अलाउद्दीन खिलजी का राजस्व प्रशासन Alauddin Khilji Rajaswa Prashasan

अलाउद्दीन खिलजी का राजस्व प्रशासन Alauddin Khilji Rajaswa Prashasan

अलाउद्दीन खिलजी का राजस्व प्रशासन

यह नीति आत्मघाती थी क्योंकि इसमें सोने के अंडे देने वाली मुर्गी को ही मार डाला गया था । अलाउद्दीन ने उत्पादन में वृद्धि और कृषि में प्रोत्साहन हेतु नहीं छोड़ा –ताराचंद्र

बरनी ने कहा था की राजत्व सेना है और सेना राजत्व है । अलाउद्दीन के राजस्व प्रशासन के बारे में विस्तार से जानकारी बरनी की पुस्तक “तारीख-ए-फिरोजशाही में मिलता है ।अलाउद्दीन लूट की दौलत से सैनिकों को 5-7 वर्ष वेतन देता था । इनाम,पेंशन,वक्फ,मिल्क भूमियों को लेकर अलाउद्दीन खिलजी ने खालसा भूमि में परिवर्तित कर दिया। हिन्दू मुखियों, मुकदमों,खुतों को कर प्रशासन से अलग कर दिया । Alauddin Khilji Rajaswa Prashasan

सरकारी अधिकारियों की नियुक्ति खराज वसूलने के लिए किया जैसे-आमिल,माहस्सिल,नसविदों आदि। यहाँ पर बरनी कहता है की “खूतों, मुकदमों और मुखियों की दशा इतनी गिर गई की उनके महिलाओं को मुस्लिम घरों में जाकर काम करना पड़ा ।“किसानों से लगान उपज का 1/3 भाग वसूला जाता था । लेकिन इस समय अलाउद्दीन ने उपज का 50% यानि की ½ भाग लेना निश्चित किया।लेकिन फरिश्ता ने कहा है की दो जोड़ी बैल, एक जोड़ी भैंस, एक जोड़ी गाय और 10 बकरी पर कोई कर नहीं लगता था । Alauddin Khilji Rajaswa Prashasan

खम्श:-

लूट का माल या जमीन में दबी हुई संपत्ति । इसने खम्श केमाल को 4/5 भाग राज्य और 1/5 भाग सैनिकों को देने का कानून बनाया ।

जकात

मुसलमानों से लिया जाने वाला कर था जो उनकी संपत्ति का 40 वाँ भाग था ।

हिन्दू व्यापारी से 10% और मुस्लिम व्यापारियों से 5% विक्री कर लिया जाता था ।

अलाउद्दीन खिलजी ‘दीवान-ए-मुस्तखराज(राजस्व विभाग) से बकाये रकम की वसूली करता था । इस विभाग का अधिकारी ‘शर्क कायिनी’ था।

आपके जानकारी के लिए बता दें की इसके शासन काल में कोई अकाल नहीं पड़ा ।

अलाउद्दीन ने भूमि का सर्वक्षण(पैमाइश) करवाया था । भूमि की पैमाइश को मसाहत(नापजोख) कहा जाता था । मालगुजारी को महसूल बोला जाता था ।

“बिसवा” नाप-जोख की इकाई थी । वास्तविक उपज के आधार पर लगान निर्धारित किया जाता था ।

बरनी ने लिखा है की “एक साधारण सा लगान अधिकारी 12 खुत और मुकदमों लो गर्दन एक साथ बांधकर लात और घूसों से मारकर खराज वसूल करता था ।“

ये और आगे लिखता है की “एक भी टंके का गबन करने वाले अधिकारी को बरसों जेल में रहना अपड़ता था और लगान अधिकारी इस स्थिति में पहुँच गए थे की कोई भी व्यक्ति अपनी बेटी की शादी इन अधिकारियों से करना पसंद नहीं करता था ।“

अलाउद्दीन खिलजी के सैन्य(सैनक) सुधारों का वर्णन

दीवान-ए-आरिज= इसका प्रधान अधिकारी आरिज-ए-मुमालिक होता था । सेना की दशमलव प्रणाली का विकास मँगोलों ने किया था । इसको अलाउद्दीन खिलजी ने अपनाया था ।

अलाउद्दीन खिलजी ने स्थायी और केन्द्रीय सेना का गठन किया ।

4 लाख 75 हजार सैनिकों की भर्ती की थी । नकद वेतन देने की प्रणाली शुरू की ।

एक घोड़े का सवार एक अस्पा(234 टँका वार्षिक वेतन)

दो घोड़े का सवार दो अस्पा(312 टँका वार्षिक वेतन)

घोड़े को दागने की प्रणाली अलाउद्दीन खिलजी ने ही शुरू किया था।

निरीक्षण के द्वारा जिन सैनिकों की भर्ती होती थी उसे “मुर्रच” बोला जाता था ।

सिरी(दिल्ली) में अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण होता था इसके साथ ही किला में भी अस्त्र-शस्त्र का निर्माण होता था ।

Important Gyan के इस सीरीज में मैं आप लोगों को ये बताने का प्रयास किया कि अलाउद्दीन खिलजी का राजस्व प्रशासन कैसा था? मित्रों मुझे अपनी लेखनी को यहीं पर समाप्त करने का इजाजत दीजिये। Alauddin Khilji Rajaswa Prashasan

अगर कहीं कोई त्रुटि रह गयी हो तो मानवीय भूल समझ कर क्षमा कर दीजियेगा और कोई सुझाव हो तो जरूर दें हम अपने लेख में उचित स्थान देंगे और कोई प्रश्न हो तो जरूर पूछे। Alauddin Khilji Rajaswa Prashasan

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FAQs

प्रश्न:- अलाउद्दीन खिलजी के राजस्व प्रशासन का वर्णन किस पुस्तक में हुआ है?

उत्तर:- अलाउद्दीन के राजस्व प्रशासन का वर्णन बरनी की पुस्तक “तारीख-ए-फिरोजशाही” में हुआ है ।

प्रश्न:- अलाउद्दीन खिलजी ने लगान उपज का कितना प्रतिशत लेता था?

उत्तर:- अलाउद्दीन खिलजी ने लगान उपज का 50% यानि की ½ भाग लेता था लेता था ।

प्रश्न:- अलाउद्दीन खिलजी हिन्दू व्यापारी और मुस्लिम व्यापारी से कितना प्रतिशत कर वसूलता था?

उत्तर:- अलाउद्दीन खिलजी हिन्दू व्यापारी और मुस्लिम व्यापारी से कितना प्रतिशत कर वसूलता था?

प्रश्न:- महसूल किसे बोला जाता था?

उत्तर:-मालगुजारी को महसूल बोला जाता था ।

प्रश्न:- नाप-जोख की इकाई क्या थी?

उत्तर:-बिस्वा नाप-जोख की इकाई होती थी ।

प्रश्न:- ‘शर्क कायिनी’ क्या होता था?

उत्तर:- ‘शर्क कायिनी’  दीवान-ए-मुस्तखराज का प्रशासक होता था ।

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