Somnath jyotirlinga Very Important

Somnath jyotirlinga Very Important

Somnath jyotirlinga

नमस्कार साथियों!
इम्पोर्टेन्ट ज्ञान के इस सीरीज में हम चर्चा कर रहे हैं १२ ज्योतिर्लिंगों की। आज का हमारा लेख अपने प्यारे दोस्तों के लिए है सोमनाथ का ज्योतिर्लिंग। आज हम शिवलिंग का रहस्य जानेंगे और यह भी जानेंगे की शिव का असली स्वरुप है क्या ? शिवलिंग की पूजा क्यों होती है? और शिव ही इस जगत का आधार क्यों हैं? बस आप लोग इस लेख के साथ अंत तक बने रहें। आपको आनंद की अनुभूति होगी और खुद में भक्ति की अवधारण भी विकसित होगी। Somnath jyotirlinga Very Important
ये पूरा संसार शिवमय है। लेकिन कम ही लोग जानते हैं की शिवलिंग की पूजा क्यों होती है? सृष्टि का सारा रहस्य शिव के ज्योतिर्लिंगों से ही जुड़ा हुआ है। हम सबसे पहले जानने की कोशिश करते हैं की शिव कौन हैं और वे कैसे धारण करते हैं जगत को और कैसे माँ भगवती एक शक्ति बनकर सदैव उनके साथ रहती हैं? Somnath jyotirlinga Very Important
एक समय एक राजा थे और कुल उनकी २७ सुन्दर कन्यायें थी। लेकिन सिर्फ एक कन्या के कारण पूरी कहानी ही बदल जाती है। शिव पुराण की कथा के अनुसार पुराने समय के राजा दक्ष ने अपनी सत्ताईस कन्याओं का विवाह चन्द्रमा के साथ कर दिया था। कन्यायों के साथ विवाह के कारण चन्द्रमा बहुत खुश थे। इधर कन्यायों का भी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था चन्द्रमा को वर के रूप में पाकर।
लेकिन कहते हैं न की समय हमेशा करवट लेते रहता है और सब दिन एक जैसा नहीं रहता है। कुछ समय पश्चात चन्द्रमा का प्यार रोहिणी के खाते में ज्यादा आने लगा। अर्थात वे रोहिणी पर ज्यादा मोहित होने लगे। Somnath jyotirlinga Very Important
  
ये बात राजा दक्ष के कानों तक पहुंची। अपनी कन्यायों का भला चाहने के लिए वे चन्द्रमा को समझाए बुझाये। वो मान भी गये लेकिन जो होने वाला होता है उसको कौन टाल सकता है?होनी तो होकर ही रहती है। चन्द्रमा की आसक्ति रोहिणी पर फिर से बढ़ गयी।और ये सिलसिला तेजी पकड़ लिया। Somnath jyotirlinga Very Important
राजा दक्ष क्रोधित होकर फिर चन्द्रमा को बोले के मैंने तुमको पहले भी समझाया बुझाया लेकिन तुम्हारे ऊपर इसका कोई असर नहीं हुआ। अब मेरे श्राप से तुम नहीं बचोगे। उन्होंने श्राप देते हुए कहा की जाओ “तुम आज से क्षय रोग से ग्रसित हो जाओगे”। 
अब होना क्या था? इस श्राप ने चन्द्रमा को क्षय का रोगी बना दिया और उनकी रोशनी जाती रही,वे धूमिल हो गए। चन्द्रमा की ये स्थिति देख कर ऋषि मुनि काफी परेशान होने लगे। सारे ऋषि मुनि इन्द्र के साथ ब्रह्मा जी के पास गए। Somnath jyotirlinga Very Important
सबकी  यह दशा देख कर ब्रह्मा जी सबको एक उपाय सुझाये की चन्द्रमा को भगवान शिव की आराधना करने हेतु सोमनाथ आना था और यहीं तप करना था। जब शिव जी प्रशन्न होकर प्रगट होंगे तो इनका कल्याण होगा।योजना अनुसार यहाँ चन्द्रमा आये और भगवान बृषभध्वज का पूजन करना था महामृत्युंजय मन्त्र से। Somnath jyotirlinga Very Important
अब चन्द्रमा भगवान शिव की कठोर तपस्या करना शुरू कर दिए। छह महीने के कठोर तप के बाद भोलेनाथ काफी प्रशन्न हुए और प्रगट होकर चन्द्रमा को वर मांगने के लिए बोले। Somnath jyotirlinga Very Important
चन्द्रमा ने भोले नाथ से वर माँगा की हे प्रभु! आप मुझसे प्रशन्न हैं तो मुझे इस क्षय रोग से मुक्त कर दें और मेरे सारे अपराधों को क्षमा भी कर दें।  Somnath jyotirlinga Very Important
भोलेनाथ ने चन्द्रमा से कहा की सुनो! जिसने तुम्हें श्राप दिया है वो कोई सामान्य व्यक्ति नहीं है। लेकिन मैं तुम्हारे लिए जरूर कुछ करूँगा। भोलेनाथ के खुश होने से चन्द्रमा भी काफी उत्साहित थे की अब उनके दुःख दूर हो जायेंगे। लेकिन भोलेनाथ  उनके लिए असमंजस की श्थिति पैदा कर दिए जिससे चन्द्रमा न बहुत ज्यादा खुश हो पाए और न ही बहुत ज्यादा उदास। 
आखिर भोलेनाथ ने ऐसा किया क्या? चूँकि चन्द्रमा का जितना तप कठोर था उससे बड़ा श्राप क्योंकि श्राप देने वाला कोई मामूली नहीं था। शिव जी के लिए भी एक असमंजस की स्थिति थी। अतः उन्होंने इसके लिए बीच का रास्ता निकाला। Somnath jyotirlinga Very Important
भक्तवत्सल भोलेनाथ ने चन्द्रमा से कहा की मैं तुम्हारे लिए इतना कर सकता हूँ की एक माह के दो पक्षों में से एक पक्ष में तुम निरंतर निखरते जाओगे और दूसरे पक्ष में तुम निरंतर धूमिल भी होते जाओगे। और यह एक पौराणिक रहस्य भी है जिसमें चन्द्रमा शुक्ल पक्ष में निखारते जाते हैं और कृष्ण पक्ष में घटते भी जाते हैं। Somnath jyotirlinga Very Important
चन्द्रमा ने यह सुनकर कुछ सहमे हुए परिस्थिति में इस वर से खुश होकर भोलेनाथ को धन्यवाद भी दिया और उनकी स्तुति भी की। 
यहाँ हमें शिव का एक साकार और निराकार का रहस्य का भी पता चलता है। जब चन्द्रमा ने शिव की स्तुति किया तो यहाँ शिव जी निराकार रूप से साकार रूप में हो गए थे और इसी रूप में देवताओं ने उन्हें सोमेश्वर भगवान के रूप में मानकर स्थापित कर दिया। और यहीं से भोलेनाथ तीनों लोकों में सोमनाथ के नाम से ही विख्यात हो गये। Somnath jyotirlinga Very Important
अब देवताओं ने शिव की सोमनाथ के रूप में उनकी पूजा अर्चना किये और साथ ही चन्द्रमा को भी नमस्कार किये। और यहीं  शिव का ये स्वरुप चन्द्रमा के कारण ही मौजूद है। Somnath jyotirlinga Very Important
समय निरंतर गुजरता चला गया। और समय के साथ इस स्थान की पवित्रता भी बढ़ता चला गया। इस बात का जिक्र शिव पुराण में हुआ है की जब शिव भगवान यहाँ सोमनाथ के रूप में निवास किये तो देवगण ने यहाँ एक कुंड की स्थापना किया और इसका नाम भी सोमनाथ कुंड रख दिया। Somnath jyotirlinga Very Important
यहाँ यह मान्यता प्रचलित हो गयी की इस कुंड में शिव और ब्रम्हा दोनों का साक्षात् निवास है। अतः जो भी इस पवित्र कुंड में स्नान करता है उसके सारे पाप स्वयं धूल जाते हैं। हर पाप और रोगों से मुक्ति मिल जाती है और व्यक्ति पवित्र हो जाता है। Somnath jyotirlinga Very Important 
शिव पुराण में यह कथा प्रचलित है की चाहें कितना भी बड़ा असाध्य रोग हो सिर्फ इस कुंड में स्नान करने से ही वो रो छू मंतर हो जाता है। अगर व्यक्ति क्षय रोगी है तो उसे छह महीने तक लगातार इस कुंड में स्नान करना पड़ेगा। इससे व्यक्ति रोग मुक्त हो जायेगा। ये है शिव के सोमनाथ की महिमा। Somnath jyotirlinga Very Important
शिव पुराण की एक कथा और प्रचलित है की अगर आप किस कारण से सोमनाथ बाबा का दर्शन नहीं कर पाते हैं तो आप सोमनाथ की उत्पत्ति कि कथा सुन या पढ़ लेते हैं तो इससे भी आप इसके महिमा का लाभ उठा सकते हैं । Somnath jyotirlinga Very Important
इस बात की सच्चाई है की शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में सबसे पुराना और महत्व का है अतः इसके महिमा से आपके सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं। Somnath jyotirlinga Very Important
वैसे देखा जाय तो सबसे पहला ज्योतिर्लिंग काठीयाबाड़ के सौराष्ट में पड़ता है। यहाँ के मंदिर में सोमनाथ की पूजा पंचामृत से ही की जाती है। ऐस मान्यता है कि जिस विधि विधान से चन्द्रमा ने साकार शिव की पूजा अर्चना की थी ठीक उसी विधि से यहाँ  सोमनाथ की पूजा अर्चना की जाती है। Somnath jyotirlinga Very Important
सभी जातक अगर दो सोमवार सोमनाथ का दर्शन और पूजन कर लेते हैं तो उनके सारे मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं। अगर सावन के सोमवार की पूर्णिमा में कोई भी मनोरथ लेकर बाबा के दरबार में आते हैं तो विश्वास करिये बाबा आपके सपनों को जरूर साकार करेंगे। Somnath jyotirlinga Very Important
एक बात और अगर शिवरात्रि के रात यहाँ पर एक सौ आठ बार माहामृतुंजय का जप कर लेते हैं तन मन धन से तो निश्चित तौर पर आपके सारे मनोरथ पूर्ण होंगे। जय बाबा विश्वनाथ। Somnath jyotirlinga Very Important
सोमनाथ का ये ज्योतिर्लिंग धरती का पहला ज्योतिर्लिंग है और इसकी महिमा भी बढ़कर है। 
तो साथियों मैं अपने लेख के साथ अब आप लोगों से विदा लेता हूँ। ये लेख पढ़कर आप लोगों को कितना अच्छा लगा आप जरूर कमेंट के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव शेयर करें धन्यवाद। 
बाबा सोमनाथ आप सभी के मनोरथ जरूर प्रून करें! -Somnath jyotirlinga Very Important
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