Sanyasi Vidroh
साथियों!
इस लेख के अंत में हमने एक Quiz दिया है । सबसे पहले इस लेख को ध्यान से पढ़ें फिर उसके बाद आप क्विज़ को हल करें । Sanyasi Vidroh आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं में आपको इससे बहुत लाभ मिलेगा । साथियों ये क्विज़ एकमात्र आप लोगों के सहायता के लिए बनाया गया जो कान्सेप्ट पर आधारित है आप इनको हल करके अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकते हैं । अगर आपको किसी प्रकार की दिक्कत आती है तो कृपया जरूर बताएं । Sanyasi Vidroh
आज हम जानेंगे की सन्यासी विद्रोह क्या था? सन्यासी विद्रोह कहाँ और क्यों हुआ था? सन्यासी विद्रोह कब हुआ था? अंग्रेजों के विरुद्ध सन्यासी विद्रोह का उल्लेख किस पुस्तक में मिलता है? सन्यासी विद्रोह का कारण क्या था?
सन्यासी विद्रोह क्या था?
आपको बता दें की यह एक तरह का नागरिक विद्रोह था । ये सन्यासी धार्मिक भिक्षुक थे लेकिन ये मूल रूप में किसान थे। इनकी जमीनें छिन गई थीं । इस विद्रोह का नेतृत्व सत्ताच्युत राजाओं, नवाबों या उनके उत्तराधिकारियों या अपनी जमीन जायदात से बेदखल किए गए भूस्वामियों, जमींदारों अथवा पॉलीगारों द्वारा किया जाता था । Sanyasi Vidroh
इस तरह के विद्रोह को शक्ति और आधार हमेशा किसान, राजा और नवाबों द्वारा विघटित किए गए सिपाही से मिलता था। हालांकि इस विद्रोह का मुख्य मुद्दा स्थानीय ही था । इनका दायरा सीमित ही होता था । ये लुटपाट का काम ज्यादा करते थे । Sanyasi Vidroh
इस विद्रोह में छोटे छोटे जमींदार, कर्मचारी, सेवानिवृत सैनिक और गाँव के गरीब दुखिया सन्यासी दल में मिल गए । इनकी संख्या पाँच से सात हजार के करीब होती थी और ये दल बनाकर घुमा करते थे । छीट-पुट रूप में गोरिल्ला तकनीक अपनाकर छापा मारते थे । Sanyasi Vidroh
ये लोग पहले अमीर लोगों के अन्न भंडार लूटा करते थे फिर धीरे धीरे सरकारी खजानों पर छापा मारने लगे ।
सन्यासी विद्रोह कहाँ और क्यों हुआ था?
ब्रिटिश राज ने इनसे ज्यादा से ज्यादा लगान वसूला, लगान की दरें बढ़ा दिया, इसके साथ ही इनकी सामाजिक, आर्थिक स्थिति को कमजोर कर दिया । इससे इनके अंदर असंतोष का माहौल पैदा हुआ । इधर अकाल अपनी जड़ें जमा के रखा था । Sanyasi Vidroh
इसके अलावा तीर्थ स्थलों की यात्रा पर प्रतिबंध भी लगाने ने इनके अंदर व्यापक असंतोष भर गया । ये लोग इतना क्षुब्द्ध हुए की ब्रिटिश राज के खिलाफ विद्रोह पर उतार आए ।
सन्यासी किसके अनुयायी थे?
इन सन्यासियों में अधिकांश शंकराचार्य के अनुयायी थे । ये लोग हिन्दू नागा और गिरी सशस्त्र सन्यासी थे । ये लोग जनता के साथ मिलकर अंग्रेज कोठियों पर हल्ला बोल दिए । Sanyasi Vidroh
सन्यासी विद्रोह कब हुआ था?
सन्यासी विद्रोह 1763 ईस्वी से 1800 ईस्वी तक चला था ।
सन्यासी विद्रोह की विशेषता?
इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह थी की हिन्दू और मुसलमान कंधे से कंधा मिलाकर चलते थे । इसमें दोनों वर्गों के लोग होते थे । Sanyasi Vidroh
सन्यासी विद्रोह के प्रमुख नेता कौन थे?
सन्यासी विद्रोह के प्रमुख नेता थे-मंजर शाह, देवी चौधरानी, मूसा शाह, दिरजी नारायण, केना सरकार आदि ।
अंग्रेजों के विरुद्ध सन्यासी विद्रोह का उल्लेख किस पुस्तक में मिलता है?
अंग्रेजों के विरुद्ध सन्यासी विद्रोह का उल्लेख बंकिम चंद्र चटोपाध्याय के प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनंदमठ’ में मिलता है। यह बांग्ला भाषा का प्रसिद्ध उपन्यास था । Sanyasi Vidroh
सन्यासी विद्रोह ने अपनी स्वतंत्र सरकार कहाँ स्थापित किया था?
सन्यासी विद्रोहियों ने अपनी स्वतंत्र सरकार की स्थापना बोगरा और मेमन सिंह में स्थापित किया था । ये लोग हमेशा लूटपाट और झड़पें हमेशा गोरिल्ला पद्धति पर किया करते थे । Sanyasi Vidroh
सन्यासी विद्रोह को किसने दबाया था?
लंबे संघर्ष के बाद वारेन हेस्टिंगस ने इस विद्रोह को कुचलने में सफलता पाया था ।
आज आपने इस लेख में क्या सीखा?
आज हमने इस लेख में सन्यासी विद्रोह के बारे में विस्तार से जानकारी देने का प्रयास किया है जिससे पढ़ने वालों को आने वाले परीक्षाओं में विशेष लाभ मिल सके ।
आप इन लेखों को भी एक बार जरूर पढ़ें!
Sanyasi Revolt
सन्यासी विद्रोह | विवरण |
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सन्यासी विद्रोह कब हुआ? | 1763 ईस्वी से 1800 ईस्वी के बीच |
सन्यासी विद्रोह क्या था? | नागरिक विद्रोह था । ये सन्यासी धार्मिक भिक्षुक थे लेकिन ये मूल रूप में किसान थे । |
सन्यासी विद्रोह कहाँ हुआ? | बंगाल में |
सन्यासी विद्रोह क्यों हुआ? | ब्रिटिश राज द्वारा मनमाना लगान की वसूली, अकाल, तीर्थयात्रा पर प्रतिबंध |
सन्यासी विद्रोही किसके अनुयायी थे? | शंकराचार्य के |
सन्यासी विद्रोह की विशेषता | हिन्दू और मुस्लिम कंधे से कंधा मिलाकर चलते थे । |
सन्यासी विद्रोह को किसने दबाया | वारेन हेस्टिंगस ने |
सन्यासी विद्रोह के प्रमुख नेता | मंजर शाह, देवी चौधरानी, मूसा शाह, दिरजी नारायण, केना सरकार |
सन्यासी विद्रोह का उल्लेख किस उपन्यास में मिलता है? | बंकिम चंद्र चटोपाध्याय के प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनंदमठ’ |
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Important Gyan के इस सीरीज में मैं आप लोगों को ये बताने का प्रयास किया कि सन्यासी विद्रोह कब हुआ था? मित्रों मुझे अपनी लेखनी को यहीं पर समाप्त करने का इजाजत दीजिये। Sanyasi Revolt upsc
अगर कहीं कोई त्रुटि रह गयी हो तो मानवीय भूल समझ क्षमा कर दीजियेगा और कोई सुझाव हो तो जरूर दें हम अपने लेख में उचित स्थान देंगे और कोई प्रश्न हो तो जरूर पूछे। Sanyasi Revolt upsc
आप लोगों को और अपना ज्ञानवर्धन करना चाहिए, अगर आप लोगों को लगता है की हमें और क्या पढ़ना चाहिए तो आप www.importantgyan.com के वेबसाईट पर नियमित विज़िट करके अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं । Sanyasi Revolt upsc
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