Jimmedari Kya hoti hai? Must Understand!

Jimmedari Kya hoti hai?

इसका कैसे पालन करें?

Jimmedari Kya hoti hai

नमस्कार साथियों! 

इम्पोर्टेन्ट ज्ञान में आप सभी का स्वागत है।आज हम चर्चा करेंगे की जिम्मेदारी क्या है और इसके क्या फायदे और नुक्सान होते हैं?  जिम्मेदारी के जहाँ एक और फायदे हैं तो दूसरी ओर नुकसान भी है। चलिए इसके बारे में विस्तार से समझते हैं।क्योंकि यह एक तरफ बोझ होती है और दूसरी तरफ एक शक्ति और कला होती ही जो इंसान को हीरा बना देती है।Jimmedari Kya hoti hai 

जिम्मेदारी नाम सुनते ही सर पे एक बोझ सा अनुभव होता है और कमजोर आदमी को दे दो तो उसकी हवा ही निकल जाती है।भाई इसको पूरा करने के लिए बड़ा कलेजा चाहिए और सबके बस का होता भी नहीं। बहुत त्याग और तपस्या करना पड़ता है और खुशियों की बलि चढ़ानी पड़ती है। कभी कभी तो बहुत कुछ खोना भी पड़ जाता है।अपने प्राणों की बलि चढ़ानी पड़ जाती है। लेकिन जिसने इसको निभा लिया वो मील का पत्थर साबित होता है।लेकिन जिम्मेदारी लेना भी एक कला है, चलिए देखते हैं आगे। 

जिम्मेदारी भी दो तरह की होती है एक तो बैल की तरह और दूसरी रेस वाली घोड़े की तरह।हम इसको मोटा-मोटी कुछ रूपों में बाँट के देखते हैं।

  • खुद के प्रति 
  • परिवार के प्रति 
  • समाज के प्रति 
  • देश के प्रति 

जिम्मेदारी का शाब्दिक अर्थ होता है जवाबदेहि। यह कर्तब्य का दूसरा रूप होता है।लेकिन दोनों में मुलभुत अंतर होता है। इसको गीता में कृष्ण भगवान ने व्यक्ति विशेष के लिए धर्म कहा है। आपने इसके महत्व को ना समझा तो आपने कुछ ना समझा।गहराई से देखिए तो ये आपका प्राण है,आत्मा है,आपकी शक्ति है, ऊर्जा और पूजा है। हमारे आपके सोचने से परे है।आप खूब पूजा पाठ करिये,यज्ञ करिये कोई फायदा नहीं अगर आपने अपने इस कर्तब्य रूपी धर्म को नहीं समझा।Jimmedari Kya hoti hai

आप कोई पूजा-पाठ,यज्ञ आदि ना करिये और अपना अच्छे से धर्म निभा दीजिये।अच्छे से कर्तब्य कर दीजिये। कृष्ण भगवान ने तो इस प्रकार के व्यक्ति को नरोत्तम की संज्ञा दिए हैंJimmedari Kya hoti hai

एक  गैर जिम्मेदार और मृत व्यक्ति में कोई अंतर नहीं है जनाब।ऐसे व्यक्ति को इंसान तो क्या भगवान भी नहीं माफ़ करते।कर्महीन व्यक्ति को नरक भी जगह नहीं देता।ये कर्म, कर्तब्य , जिम्मेदारी ही व्यक्ति का सबसे बड़ा धर्म है।Jimmedari Kya hoti hai? Must Understand!

जनाब जिम्मेदारी भी लीजिये तो पुरे दिल से लीजिये और निभाइये, बड़ा मजा आता है।लेकिन यहाँ ध्यान रखने की बात है की जिम्मेदारी भी समझ के लें चाहे नौकरी में, समाज में या देश में। ऐसा तो नहीं न की आपका दुरूपयोग किया जा रहा है। आपको लोग बुरबक समझ के आपका शोषण कर रहे हैं।ये सब खासकर सीधे-साधे लोगों के साथ ज्यादा होता है। एक कहावत है न की “बने रहो पगला और काम करेगा अगला

जनाब मीठा मीठा बोल के लोग आप से खूब काम कराएँगे। भावनाओं में बहके कभी कोई कदम न उठाये। दुनिया बड़ी जालिम है खा जाएगी।मैंने देखा है नौकरियों में ये सब बड़े पैमाने पर किया जाता है। लोग जिम्मेदारी सौपने में एक्सपर्ट होते हैं। Jimmedari Kya hoti hai? Must Understand!

खुद के प्रति जिम्मेदारी क्या है?

हर व्यक्ति के अपने अलग-अलग तरह की जिम्मेदारी होती है। बस जरुरत है तो उसको अच्छे से समझने की।लेकिन एक सामान्य रूप से व्यक्ति की जो जिम्मेदारी होती कि वो अपने शरीर,करियर और विचार शक्ति को मजबूत करे।बचपन से लेकर बुढ़ापे तक का सफर अच्छे से तय करना है और बुढ़ापे में जा कर पछताना नहीं पड़े तो इसके लिए एक समझदारी की कला का विकास करे। हर पल, हर  समय ,जो भी मुश्किल,परेशानी आये तो उसको समझने की शक्ति और उसका सामना करने की शक्ति का विकास करे।

खुद के ऊपर काम करना चाहिए।समय की कीमत को समझें और उसका पालन करें। लोभ-मोह,ईर्ष्या,कलह-कलेश,घमंड और आलस्य से दूर रहें और अपना आत्म -उत्थान करें। जब हम अपनी खुद के प्रति जिम्मेदारियों को निभाने की शक्ति का विकास कर लेते हैं तो ही अन्य जिम्मेदारियों को निभा पाएंगे।Jimmedari Kya hoti hai? Must Understand!

जब हम तन,मन धन से मजबूत रहेंगे तो ही आगे बढ़ पाएंगे। इसमें बैलेन्स होना चाहिए।एक शशक्त व्यक्ति ही शशक्त समाज का निर्माण कर पायेगा।हमें समझदारी का और जागरूकता का विकास करना चाहिए।क्या सही और क्या गलत इसको समझने की शक्ति रखनी चाहिए।जिम्मेदारी क्या होती है, इसको समझना है तो राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी, भगवान राम, माँ सीता,लक्ष्मण,संकट मोचन हनुमान,भरत और अन्य महान विभूतियों के बारे में जरूर पढ़ें।और उनसे जरूर सीखें। गीता का अध्ययन करें।

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परिवार के प्रति जिम्मेदारी क्या है?

परिवार ही सब कुछ है। इस तथ्य को समझना जरुरी है। जब हम खुद के प्रति जिम्मेदार इंसान बन जाते हैं तो हमारे अंदर उत्सुकता होने लगती है कि हम परिवार को भी संभाले। कमजोर व्यक्ति तो खुद को नहीं संभाल पाता है तो परिवार को खाक संभालेगा।लेकिन इसमें भी समझने वाली बात है कि ऐसा तो नहीं न कि हम जिम्मेदार बन के बैल की तरह खटते जा रहे हैं और दूसरे लोग केवल मजे मारते जा रहे हैं।खासकर ये सब कम्बाइंड परिवार में होता है।परिवार का हर सदस्य जिम्मेदार होना चाहिए। 

यहीं हमारी समझदारी काम आती है।भावनाओं में बह के लोग अपना जीवन ख़त्म कर देते हैं और बाकी लोगों को अपंग रहने के लिए छोड़ देते हैं।ऐसा तो नहीं आप खुद मेहनत कर रहे हैं और दूसरे आपके वजह से अपंग बने हुए हैं। जनाब आपकी अच्छाइयां भी दूसरे के लिए अभिशाप बन जायेगा। Jimmedari Kya hoti hai

अपनी संतान को सही दिशा और दशा दें।उनके लिए क्या जरुरी है इसका ख्याल रखें।पति और पत्नी दोनों अपने मजे को छोड़ के बच्चोँ का विशेष ध्यान रखें।पति-पत्नी ईश्वर के पहले प्रतिनिधि होते हैं उस बच्चे के लिए।Jimmedari Kya hoti hai 

ईश्वर ने आपके भरोसे उस प्यारे बच्चे को भेजा है। उसका ध्यान रखना आपका नैतिक कर्तब्य है। उनको सँभालने, ध्यान रखने में कष्ट तो होता ही है। आसान नहीं है लेकिन अगर बच्चे सही रास्ता नहीं पकड़ पाए और खासकर माँ-बाप के कमी के कारण तो ये जीवन आपको ज्यादा कष्ट देगा और मरते दम तक ये दुःख साया बनके आपके पीछे दौड़ता रहेगा।और इस महान कष्ट से आप उबर नहीं पायेगें। Jimmedari Kya hoti hai

 घर के माहौल को खुशनुमा और शांतपूर्ण बनाये रखना और सबके प्रति ईमानदार रहना ये एक विशेष कला होती है। सोचिए अगर आपने अपनी जिम्मेदारी अच्छे से निभा ली तो आपके जीवन में पूर्ण शांति मिलने लगती है। इसकी चमक आपके चहरे पर साफ दिखती है।

समाज के प्रति आपका क्या कर्तब्य है?

आप खुद के प्रति और परिवार के प्रति जिम्मेदारी निभाना सीख गए तो आप पक्के खिलाडी बन गए। अब मन कहेगा की चलो कुछ और कर लें। एक व्यक्ति की धर्म होता है की वो जिस भी हालत में है जितनी क्षमता है उसी के सहारे अपने समाज के प्रति कर्तब्य परायण रहे अपने परिवार के साथ साथ आसपास जरुरत मंद लोगों की सहायता करे जिनको वाकई में सहायता की जरुरत है। अपनी कमाई का कुछ हिस्सा जरूर सामाजिक कार्यों में खर्च करें। Jimmedari Kya hoti hai? Must Understand!

अगर आपके पास पैसा है, क्षमता है तो एक सामाजिक जिम्मेदारी जरूर लें जैसे किसी अनाथ बच्चे के पढाई, स्कूल फ़ीस आदि कि जिम्मेदरी जरूर लें और अगर गरीब कुछ बेच रहा है तो बिना मोल भाव किये खरीद के गरीब में दान कर दें।  इससे दोनों को फायदा हो जायेगा। मतलब दोनों गरीब की सहायता हो जाएगी। Jimmedari Kya hoti hai

सहयोगी बने।जीतनी क्षमता है,जो भी है शेयर करें। बिना फायदा का भी कुछ काम करें। जनाब ये वो खाता होता है जो आपको जिंदगी के किसी मोड़ पर कमजोर नहीं होने  देगा। यही आपको ईश्वर सहारा देता है।Jimmedari Kya hoti hai? Must Understand!

देश के प्रति जिम्मेदारी क्या है?

यहाँ तक तो कुछ ही लोग पहुँच पाते हैं। यहाँ तक पहुँचने के लिए ज्यादा क्षमता और बलिदान की जरुरत होती और वही पहुँच पाते हैं जिन्होंने ऊपर के जिम्मेदारियों को अच्छे से निभाया है।अपनी इच्छाओं का पूर्ण दमन क्या है,अपनी जरूरत को देश की जरुरत समझा है। सबके अंदर अपने को देखा है।बहुत प्रेमपूर्ण और जागरूक व्यकित ही देश सेवा करता है।Jimmedari Kya hoti hai? Must Understand! 

लेकिन छोटे मोटे सेवा करके भी आप देश की सेवा कर सकते हैं।लेकिन जो भी जिम्मेदारी लीजिये उसको तन मन धन से निबाहें।

लेकिन एक बात तो पते की होती है की अगर आप अपनी जिम्मेदारी को दिल से निभाते हैं तो आप दुनिया के भेड़ चाल से अलग रूप में निखरेंगे और आपका जीवन संवर जायेगा।जिम्मेदारी जितनी कठिन होती है उतनी ही आपका जीवन खूबसूरत बनता है। अतः जिम्मेदारी लेने से कभी पीछे न हटे ये मान सम्मान आपका बढ़ा देगा और एक नयी पहचान देगा।

कुछ अलग हटकर जिम्मेदारी लें 

जिम्मेदारी ऐसी लें जिसमें सिर्फ आपका स्वार्थ नहीं हो। कुछ ऐसे भी जिम्मेदारी लेकर चलें जो निः स्वार्थ हो।ऐसी जिम्मेदारी इंसान को बड़ा आगे तक ले जाती है। इसमें आपको हो सकता है कुछ कष्ट उठाना पड़ जाये या कुछ् नुकसान हो जाय, लेकिन कृपया करके डरें नहीं। इसकी भरपाई ऊपर वाला कर देगा। दिखावे के लिए जिम्मेदारी न लें। ऐसे जिम्मेदारी निभाएं जिसके पूर्ण होते ही जिम्मेदारी से मिला परिणाम ही शोर मचाये। आप दिखावा न करें। इसको खूब खुश होकर निभाइये। देखिएगा बड़ा मजा आयेगा। आपको आत्म संतोष मिलेगा। 

बिनोवा भावे अपने एक संस्मरण में लिखते हैं उसका सार हम बताते हैं। 

जब विनोवाभावे छोटे थे तो उनके पड़ोस की एक महिला उनके घर अपने बच्चे को लेकर आयीं और उनकी माता जी से बोलीं की मैं तीर्थ यात्रा पर जा रहीं हूँ कुछ दिन ये मेरा छोटा सा बच्चा है आप कृपा करके उसकी देखभाल करियेगा।

वे आगे लिखते हैं की– माँ इतनी दयालु हैं की जब शाम के समय खाने का वक्त हुआ तो माँ ने खाना परोसा। मेरे थाली में उन्होंने सादी रोटी परोसा और उस बच्चे के थाली में घी लगी हुई रोटी परोसा।मैं भी छोटा था पूछ लिया माँ तुमने ऐसा क्यों किया ? मेरे थाली की रोटी सादी और उस बच्चे की थाली वाली रोटी घी से घंसी हुई।  वो बोल उठी ऐसी कोई बात नहीं बेटा। अब इतना घी तो है नहीं की मैं तुम्हारे रोटी में भी लगा दूँ और इस बच्चे को किसी ने मेरे पास जिम्मेदारी के रूप में सौंपा है और ये बच्चा भी तो भगवान का उपहार है। 

अभी हमारा फर्ज बनता है की ये बच्चा भरपेट भोजन कर ले। तुम्हारी माँ तो तुम्हारे पास है लेकिन इस बच्चे की माँ यहाँ नहीं है जिसे ये न लगे की इसकी माँ नहीं है तो इसे खाना अच्छा नहीं मिला। अब विनोवाभावे की आंखे भर आयीं और चुप चाप खाना खा लिए। अपने माँ से मिला ये जिम्मेदारी का लबादा कभी नहीं भूल पाए। इसे कहते हैं निः स्वार्थ जिम्मेदारी। 

जिम्मेदारी के फायदे और नुकसान 

साथियों जहाँ जिम्मेदारी के फायदे हैं तो दूसरी तरफ इसके नुकसान भी होते हैं। इसके अंतर को समझना बहुत जरुरी है। सबसे पहले हम इसके फायदे के बारे में बात कर लेते हैं। संसार में हर चीज के फायदे और नुकसान होते हैं।  जिम्मेदारी के जहाँ फायदे हैं वहीँ इसके नुकसान भी हैं। 

जिम्मेदारी के फायदे

अगर आपने कोई भी जिम्मेदारी सोंच समझकर और अपनी क्षमता एवं समय को देखते हुए लिया है और पूरी सिद्दत के साथ उसको पूरा करने के लिए आप उत्सुक हैं तो समझ लीजिये मित्रों आप समाज में एक अलग व्यक्ति बनकर उभरेंगे। आपको सम्मान मिलेगा और लोग आपको बहुत ही रेस्पेक्ट से बात करेंगे इसके अलावा आपकी उन्नति दिन पर दिन बढ़ती जाएगी।आप व्यस्त रहेंगे, आपके पास हिम्मत आएगी, आत्म विश्वाश बढ़ेगा। लेकिन जिम्मेदारी लें तो उसको पूरा करें। 

जिम्मेदारी के नुकसान

दूसरी तरफ जिम्मेदारी के नुकसान भी बहुत होते हैं। ज्यादातर नुकसान का कारण होता है सोच समझकर नहीं ली गयी जिम्मेदारी।अगर आप जिम्मेदारी लेते हैं और आपके पास समय और हिम्मत नहीं है तो आप अपने जिम्मेदारी को ठीक से नहीं निभा पाएंगे। इससे आपका सम्मान भी घटेगा और लोग आप पर विश्वास भी नहीं करेंगे। इसके अलावा जिम्मेदारी लेने से आपकी व्यक्तिगत लाइफ, नींद और एन्जॉयमेंट सभी ख़त्म हो जाता है। ज्यादा जिम्मेदारी लेने से आपको शारीरिक, मानसिक,पारिवारिक और सामाजिक सभी तरह के परेशानियों से गुजरना पड़ सकता है।आप इसमें से किसी पर समय नहीं दे पाओगे। आपका हेल्थ भी ख़राब हो सकता है। 

मैंने इस लेख में यह बताने का प्रयास किया की है की जिम्मेदारी क्या होती है और उसकी क्या प्रकृति होती है। जिम्मेदारी हम लें तो क्या-क्या सावधानियां रखें। अब मेरी लेखनी को यही विराम देने  की अनुमति दीजिये। अगर कोई कमी और गलती दिखे तो जरूर बताएं। आपका दिन शुभ हो !

जिम्मेदारी और जिम्मेवारी में क्या अंतर है। 

इन दोनों शब्दों में बहुत थोड़ा सा अंतर है । जब भी किसी कार्य को करने के लिए उसका दायित्व या कार्यभार लेने को तैयार हो जाता है तो यह जिम्मेवारी कहलाती है । लेकिन जब ये कार्यभार पुरी तरह से जिम्मेवारी लेने वाले व्यक्ति के कंधे पर आ जाती है तो इसको जिम्मेदारी कहा जाता है । जिम्मेवारी ली जाती है और जिम्मेदारी दी जाती है । जिम्मेवारी स्वतः व्यक्ति लेता है और जिम्मेदारी थोपी जाती है । 

मान लीजिए आप किसी ऑफिस में काम कर रहे हैं और अचानक आपके सामने कोई काम आ गया और आपको लगता है की मैं ये काम कर लूँगा तो वो काम जिम्मेवारी कहलाती है लेकिन जब आप ने वो काम ले लिया और उसको करने लगे तो वही आपकी जिम्मेदारी बन जाती है । 

FAQ 

प्रश्न-जिम्मेदारी और जिम्मेवारी में क्या फर्क है?

उत्तरजिम्मेवारी खुद से ली जाती है और जिम्मेदारी थोपी जाती है । 

प्रश्न-जिम्मेदारी का क्या मतलब होता है?

उत्तरजिम्मेदारी का शाब्दिक अर्थ होता है जवाब देहि। यह कर्तब्य का दूसरा रूप होता है।लेकिन दोनों में मुलभुत अंतर होता है। इसको गीता में कृष्ण भगवान ने व्यक्ति विशेष के लिए धर्म कहा है। आपने इसके महत्व को ना समझा तो आपने कुछ ना समझा।गहराई से देखिए तो ये आपका प्राण है,आत्मा है,आपकी शक्ति है, ऊर्जा और पूजा है। हमारे आपके सोचने से परे है।आप खूब पूजा पाठ करिये,यज्ञ करिये कोई फायदा नहीं अगर आपने अपने इस कर्तब्य रूपी धर्म को नहीं समझा।

प्रश्न-क्या हमें बढ़ चढ़ के जिम्मेदारी लेनी चाहिए?

उत्तर-जरूर लेनी चाहिए।लेकिन भावनाओं में बह कर नहीं। एक समझदारी का विकास करें और क्या सही है और क्या गलत है इसको अच्छे से समझ के ही। 

प्रश्न-क्या जिम्मेदारी एक बोझ होता है?

उत्तर-जिम्मेदारी बोझ नहीं है। यह एक कर्तब्य है, धर्म है जिसे सभी को निभाना चाहिए। ये समाज में आपको अलग पहचान देगा। आपके अंदर चमक बढ़ेगी। 

प्रश्न-क्या जिम्मेदारी का लोग फायदा उठाते हैं?

उत्तर-ऐसा होता है। आप संभल के और समझ के ही जिम्मेदारी लें।

प्रश्न:-क्या जिम्मेदारी के बिना जीवन अधूरा है?

उत्तर:-जी एकदम अधूरा है।हर इंसान को जिम्मेदार होना चाहिए। और उसका पालन भी तन मन धन से करना चाहिए। तभी जीवन में विकास संभव है।  

8 thoughts on “Jimmedari Kya hoti hai? Must Understand!”

  1. Responsibility is the best things for everyone… nice explanation… bane raho. Pagla kam karega agla…Nice line

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