अलाउद्दीन खिलजी जनता का चरवाहा और सिकंदर द्वितीय सानी नाम से प्रसिद्ध Alauddin Khilji in Hindi

अलाउद्दीन खिलजी जनता का चरवाहा और सिकंदर द्वितीय सानी नाम से प्रसिद्ध Alauddin Khilji in Hindi

Alauddin Khilji in Hindi-1296-1316 ईस्वी

अलाउद्दीन खिलजी कौन था?

अलाउद्दीन के बचपन का नाम अलीगुरसस्प था। इसके पिता का नाम शिहाबुद्दीन मसूर खलजी था। यह जलालुद्दीन खिलजी के भाई थे। आपको बता दें की शिहाबुद्दीन के चार पुत्र थे।

  • अली गुरशप
  • अलमास बेग
  • कुतलुग तिगीन
  • मुहम्मद

अलाउद्दीन खिलजी की शिक्षा-दीक्षा ठीक नहीं थी लेकिन शस्त्र विद्या में यह निपुण हो गया था। इसने खलजी क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया था और साथ ही मलिक छज्जु के विद्रोह को भी दबाया था अतः इसकी योग्यता से प्रभावित होकर इसको कडा-मानिकपुर की सूबेदारी मिल गई थी। इसके साथ अपनी एक पुत्री का विवाह जलालउद्दीन ने इसके साथ कर दिया था। Alauddin Khilji in Hindi

कडा-मानिकपुर की सूबेदारी अलाउद्दीन के लिए बहुत ही लाभकारी था । लेकिन अलाउद्दीन का पारिवारिक जीवन कलहपूर्ण था। इसकी पत्नी और सास दोनों ही इसके साथ प्रतिकूल व्यवहार करती थीं अतः परिवार से ये पूरी तरह उदासीन हो गया था ।

इधर जलालउद्दीन का मानसम्मान भी दिन पर दिन घत रहा था । अतः ये सभी बातें अलाउद्दीन के सुल्तान बनने के लिए  प्रतिकूल बन रही थी । लेकिन जब जलालउद्दीन की मृत्यु हुई तो माहौल एकदम बदल गया । Alauddin Khilji in Hindi

जलालउद्दीन के पुत्रों के साथ मतभेद हो जाने पर मलिक-ए-जहां ने अपने तीसरे पुत्र रुकनूद्दीन को दिल्ली की गद्दी पर बैठाया । इससे बडा पुत्र अरकली खान बहुत ज्यादा नाराज हो गया। इतिहास में अरकली खाँ कठोर दंड देने के लिए प्रसिद्ध था।

इस मतभेद की स्थिति का लाभ अलाउद्दीन ने उठाया और मौका पाते ही आक्रमण कर रुकनूद्दीन को पराजित कर दिया । दिल्ली के लाल महल में अलाउद्दीन ने 20 जुलाई 1296 ईस्वी को अपना राज्याभिषेक करवाया था ।  जब अलाउद्दीन गद्दी पर बैठा तो इसने ‘अबुल मुजफ्फर सुल्तान अलाउद्दीनियाँ वांदिन मुहम्मदशाह खिलजी’ की उपाधि धारण किया ।

अमीर खुसरो ने इसको ‘जनता का चरवाहा’ और ‘अपने युग का विजेता’ एवं शासकों के सुल्तान’ की उपाधि दिया । Alauddin Khilji in Hindi

अहमदचप, मलिका-ए-जहां और उलुग का दमन करने के पश्चात अलाउद्दीन ने अपने सिक्कों पर सिकंदर द्वितीय (सानी) की उपाधि धारण किया ।

इसके शासन काल में प्राप्त कुछ योग्य अधिकारी जिन्होंने इसके सैन्य अभियान में हमेशा साथ दिया

अलाउद्दीन सम्पूर्ण विश्व को जितना चाहता था और एक नवीन धर्म की स्थापना करना चाहता था ।लेकिन अपने मुख से कभी भी राजत्व के सिद्धांत का प्रतिपादन नहीं किया था । लेकिन अलाउद्दीन का मित्र और दिल्ली का कोतवाल अलाउल-मुल्क ने उसे सभी बातों को बड़े प्यार से समझाया और कहा की आपको वाह्य देशों के प्रति विजय की लालसा छोड़कर अपने राज्य को मजबूत और विस्तृत करना चाहिए । Alauddin Khilji in Hindi

चूंकि अलाउद्दीन भी समझदार था अतः कोतवाल की बातें उसको अच्छी लगी । इसने यह विचार त्याग दिया और अपने साम्राज्य को व्यवस्थित करना उचित समझा ।

अलाउद्दीन के बारे में के एस लाल ने कहा है की “फ्रांस के लुई XIV की भांति अपने को भी राज्य में सर्वोपरि बना दिया”

सुल्तान बनने के बाद अलाउद्दीन ने मुख्य रूप से चार आदेश जारी किए

  • इनाम और पेंशन में दी गई जमीनें छीन ली गई और धनी लोगों की भी जमीनें छीन ली गई।
  • गुप्तचरों की बहाली कर दी गई।
  • शराब और भांग के दावत पर प्रतिबंध लगा दिया गया ।
  • अमीरों के वैवाहिक संबंधों की स्थापना हेतु राज्य के अनुमति जरूरी।

अलाउद्दीन खिलजी के विजय अभियान

अलाउद्दीन ने अपने विजय अभियान में दो तरीके अपनाए । प्रथम उत्तरी भारत में उसने अपना राज्य विस्तार का क्रम जारी रखा लेकिन दक्षिण भारत में उसने सिर्फ अधीनता स्वीकार की नीति अपनाई और उनसे वार्षिक कर लेकर संतुष्ट हो गया। Alauddin Khilji in Hindi

उत्तरी भारत में विजय अभियान

अलाउद्दीन की उत्तरी भारत की विजय साम्राज्य

 विस्तार की थी ।

जैसलरमेल और गुजरात विजय-1298-99

इस समय यहाँ के शासक बघेल वंश के कर्ण द्वितीय थे। अलाउद्दीन ने उलुग खाँ और नुसरत खाँ को इस अभियान के लिए नियुक्त किया था ।

कर्णदेव अपनी पत्नी कमला देवी को छोड़कर भाग निकले। अंत में अलाउद्दीन ने कमलादेवी से शादी कर लिया । Alauddin Khilji in Hindi

नुसरत खाँ ने मलिक काफ़ुर को 1000 दिनार में खरीदा था जिसे हजारदिनारी कहा जाता है। इसके बाद मलिक काफ़ुर को दिल्ली लाया गया ।

गुजरात अभियान के बाद उलुगखान को हाकीम बना दिया गया । दिल्ली आते समय पैसे लेकर नवीन मुसलमान और उलुग नसरतखाँ में मतभेद हो गया। लेकिन अलाउद्दीन ने नवीन मुसलमानों को कठोर दंड देते हुए इनके परिवार और बच्चों को सीधे कत्ले आम करा दिया।

रणथंभौर अभियान -1300 ईस्वी

यहाँ का शासक ह्म्मीरदेव थे। यहाँ के लिए अलाउद्दीन ने उलुगखाँ और नुसरत खाँ को चुना था । लेकिन आपको बता दें की इस अभियान में नुसरत खाँ की मृत्यु हो गई ।

लेकिन अलाउद्दीन खुद यहाँ गया और ह्म्मीरदेव का मंत्री रणमल था ये अलाउद्दीन से संधि करने आया था, अलाउद्दीन से मिल गया । इसतरह अलाउद्दीन की विजय हुई । लेकिन बाद में अलाउद्दीन ने गद्दार रनमल की हत्या कर दिया । Alauddin Khilji in Hindi

बंगाल विजय 1303 ईस्वी

यहाँ पर शमसुद्दीन ने खुद को सुल्तान घोषित कर दिया था और अपने नाम के सिक्के चलाए । लेकिन यहाँ कुछ अलाउद्दीन को परिणाम नहीं मिला । यहाँ मुस्लिम सेना हार गई । इस तरह बंगाल 1324 तक स्वतंत्र रहा ।

चित्तौड़ विजय-1303 ईस्वी

 इस समय यहाँ शासक राणा रतनसेन थे । इनकी पत्नी पद्मावती खूबसूरत थी । अलाउद्दीन ने यहाँ का घेरा डाल दिया और चारों तरफ से चित्तौड़ को घेर लिया । सात माह के घेरे के पश्चात आखिर में अलाउद्दीन की विजय हुई । स्त्रियों ने जौहर कर लिया । लेकिन इसामी और खुसरव इस बात को नहीं मानते हैं की यहाँ कोई जौहर हुआ था । Alauddin Khilji in Hindi

अलाउद्दीन ने खीज्र खान को यहाँ का गवर्नर नियुक्त किया । इसका नाम खीज्रबाद रख दिया । आपको बता दें की अमीर खुसरो भी इस अभियान के समय मौजूद थे ।

मलिक मुहम्मद जायसी की रचना है-पद्मावत और जटमल की रचना है ‘गोरा बादल’ ।

आपको बता दें की अमीर खुसरो की रचना ‘तारीख-ए-अलाई में सुलेमान और शैव्या का उल्लेख हुआ है जिसका संबंध रतनसेन और पद्मावती से बैठाया गया है । Alauddin Khilji in Hindi

मालवा विजय-1305 ईस्वी

यहाँ का तत्कालीन शासक महलकदेव थे । इसका भाई हरनन्द था । इसको ‘कोकाप्रधान’ भी कहा जाता है । इसके विरुद्द अलाउद्दीन ने एन-उल-मुल्क को नियुक्त किया था । इसने मालवा को जीत लिया ।  

सिवाना की विजय-1308 ईस्वी

इस समय यहाँ का शासक शीतलदेव था।  इनको अलाउद्दीन ने पराजित करके इस राज्य पर कब्जा कर लिया ।

जालौर की विजय-1311 ईस्वी

यहाँ का राजा कान्हदेव या करंदेव थे । यहाँ एक बात ध्यान दें की इस प्रदेश की विजय के लिए अलाउद्दीन ने एक नर्तकी को नियुक्त किया था । यह मध्य-काल की पहली घटना ।

नर्तकी का नाम था ‘गुले बिहिस्त’ जो युद्ध में मारी गई । लेकिन कमालउद्दीन गुर्ग ने इस किले को जीत लिया ।

उत्तर भारत में सिर्फ कश्मीर, नेपाल और असम ही शेष बच पाए थे अलाउद्दीन के प्रकोप से ।

दक्षिण भारत का अभियान

पैसे की लालसा में अलाउद्दीन ने दक्षिण भारत की तरफ अपना ध्यान लगाया। लेकिन दक्षिण में इसका ध्यान सिर्फ राज्यों के राजाओं को पराजित करके छोड़ना था और उनसे धन ऐंठना । दक्षिण का अभियान उनके अधिग्रहण करने की इच्छा नहीं थी । Alauddin Khilji in Hindi

अतः अलाउद्दीन की इस नीति की तुलना हम समुद्रगुप्त की ‘ग्रहणमोक्षानुग्रह’ की नीति से कर सकते हैं ।

आपको बता दें की दक्षिण भारत में इस समय कुल चार राज्य थे जिनके ऊपर अलाउद्दीन की टेढ़ी नजर लगी हुई थी ।

  • देवगिरि का राज्य,
  • तेलंगाना राज्य,
  • होयसल राज्य,
  • पाण्ड्य राज्य ।

देवगिरि विजय-1307 ईस्वी

राजा रामचन्द्र यहाँ के शासक थे और इनकी राजधानी दौलताबाद थी । इनके दरबार में हेमाद्री नामक विद्वान थे और इनकी रचना थी-“चतुवर्गचिंतामणी

इसकी रचना ‘हिन्दूधर्म शास्त्र’ पर हुई थी । ये मोरी लिपि के सुधारक भी थे । फरिश्ता ने कहा है की “साधारण से साधारण लोग भी दक्षिण भारत में सोने के आभूषण पहनते थे ।

अलाउद्दीन ने 1307 ईस्वी में मलिक काफ़ुर को देवगिरि जितने के लिए आदेश दिया। इधर रामचंद्र ने गुजरात के शासक कर्णदेव को शरण दिया और बगलाना प्रदेश का शासक बना दिया । Alauddin Khilji in Hindi

मलिककाफ़ुर ने बगलाना के किले को घेर लिया । मलिक काफ़ुर ने अल्प  खाँ को बगलाना का नेतृत्व सौंपकर देवगिरि चला गया । यही अल्प खाँ देवलरानी को छीनकर दिल्ली ले गया था।

इधर मलिक काफ़ुर भी रामचंद्र को पराजित करके बंदी बना लिया था । लेकिन अलाउद्दीन ने रामचंद्र के साथ बहुत ही अच्छा व्यवहार करते हुए उपहार रूप में ‘एक लाख टँका’ और ‘नौसारी’ का जिला दे दिया । इसके अलावा इनको रायरायन(राजाओं का राजा) की उपाधि और चंदोवा दिया ।

संत ज्ञानेश्वर ने गीता पर टीका लिखा था जिसका नाम था -संत विज्ञानेश्वरी

तेलंगाना विजय-1309 ईस्वी

अलाउद्दीन ने काकतीय राज्य पर आक्रमण किया था और यहाँ की राजधानी वारंगल थी और शासक प्रतापरुद्र देव II था । यह काकतीय रानी रूद्रमा का पुत्र था ।

आपको बता दें की प्रतापरुद्रदेव के दरबारी वैद्यनाथ की रचना ‘प्रतापरुद्रीय’ इसी शासक को समर्पित है । काकतीय राज्य में ‘बसिरग़ढ़’ हीरों वाला जिला था ।

1309 ईस्वी में मलिककाफ़ुर को देवगिरि से रामचंद्र ने मराठा सैनिकों को भेजा था, रुद्रदेव को पराजित करने के लिए। Alauddin Khilji in Hindi

वारंगल के युद्ध में प्रतापरुद्र देव पराजित हुए । यही वो समय था जब पराजित होने पर प्रताप रुद्र ने जगतप्रसिद्ध कोहिनूर हीरा मलिक काफ़ुर को भेजा था ।

होयसल राज्य की विजय-1311 ईस्वी

यह मैसूर राज्य में पड़ता है और मलिक काफ़ुर के नेतृत्व में यहाँ पर हमला हुआ था। यह होयसल राजा ‘बीरबलाल तृतीय’ था । इस समय मलिक काफ़ुर की मदद रामचंद्र का सेनापति पारसदेव कर रहा था ।

यहाँ आपको बता दें की बीरबलाल तृतीय ने संधि करना उचित समझा और मलिक काफ़ुर को भारी मात्रा में धन मिला ।

पाण्डय राज्य की विजय-1310-11 ईस्वी

यह राज्य युद्ध में फंसा था क्योंकि राजा मारवर्मन कुलशेखर की हत्या इनके पुत्र सुंदरपाण्ड्य ने कर दिया था । आपको बता दें की वीर पांडे और सुंदर पांडे में सिंहासन के लिए झगड़ा चल रहा था ।

सुंदर पांडे ने अपने भाई वीर पांडे के खिलाफ अलाउद्दीन से सहायता की मांग की ।

वीरपाण्ड्य को भारत में गुरिल्ला युद्ध का जन्मदाता माना जाता है। वीरपांडे ‘विरधुल भगा इसके बाद कुंडुर और फिर चितम्बरम(वरमताप्ती) की तरफ भागा । Alauddin Khilji in Hindi

मलिक काफ़ुर ने यहाँ पर लिंगमहादेव के मंदिर को लूटा लेकिन यहाँ से वीरपाण्ड्य श्रीरंगम भाग गया और फिर रामेश्वरम भागा । मलिक काफ़ुर यहाँ भी पहुँच गया और यहीं पर इसने “अलाउद्दीनियाँ” नामक मस्जिद बनाया।

लेकिन यहाँ एक बात ध्यान दें की पाण्ड्य राज्य ने अलाउद्दीन खिलजी की अधीनता स्वीकार नहीं किया । Alauddin Khilji in Hindi

धन की दृष्टि से मलिक काफ़ुर का यह अभियान सबसे सफल माना जाता है । मलिक काफ़ुर ने यादव वंश के एक राजा हरपाल देव को यहाँ का शासन दे दिया ।

देवगिरि के विरुद्ध दूसरा अभियान-1312 ईस्वी

रामचंद्र की मृत्यु के बाद सिंहड़देव गद्दी पर बैठा । लेकिन पुरानी संधियों को नकारते हुए इसने अलाउद्दीन की किसी भी तरह की सहायता करने से मना कर दिया ।

इस बार फिर अलाउद्दीन ने मलिक काफ़ुर को दक्षिण अभियान के लिए भेजा । सिंहड़देव मलिक काफ़ुर से पराजित हुआ और मार दिया गया ।

इस विजय के बाद मलिक काफ़ुर दक्षिण में ही रहने का मन बना लिया लेकिन अलाउद्दीन ने इसको वापस बुला लिया । इस तरह मलिक काफ़ुर ने रामचन्द्र के कुल के हरपालदेव को गद्दी देकर दिल्ली वापस आ गया । Alauddin Khilji in Hindi

इस तरह अलाउद्दीन की दक्षिण नीति न तो पूर्ण थी और न ही अस्थायी ।

मँगोल आक्रमण

सबसे ज्यादा मँगोल आक्रमण अलाउद्दीन के काल में हुआ था । मंगोलों की दो जातियाँ थीं ।

  • ईरान के इलखान यानि की पर्शिया
  • ट्रांसआक्सीयना के चगताई ।

अलाउद्दीन खिलजी का समकालीन मंगोल शासक “दवा खाँ” या “दाऊद खाँ “था ।

मँगोलों का प्रथम आक्रमण-1297-98 ईस्वी

मंगोलों का प्रथम आक्रमण लाहौर और पंजाब पर हुआ था । दाऊद खान ने कादर खाँ के नेतृत्व में किया था । Alauddin Khilji in Hindi

अलाउद्दीन ने इसके लिए उलुगखान और जफर खाँ को नियुक्त किया जिसमें इन्होंने जालंधर के पास कादर खाँ को पराजित किया था ।

मँगोलों का दूसरा आक्रमण-1299 ईस्वी

इस आक्रमण का नेतृत्व दवा खाँ के भाई सालदींन ने किया था । इसने सहवाँन को जीत लिया।

जफर खाँ ने सिंध(सेहवान) में इन मंगोलों को पराजित किया था ।इसमें  सालदींन मारे गए। अरबों ने मंसूरा को बसाया था। Alauddin Khilji in Hindi

मँगोलों का तीसरा आक्रमण-1299 ईस्वी

साल के अंत में कुतलुज ख्वाजा ने आक्रमण किया था।  दिल्ली के पास के कीली के मैदान में जफरखाँ, पुत्र दिलेर खाँ, अलाउद्दीन और नुसरत खाँ भी मंगोलों के विरुद्द लड़ रहे थे ।

लेकिन इस युद्ध में जफर खाँ और पुत्र दिलेर खाँ को तारगी के नेतृत्व में मंगोलों ने घेर कर मार डाला । आपको बता दें की समकालीन लेखकों ने जफर खाँ को अपने युग का रुस्तम कहा है।

मँगोलों का चतुर्थ आक्रमण-1303 ईस्वी

यह आक्रमण तारगी के नेतृत्व में हुआ था । तारगी ने अलाउद्दीन समेत सभी को सिरी के किले में घेर लिया । लेकिन कुछ विकट परिस्थतियों के कारण मंगोलों को अपना घेरा उठाना पड़ गया ।

मँगोलों का पाँचवा आक्रमण-1305 ईस्वी

यह आक्रमण अलीबेग और तरताक के अधीन हुआ था । अलाउद्दीन ने मलिक काफ़ुर और गाजीतुगलक के नेतृत्व में सेना भेजा।  इन दोनो ने मंगोलों को पराजित कर दिया । Alauddin Khilji in Hindi

मँगोलों का छठवाँ आक्रमण-1306 ईस्वी

इस आक्रमण में मंगोलों के तरफ से कबक, इकबाल और तेइबु के नेतृत्व में हुआ था ।

इस आक्रमण को भी मलिक काफ़ुर और गाजीतुगलक के नेतृत्व में मंगोलों को धूल चटा दिया।

अलाउद्दीन खिलजी के काल में प्रमुख विद्रोह

अलाउद्दीन के भाई अकत खाँ का विद्रोह

अकत खाँ ने अलाउद्दीन खिलजी पर आक्रमण कर दिया जिससे वह मूर्छित होकर गिर पड़ा । इसके बाद सैनकों ने इसको मार डाला । Alauddin Khilji in Hindi

दिल्ली में हाजीमौला का विद्रोह

ये फखरूद्दीन के सेवक थे । अलाउल-मुल्क के मृत्यु के बाद ये कोतवाल बनना चाहते थे। लेकिन अलाउद्दीन वैयाद तिरीमिर्जा को कोतवाल बना दिया । लेकिन हाजीमौला ने इसका वध कर दिया ।

लेकिन अलाउद्दीन ने विद्रोह को असफल कर दिया । Alauddin Khilji in Hindi

इस प्रकार देखा जाए तो अलाउद्दीन खिलजी के काल में मँगोल आक्रमण सबसे ज्यादा हुआ था लेकिन विद्रोह कम ही हुआ था । हम आप लोगों को अगले लेख में इसके बाजार नियंत्रण और प्रशासन के बारे में विस्तार से बताएंगे । Alauddin Khilji in Hindi

निर्माण संबंधि कार्य

अलाउद्दीन खिलजी ने अलाई दरवाजा का निर्माण करवाया था । इसने निजामुद्दीन औलिया की दरगाह में जमायत खाना मस्जिद का निर्माण करवाया था ।

दिल्ली में सीरी नगर की स्थापना की । अलाउद्दीन खिलजी ने हजार सितुन अर्थात हजार खंभों वाला महल का निर्माण करवाया। सीरी नगर में ही ‘हौज-ए-अलाई का निर्माण करवाया था । मुस्लिम स्थापत्य की शुरुवात इसी के काल में शुरू हुआ था ।

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जलालउद्दीन खिलजी

Important Gyan के इस सीरीज में मैं आप लोगों को ये बताने का प्रयास किया कि अलाउद्दीन खिलजी कौन था । मित्रों मुझे अपनी लेखनी को यहीं पर समाप्त करने का इजाजत दीजिये। Alauddin Khilji in Hindi

अगर कहीं कोई त्रुटि रह गयी हो तो मानवीय भूल समझ कर क्षमा कर दीजियेगा और कोई सुझाव हो तो जरूर दें हम अपने लेख में उचित स्थान देंगे और कोई प्रश्न हो तो जरूर पूछे। Alauddin Khilji in Hindi

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