एक अद्भुत कृति जो इतिहास प्रसिद्ध हुआ Lal kila kisne banaya-एक विस्तृत विवरण

Lal kila kisne banaya:-अक्सर लाल किले के बारे में निम्न प्रश्नों की तलाश में आगंतुक रहते हैं की  लाल किला किसने बनवाया, लाल किला का  पूराना नाम क्या है, लाल किला किसने बनवाया और कब बनवाया था, दिल्ली का लाल किला कब बना था, लाल किले की इमारत कितनी पुरानी है,लाल किले के विशेष स्थान का नाम क्या है? अगर आप भी इन्हीं प्रश्नों की तलाश में है तो निश्चित तौर पर इस लेख में आपकी तलाश पूरी हो जाएगी ।

दोस्तों आप लोग इतिहास से जुड़े हर पहलु पर विचार करें और इसकी तैयारी किया करें। इससे आप लोगों को आगामी आने वाले परीक्षाओं में विशेष लाभ होने वाला है। इससे सम्बंधित प्रश्नोत्तरी भी हल किया करें जिससे आप लोग को और अधिक फायदा हो।

Lal kila kisne banaya?

तो चलिए आज के इस लेख में हम जानते हैं की लाल किला किसने बनवाया था, लाल किला किसने बनवाया था और क्यों, लाल किला कहाँ है, लाल किला कब बना था, लाल किला कहाँ पर है और इसकी क्या विशेषता है?

लाल किला किसने बनवाया था?

Lal kila kisne banaya:-अकबर के फतेहपुर सीकरी के भांति ही शाहजहाँ ने दिल्ली में एक शाहजहाँनाबाद नामक नगर की स्थापना किया था । इसकी स्थापना इसने 1638 ईस्वी में किया था । इन्हीं भवनों में दिल्ली का लाल किला एक महत्वपूर्ण किला है ।

लाल किला किसने बनवाया और कब बनवाया था?

Lal kila kisne banaya:-दिल्ली का लाल किला शाहजहाँ ने 1638 ईस्वी में किया था और यह 1648 ईस्वी में पूरा हो गया था । अर्थात इसको बनने में कुल 10 वर्ष लग गए थे ।

लाल किले का पुराना नाम क्या है?

आज वर्तमान में लाल किले के नाम से जगत प्रसिद्ध है लेकिन आप ये जानकर हैरान हो जाएंगे की इसका पुराना नाम “किला-ए-मुबारक” अर्थात “मुबारक किला” भी कहा जाता है ।

लाल किले की इमारत कितनी पुरानी है?

लाल किले की इमारत लगभग 380 साल पुराना है । इसकी देखभाल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग करता है । अतः यह पुरातत्व विभाग के देखरेख में है ।

Lal kila kisne banaya:-दिल्ली का लाल पुरानी दिल्ली में है और यह लाल बलुआ पत्थर से बनी है । इसकी दीवारें लाल रंग की है, अतः इसी कारण इसको लाल किला कहा जाता है । यूनेस्को ने इसको 2007 में विश्व धरोहर स्थल में चयनित किया था । यह अपनी शाही बनावट और अनूठी वास्तुकला के लिए जगत प्रसिद्ध है ।

Lal kila kisne banaya:-यह 250 एकड़ जमीन में फैला हुआ मुगल वास्तुकला में बना था जिसे मुग़लों के पांचवें शासक शाहजहाँ ने बनवाया था । यह तीनों ओर से यमुना नदी से घिरा हुआ है । आपको बताते चलें की जिस तरह ताजमहल को शोहरत मिली उसी तरह लाल किला को भी विश्वभर में एक स्थान मिला ।

शाहजहाँ ने अपनी राजधानी 1638 ईस्वी में ही आगरे से दिल्ली में शिफ्ट कर लिया था । और अपना पूरा ध्यान इसको बनवाने में लगा दिया था ।  

आपको जानकर यह हैरानी होगी की मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने ताजमहल को बनवाने के लिए सुप्रसिद्ध वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी को इस किले का डिजाइन बनाने हेतु नियुक्त किया था जिसने अपनी कल्पना शक्ति के माध्यम से एक अद्वितीय आकार देकर इसका निर्माण किया ।

दिल्ली को शाहजानाबाद क्यों कहा जाता है?

Lal kila kisne banaya:-आपके जानकारी के लिए बता दें की दिल्ली को दिल्ली का लाल किला बनने के कारण ही कहा जाता है । इसके अलावा औरंजेब ने आगे चलकर इसी में मोतीमस्जिद का भी निर्माण किया था ।

लाल किले पर नादिरशाह का आक्रमण

17 वीं शताब्दी में दिल्ली के लाल किले पर जहंदर शाह का कब्जा हुआ था तब तक दिल्ली के लाल किले पर शासक का स्थान रिक्त था उसके बाद नादिर शाह ने लाल किले पर अधिकार कर लिया फिर उसके बाद अंग्रेजों का अधिकार हो गया।

दिल्ली के लाल किले पर स्वतंत्रता के बाद प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने भारत का तिरंगा फहराया था ।

लाल किले की वास्तुकला

इस किले की कलाकृतियाँ फारसी, यूरोपीय, भारतीय कला का संश्लेषण है और यह शाहजहां शैली पर बनी एक अनुपम कृति है ।

Lal kila kisne banaya:-लाल किले पर दीवारें मुख्य द्वारों पर खुलता है-दिल्ली दरवाजा और लाहौरी दरवाजा । इसके अंदर लाहौर दरवाजा मुख्य प्रवेश द्वार है जिसके अंदर  एक लंबा बाजार, चट्टा चौक और एक बड़ा खुला स्थान है । इसके उत्तर-दक्षिण को सड़क काटती है और यही नागरिक एवं सैनिक महलों के भाग में बांटती थी। इसका दक्षिणी छोर दिल्ली गेट पर है।

नक्करखानालाहौर गेट से चट्टा चौक तक-संगीतज्ञों हेतु महल का मुख्य द्वार है ।
दीवान-ए-आमयह बादशाह के लिए बना था और सुलेमान के राज सिंहासन का नकल था ।
नहर-ए-बहिश्तमंडप एक छोटी नहर से जुड़ा है जिसे नहर-ए-बहिश्त कहा जाता है ।
जनानामहल के दो दक्षिणवर्ती प्रसाद महिलाओं हेतु बना है जिसको
खास महलइसमें शाही कक्ष बने हैं, इस बुर्ज से बादशाह जनता को दर्शन देते थे ।
दीवान-ए-खासयह निजी सभा कक्ष था ।
मोती मस्जिदहमाम के पश्चिम में औरंगजेब की निजी मस्जिद थी ।
हयात बक्श बागउत्तर में एक वृहत औपचारिक उद्यान है ।

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