Mohenjo daro ki khoj kisne ki
स्तूप टीला के नाम से मशहूर मोहन जोदड़ों कई विशेषताओं के लिए!
Important Gyan के इस सीरीज में आज हमारे लेख का विषय है मोहन जोदड़ों की खोज किसने किया था? और इसकी क्या विशेषताएं हैं। इससे पहले के लेख में हमने आपको हड़प्पा,सुरकोटदा और लोथल के बारें में विस्तार से समझाया है जिसका लिंक हमने नीचे दिया है आप उसको जरूर पढ़ें । Mohenjo Daro Ki Khoj kisne ki
मोहन जोदड़ों का क्या अर्थ है?
मोहन जोदड़ों का सिन्धी भाषा में अर्थ है ‘मृतकों का टीला ।
Mohenjo-Daro and the Endus Civilization किसकी रचना है?
मोहन जोदरों एण्ड द इंडस सिविलाइजेसन मार्शल महोदय की पुस्तक है । इसमें इन्होंने कहा था की “सफाई और स्वच्छता की इतनी अच्छी व्यवस्था क्रीट यानि यूनान की राजधानी ‘नौसस में देखने को मिली और न ही 18-19 वीं शताब्दी में लंदन और पेरिस में ही देखने को मिलती है ।”——मार्शल महोदय-Mohenjo Daro Ki Khoj kisne ki
मोहन जोदड़ों का उत्ख कैसे हुआ है?
मोहन जोदड़ों का उत्खन क्षैतिज रूप में हुआ ।
मोहन जोदड़ों किस नदी के किनारे स्थित है?
मोहन जोदड़ों सिंध नदी के दाहिने तरफ स्थित है ।
घोड़े की मृणमूर्ति हड़प्पा के किस स्थल से मिला है?
घोड़े की मृणमूर्ति लोथल और मोहन जोदड़ों से मिला है ।
मोहन जोदड़ों कहाँ स्थित है?
मोहन जोदड़ों मुख्य रूप से सिंध के लरकाना जिले में स्थित है । यह पाकिस्तान में पड़ता है ।
मोहन जोदड़ों का कितनी बार उत्थान और पतन हुआ था?
मोहन जूदड़ों का सात बार उत्थान और पतन हुआ था ।
मोहन जोदड़ों की खोज किसने की थी?
मोहन जोदड़ों में खुदाई के दौरान जाने वाले विद्वानों का क्रम था
- 1922 में आर डी बेनर्जी-बौद्ध स्तूप की खोज
- 1922-30 के बीच में मार्शल महोदय
- 1950 में मार्टीमर व्हीलर
- 1964 में जीएफ डेल्स
इस तरह से देखा जाए तो मोहन जोदड़ों की खोज रखाल दास बेनर्जी ने ही 1922 में किया था ।
मोहन जोदड़ों के टीले को स्तूप टीला क्यों कहा जाता है?
मोहन जोदड़ों के टीले को स्तूप टीला इसलिए कहा है क्योंकि यहाँ से कुषाण कालीन कनिष्क का स्तूप मिला है । इस बौद्ध स्तूप की खोज 1922 ईस्वी में R.D. बेनर्जी ने किया था।
मोहन जोदड़ों को किन किन नामों से जाना जाता है?
मोहन जोदड़ों को मृतकों, मुर्दों,प्रेतों का टीला/स्तूप टीला/सिंध का बाग-नखलिस्तान और जुड़वा राजधानी(हड़प्पा+मोहन जोदड़ों) आदि नामों से भी जाना जाता है । इसको हड़प्पा और मोहन जोदड़ों को जुड़वा राजधानी स्टुअर्ट पिग्गट ने कहा था । Mohenjo Daro Ki Khoj kisne ki
मोहन जोदड़ों के लिए ‘मृतकों का टीला’ नामक उपन्यास किसने लिखा है?
मोहन जोदड़ों के लिए ‘मृतकों का टीला’ नामक उपन्यास आर राघव ने हिन्दी में लिखा है ।
मोहन जोदड़ों के टीले
मोहन जोदड़ों में भी पूर्व में दुर्ग टीला और पश्चिम में नगर टीला था। इसका दुर्ग टीला रक्षा प्राचीर से घिरा हुआ था और दुर्ग टीले में ही- Mohenjo Daro Ki Khoj kisne ki
मोहन जोदड़ों के स्नानागार की क्या विशेषता थी?
मोहन जोदड़ों में दुर्ग टीले के मध्य में स्नानागार था जिसकी लंबाई 55 मीटर और चौड़ाई 33 मीटर । इसमें जलकुंड का आकार 12*7*2.50 मीटर था । इस जलकुंड में उतरने-चढ़ने के लिए सोपान बने हुए थे ।
जलकुंड की फर्श का निर्माण जिप्सम और ईंटों से किया गया था और इसके दीवारों का निर्माण जिप्सम से किया गया था ।स्नानागार के चारों तरफ एक इंच का प्लास्टर किया गया था लेकिन यह प्लास्टर ‘बिटूमेन’ का प्लास्टर था । Mohenjo Daro Ki Khoj kisne ki
स्नानागार में तीन तरफ से बरामदे लगे कमरे थे लेकिन दक्षिण में कमरा नहीं होता था । पानी का निकास दक्षिण पश्चिम से होता था ।इन तीन कमरों के ऊपर पुरोहित आवास बने थे । Mohenjo Daro Ki Khoj kisne ki
ईंटों की दोहरी पंक्ति से बना हुआ कुआं था जिसमें स्नानागार में पानी भरा जाता था । यह कुआं मुख्य रूप से पूरब दिशा में था । बृहतस्नानसागर सामान्य जन के लिए होता था ।
स्नानागार,अन्नागार,सभा भवन और पुरोहित आवास होता था । |
मोहन जोदड़ों तत्कालीन विश्व का आश्चर्य जनक निर्माण किसने कहा है?
मोहन जोदड़ों को तत्कालीन विश्व का आश्चर्य जनक कहने वाले विद्वान मार्शल महोदय हैं ।
मोहन जोदड़ों के अन्नागार की क्या विशेषता थी?
मोहन जोदड़ों की सबसे बड़ी इमारत अन्नागार ही था जिसका आकार 55*37 मीटर था । अन्नागार स्नानागार के पश्चिम में था और इसके उत्तर में चबूतरे का निर्माण किया गया था जिसपर चढ़कर हड़प्पा वासी अनाज निकालते थे। इसके अन्नागार का नाम व्हीलर महोदय ने दिया था । Mohenjo Daro Ki Khoj kisne ki
मोहन जोदड़ों के सभा भवन की क्या विशेषता थी?
मोहन जोदड़ों के दुर्ग के दक्षिण में एक 90*90 फिट का सभा भवन मिला है । सभा भवन के अंदर चबूतरे बने हैं जिसमें कुल 90 स्तम्भ हैं। इसमें मुख्य प्रवेश द्वार उत्तर की ओर था । मैके महोदय का मानना है की यहाँ बाजार लगती रही होगी और इसका प्रयोग सार्वजनिक सभाओं के लिए होता था।
इस सभा भवन को स्तंभों वाला भवन कहा गया है । Mohenjo Daro Ki Khoj kisne ki
मोहन जोदड़ों के पुरोहित आवास की क्या विशेषता थी?
मोहन जोदड़ों का पुरोहित आवास स्नानागार के उत्तर पूर्व में था इसका आकार 83*24 मीटर था । 10 मीटर का वर्गाकार प्रांगण,तीन बरामदा और कई कमरे थे । यहाँ पुरोहितों का महाविद्यालय था अर्थात ‘कॉलेज ऑफ प्रीस्टस’-Mohenjo Daro Ki Khoj kisne ki
मोहन जोदड़ों के सड़कों की क्या विशेषता थी?
सड़कों ने नगर को 12 आयताकार खंडों में विभाजित किया था । मुख्य मार्ग की चौड़ाई 33 फिट यानि 9.12 मीटर थी । ये सड़कें समकोण पर काटती थीं। चौराहों को ‘आक्सफोर्ड सर्कस’ कहा जाता था ।
मोहन जोदड़ों के नालियों की क्या विशेषता थी?
मोहन जोदड़ों की नालियाँ पकी ईंटों की बनी होती थी। ये गली से निकलकर मुख्य मार्ग की नाली में मिल जाती थी । नालियों के अगल बगल में मेनहोल बने होते थे । Mohenjo Daro Ki Khoj kisne ki
आपको बता दें की मोहन जोदड़ों से समाधि का साक्ष्य नहीं मिला है।
ईंटों की विशेषता
सैन्धव सभ्यता में मकान, नालियाँ और स्नान गृह मुख्य रूप से पकी ईंटों की सहायता से बनती थीं और इंटे चतुर्भुजाकार होते थे। सबसे बड़ी ईंट का आकार 51.43*26.27*6.35 cm होता था । और सामान्य इंटे 27.94*13.97*6.35 cm था ।
मोहन जोदड़ों के बारे में अन्य बातें
- मार्शल महोदय ने कहा था की यहाँ सात बार बाढ़ आई और यह सात बार डूबा था ।
- सर्वाधिक जनसंख्या 3500 से 4000 लोग थे यहाँ और इसमें से सर्वाधिक जाति भूमध्य सागरीय थे।
- क्षेत्रफल की दृष्टि से यह दूसरा बड़ा नगर था ।
- 1200 मुहरें सेलखड़ी की मिली हैं ।
- सूती कपड़ा और कपास का साक्ष्य यहाँ से मिला है ।
- 10″ की कांसे की नर्तकी की मूर्ति मिली हैं जिसका संबंध प्रोटो आस्ट्रेलायड से था ।
- पशुपति की मुहर जो योगी रूप में है मोहन जोदड़ों से ही मिली है जो मार्शल महोदय द्वारा आदि शिव कहा गया है ।
प्रश्न:-हड़प्पा और मोहन जोदारो क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर:-इन दोनों ही स्थानों से खुदाई के दौरान सिंधु सभ्यता के अवशेष मिले हैं । पिगट महोदय ने इसे “एक विस्तृत साम्राज्य की जुड़वा राजधानियाँ कहा है ।
प्रश्न :-मोहन जोदारो से 10″ की कांसे की नर्तकी की मूर्ति मिली, जिसका संबंध है?
उत्तर:-इसका संबंध प्रोटो आस्ट्रेलायड से था ।
प्रश्न:-किसने कहा की मोहन जोदारों में सात बार बाढ़ आई और यह सात बार डूबा था?
उत्तर:-मर्शल महोदय ने कहा था ।
प्रश्न:-मोहन जोदारों की जनसख्या कितनी थी और सबसे ज्यादा किस जाति के लोग थे?
उत्तर:-सर्वाधिक जनसंख्या 3500 से 4000 लोग थे यहाँ और इसमें से सर्वाधिक जाति भूमध्य सागरीय थे
प्रश्न:-आदि शिव किसे कहा गया है?
उत्तर:-पशुपति की मुहर जो योगी रूप में है मोहन जोदड़ों से ही मिली है जो मार्शल महोदय द्वारा आदि शिव कहा गया है ।
प्रश्न:-मोहन जोदारों को जल संस्कृति का नाम क्यों दिया जाता है?
उत्तर:-हड़प्पा सभ्यता में सबसे ज्यादा कुएं मोहन जोदारों से मिले हैं । यहाँ कुओं की संख्या लगभग 700 हैं जो गृहों के अंदर है । यहाँ से कुंड, कुएं स्नानागार आदि के कारण यहाँ की निकासी व्यवस्था आश्चर्य जनक थी ।
- लोथल एक लघु हड़प्पा और लघु मोहनजोदड़ों नाम से प्रसिद्ध था Lothal Kahan Sthit hai
- एक दीन हीन और गरीब बस्ती Kali banga Kahan Sthit hai-kalibangan
- Sindhu Ghati Sabhyata ka Samajik Jivan
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Important Gyan के इस सीरीज में मैं आप लोगों को ये बताने का प्रयास किया कि मोहन जोदड़ों की खोज किसने किया है और इसकी क्या विशेषताएं थीं । Mohenjo Daro Ki Khoj kisne ki
मित्रों मुझे अपनी लेखनी को यहीं पर समाप्त करने का इजाजत दीजिये।अगर कहीं कोई त्रुटि रह गयी हो तो मानवीय भूल समझ कर क्षमा कर दीजियेगा और कोई सुझाव हो तो जरूर दें हम अपने लेख में उचित स्थान देंगे और कोई प्रश्न हो तो जरूर पूछे। Mohenjo Daro Ki Khoj kisne ki
आप लोगों को और अपना ज्ञानवर्धन करना चाहिए, अगर आप लोगों को लगता है की हमें और क्या पढ़ना चाहिए तो आप www.importantgyan.com के वेबसाईट पर नियमित विज़िट करके अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं । Mohenjo Daro Ki Khoj kisne ki
हमारे कुछ मीनू आप लोगों का राह देखते रहते हैं जैसे-Motivation, Health, sarkari Yojna आदि । आप इनका लाभ जरूर उठायें । आपका दिन शुभ हो!-Mohenjo Daro Ki Khoj kisne ki
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