिन बैजू(Baijnath)के लिए उसके जीवन का सबसे स्वादिस्ट और उत्तम भोजन था।इससे पहले वो ऐसा भोजन कभी नहीं किया था।

Baijnath ki Katha:धन्य हो माँ अन्नपूर्णा…! जिनका सिर्फ नाम लेने से ही भोजन का स्वाद दोगुना हो जाता है उनको खुद का बनाया भोजन बे-स्वाद महसूस हो रहा था। (Baijnath भोले नाथ का सुन्दर भोग)

Somnath jyotirlinga

लेकिन बैजू(Baijnath) के पास तो दो महीनों का भोग सामग्री था लेकिन ये तो तीन आदमी का भोजन चलने लगा…

अब बेचारा(Baijnath) बैजू उसको अपने जानवर तक को बेचना पड़ा…!!

लेकिन अब तो एक और अजीब घटना घटी…पुजारी बाबा का यात्रा भी जल्दी खत्म हो गया और वो दो महीने के वजाय एक ही महीने में वापस चले आये…

पुजारी बाबा ने बैजू(Baijnath) को आवाज दी और पूछा की बैजू तुम भोलेनाथ को समय से भोग लगा रहे थे न…!!

बैजू ने उत्तर दिया लगा तो रहे थे पर भोले नाथ अकेले कहाँ आ रहे थे? वो तो माता पार्वती जी को भी साथ ला रहे थे। और दोनों खूब जमके भोजन किये। (Baijnath(Baijnath) भोले नाथ का सुन्दर भोग)

Ghushmeshwar

हमें तो जानवर तक को बेचे के पड़ गइल बाबा…खूब खइलें दोनों लोग…दोनों तनिको नहीं शर्माए !!

Baijnath ki Katha:बैजू की ये बावरी बातें सुनकर बाबा की आंखे फटी की फटी रह गई और बिना पलक गिराए एक टक देखते रह गए। वो बखूबी जान रहे थे की बैजू झूठ नहीं बोलेगा।

वो बोले की क्या दोनों आवत रहलन?…

पुजारी बाबा बैजू से बोले बेटा आज तुम फिर भोग लगाओ देखते हैं कौन कौन आता है…?

अब क्या था? बैजू(Baijnath) तड़के उठा और भोग बना कर जल्दी से भोले नाथ के शिवलिंग के सामने हाजिर हो गया…!

और उनको लगा बुलाने…बाबा आओ और जल्दी खाइलियो…!!!

अब काहें को भोलेनाथ और माँ पार्वती आएं…!!

ना भोले नाथ का पता था और नाहीं पार्वती माँ का …!!

Baijnath ki Katha:बेचारा बैजू(Baijnath) शिवलिंग पकड़ कर लगा रोने और कहने लगा बाबा आप आ जाओ “अब लाठी नहीं उठाऊंगा और नहीं आपको मारूंगा.. अब लाठी नहीं उठाऊंगा और नहीं आपको मारूंगा ” चाहें आप आओ चाहें ना आओ।मेरी लाठी अब तोहरे ऊपर ना उठी…….. बैजू के मुँह से सिर्फ यही आवाज लगातार आती रही और साथ ही आँशु भी।बहुत दुखी और चिंतित बैजू बहुत ज्यादा ही परेशान हुआ।

परिश्थिति एकदम बदलने लगी…और बैजू(Baijnath) के रोने के गति भी बढ़ गयी…

इतने में माता पार्वती जी के साथ शिव भगवान प्रगट हो गए और बोले बैजू अब उठ जाओ।सामने देख कर बैजू मानों पागलों की तरह रोने लगा। और उनके चरण पकड़ कहने लगा की बाबा “अगर आप लोग न आते तो मैं यहीं आपके चरणों में जान दे देता।

बाबा भावभिभोर होकर उसको गले से लगा लिया और बोले “बैजू मैं तेरे प्यार और भक्ति में बेमोल बिक गया। तूने मेरा दिल जीत लिया रे …!!

अब तू सुन अब से लोग मेरे से पहले तेरा ही नाम लेंगे। दुनियां कहेगी पहले बैजू पीछे से नाथ …’बैजनाथ’

वह रे प्रभो! तूने भक्त की लाज रख कर यह तो साबित कर ही दिया की अगर भक्ति भोला बनकर और सच्चे मन से प्राकृतिक रूप से किया जाय तो भगवान को आना ही है। भगवान तो भक्त के वश में होते हैं। उनको बांधने वाला होना चाहिए। भक्त और भक्ति की अगाढ़ कहानी।

तो साथियों थी न भक्ति की धारा। ऐसे होती है भक्ति। कहाँ भगवान फूल माला के भूखे होते हैं। उनको तो आप लोगों की श्रद्धा, भक्ति और भाव चाहिए। अब मैं अपनी लेखनी को यहीं विराम देता हूँ। अगर कोई प्रश्न हो तो आप लोग जरूर पूंछे। 

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