Panna Dhai राणा सांगा के पुत्र उदय सिंह राणा की माँ का नाम पन्ना धाय था। ये किसी राजपरिवार की सदस्य नहीं थीं। इनका जन्म कमेरी गाँव में हुआ था और अपना सर्वस्व अपने स्वामी को न्योछावर करने वाली पन्ना धाय राणा सांगा के पुत्र उदय सिंह को माँ के स्थान पर दूध पिलाने के कारण ही पन्ना धाय कहलायी थीं। पन्ना का पुत्र चंदन नाम से जाना जाता था और यह चंदन राजकुमार उदय सिंह के साथ ही बड़ा हुआ था। आपको बता दें की पन्ना एक आदर्श माँ थीं जिन्होनें उदय सिंह को अपने पुत्र के सामान लालन पालन कीं।
Panna Dhai story in hindi
उदय सिंह की माता का नाम कर्मावती था जिन्होंने सामूहिक बलिदान द्वारा स्वर्गारोहण किया था। इसी के बाद से पन्ना ने उदय के पालन पोषण का दायित्व संभाला था। आपको बता दें की पन्ना चित्तौड़ के कुम्भा महल में रहती थीं।
Panna Dhai के जीवन में एक विचित्र घटना घटित हुई। एक बार की बात है दासी पुत्र बनवीर चित्तौड़ का शासक बनना चाहता था जिसने महाराजा विक्रमादित्य को मारकर उदय सिंह को भी मारने का प्लान बनाया। इस षड्यंत्र का पता गुप्त रूप से पन्ना को मालूम चल गया। उसने उदय सिंह की रक्षा करने की योजना बनायी। इस कदर उसने उदय सिंह को बांस की टोकरी में रखकरके जूठी पत्तलों से ढक दीं और एक विस्वस्त सेवक के हाथों में महल से बहार भेज दिया।
जब बनवीर महल में प्रवेश किया तो उसकी कातिल नजरें उदय सिंह को मारने में लगी थी। यह दृश्य देखकर पन्ना ने पहले से ही पलंग पर उदय सिंह के स्थान पर अपने पुत्र चंदन को सुला दिया था। जब बनवीर ने पन्ना धाय से उदय सिंह के बारे में पूछा तो पन्ना ने इशारा की कीं उदय वहां पलंग पर सोया है। इसके बाद होना क्या था। वनवीर ने उस सोये हुए बच्चे को उदय सिंह समझकर मार डाला।
Panna Dhai ने अपनी पूरी निष्ठां के साथ चित्तौड़ की रक्षा कीं। एक माँ सामने ही उसका बच्चा मौत के घाट उतार दिया गया और उस माँ के आँखों में आंसू भी नहीं टपकपायी। धन्य है वो स्वामी भक्ति और धन्य है वो माँ। इतिहास में ऐसे विरले ही उदाहरण देखने को मिलता है जिसको अपना परिवार और बच्चा नहीं बल्कि राजभक्ति प्रिय हुई। ऐसे स्वामी भक्ति और बलिदान को शत शत नमन!
फिर आगे बहुत जद्दोजहद और ठोकरें Panna Dhai को उदय सिंह को लेकर झेलना पड़ा। दुष्ट प्रकृति के बनवीर के चलते पन्ना को कहीं भी शरण नहीं मिला। वो दर दर भटकती रही लेकिन किसी ने भी डर के मारे शरण नहीं दिया। अंत में कुम्भलगढ़ में जाकर उदय सिंह और पन्ना को शरण मिली क्योंकि इस घटना से वो राज्य अनभिज्ञ था।
आगे चलकर पन्ना और उदय सिंह को शरण तो मिल गया लेकिन वहां पर उदय सिंह किलेदार का भानजा बनकर पला बड़ा हुआ। जब उदय सिंह १३ वर्ष की आयु के हुए तो मेवाड़ी उमराओं ने उनको अपना राजा स्वीकार किया फिर १५४२ ईस्वी में मेवाड़ की एक वैधानिक महाराणा बन पाए।
Panna Dhai story in Hindi इस तरह देखा जाय तो पन्ना से कृत्य और बलिदान से इतिहास में अविस्मरणीय हो गयीं और जिस सम्मान के साथ मेवाड़ के इतिहास में प्रातः स्मरणीय महाराजा राणा प्रताप का नाम लिया जाता है वही सम्मान पन्ना धाय माँ को भी मिला। धन्य है वो माँ जिसने इतना बड़ा बलिदान दिया! हम भी नतमस्तक हैं ऐसे माँ के प्रति!
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FAQs-Panna Dhai story in hindi
प्रश्न:- पन्ना धाय का गांव कौन सा था?
उत्तर:-पन्ना धाय का जन्म कमेरी गांव में हुआ था।
प्रश्न:-पन्ना धाय का जन्म कब हुआ?
उत्तर:-8 मार्च 1490 मंगलवार को पन्ना धाय का जन्म हुआ था।
प्रश्न:-पन्ना धाय का पति कौन था?
उत्तर:-सूरजमल थे जो कमेरी गांव के चौहान गोत्रीय लालाजी गुर्जर के पुत्र थे।
Important Gyan के इस सीरीज में मैं आप लोगों को ये बताने का प्रयास किया कि Panna Dhai story in Hindi के लिए क्या पूरा विवरण है? मित्रों मुझे अपनी लेखनी को यहीं पर समाप्त करने का इजाजत दीजिये। Panna Dhai story in Hindi
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