कुणीक उपनाम से मशहूर अजातशत्रु कौन था-Ajatshatru in Hindi

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Ajatshatru in Hindi

आजातशत्रु का अर्थ

अजातशत्रु का अर्थ होता है शत्रुहीन अर्थात जिसका कोई शत्रु उत्पन्न न हुआ हो ।

अजातशत्रु कौन था?

Ajatshatru:- अजातशत्रु मगध नरेश बिंबसार का पुत्र और मगध का राजकुमार था । आगे चलकर यही मगध की सत्ता का दावेदार बना । इसने बिंबसार के उत्तराधिकार के रूप में मगध का साम्राज्य विस्तार किया था ।अजातशत्रु मगधनरेश बिम्बसार का पुत्र था ।

अजातशत्रु नाटक का प्रकाशक कौन है?

अजातशत्रु नाटक-प्रसाद जिसका मूल शीर्षक अजातशत्रु है अजातशत्रु और प्रकाशक लोकभारती प्रकाशन है ।

अजातशत्रु नाटक का प्रमुख पात्र कौन है?

अजातशत्रु नाटक में प्रमुख पात्र मगध नरेश बिंबसार का पुत्र अजातशत्रु है जो बिंबसार के मृत्यु के बाद मगध का शासक बना था । यह बुद्ध का समकालीन था ।

अजातशत्रु किसकी रचना है?

अजातशत्रु जयशंकर प्रसाद की रचना है ।

अजातशत्रु के बाद मगध की गद्दी पर कौन बैठा?

अजातशत्रु के बाद मगध क गद्दी पर उदयन बैठा था ।

अजातशत्रु

Ajatshatru:- आपको बताते चलें की बिंबसार के मृत्यु के बाद उसका पुत्र कुणीक अर्थात अजातशत्रु मगध यक राजा बना । यह एक पितृहंता था जो अपने पिता को मारकर गद्दी प्राप्त किया था । यह एक साम्राज्यवादी शासक था उसे यह विरासत मे मिला था ।

जब ये राजगद्दी संभाले तो इनके समय में कोशल और मगध में जंग शुरू हो गया था । यहाँ पर यह समझने वाली बात है की आखिर कोशल और मग़ध के बीच में जंग शुरू क्यों हुआ था? इसका विवरण संयुक्त निकाय में मिलता है-

Ajatshatru:- जब राजा बिंबसार की मृत्यु हुई तो उसके कुछ समय बाद ही इनकी पत्नी कौशला देवी की भी दुःख में मृत्यु हो गया । इस घटना को सुनकर प्रसेनजीत बहुत ही दुखी हुआ और उसने काशी पर पुनः अधिकार जमा लिया।

आपको बता दें की यही बात को लेकर कोशल और मगध में संघर्ष शुरू हुआ था। लेकिन अंत में प्रसेनजीत पराजित हुआ और उसने अपनी पुत्री का विवाह अजातशत्रु से कर दिया जिसका नाम वाजीरा था । इस तरह फिर काशी अजातशत्रु को प्राप्त हो गया । यहाँ पर आप लोग एक बात याद रखें की अजातशत्रु के समय में काशी का प्रांत हमेशा के लिए मगध में मिला लिया गया ।

Ajatshatru:- जब अजातशत्रु ने कोशल से निपट लिया तो अपना ध्यान वज्जी संघ की ओर केंद्रित किया । वैशाली वज्जी संघ का प्रमुख था और यहाँ का शासक लिछवि थे । आप जान लें की वैशाली और मगध के बीच मनमुटाव बिंबसार के समय से ही चल रहा था लेकिन अजातशत्रु के समय में इसने गंभीर रूप धारण कर लिया । इसके प्रमुख कारण थे-

हालांकि इस गंभीर संघर्ष के प्रमुख दो कारण बताए जाते हैं जो इस प्रकार है-

  1. सुमंगलवासिनी से पता चलता है की गंगा नदी के किनारे रत्नों की खान को लेकर दोनों पक्षों में भिड़ंत हुई।
  2. जैन ग्रंथ बताते हैं की बिंबसार ने अपनी पत्नी चेलना से उत्पन्न दो पुत्रों हल्ल और बेहल को रत्नों की हार और सेयनाग नामक हाथी दिया था जिसकी मांग अजातशत्रु ने किया । लेकिन ये दोनों भाई नाना के यहाँ चले गए तो अजातशत्रु ने लिछवि सरदार चेटक से इन दोनों भाइयों की मांग किया अजातशत्रु ने । परंतु चेटक ने मना कर दिया । इस पर क्रुद्ध होकर अजातशत्रु ने लिछवि सरदार के राज्य पर आक्रमण कर दिया ।

लेकिन यहाँ ध्यान देने की बात यह है की गंगा नदी को लेकर ही दोनों पक्षों में झगड़ा शुरू हुआ था ।

वज्जियों के ऊपर अजातशत्रु ने आक्रमण करने से पहले पाटलीग्राम के दुर्ग को मजबूत दुर्ग का निर्माण किया और अपने मंत्री वस्सकार को भेजकर वज्जियों में फुट डलवा दिया । इस बात के लिए अजातशत्रु ने महात्मा बुद्ध से परामर्श भी लिया था ।

Ajatshatru:- इस युद्ध में अजातशत्रु ने रथमसूल और महाशिलाकंटक जैसे दो गुप्त हथियार का भी प्रयोग किया था । इस तरह अपनी वीरता और चतुराई से वज्जियों को परास्त कर अजातशत्रु ने अपना ध्यान मल्लों की ओर लगाया । इनको भी परास्त करके अजातशत्रु ने अपनी एक मजबूत स्थिति पूर्वी उत्तर प्रदेश में बना लिया।

यहाँ आप एक बात ध्यान में रखें की इसी युद्ध में आजीवक संप्रदाय के संस्थापक मखलीपुत्र गोशाल मारे गए थे ।

Ajatshatru:- इसके बाद अब मगध का मुख्य प्रतिद्वंदी अवन्ती रह गया था । लेकिन इनके बीच कभी प्रत्यक्ष आमना सामना नहीं हुआ क्योंकि दोनों एक दूसरे से डरते थे । इन दोनों राज्यों के बीच वत्स एक सुलहकार बन गया क्योंकि अजातशत्रु ने अपनी कन्या पद्मावती का विवाह उदयन के साथ कर दिया ।

अजातशत्रु की धार्मिक नीति

Ajatshatru:- अजातशत्रु पहले जैन धर्म को मानता था लेकिन बाद में बौद्ध हो गया था । क्योंकि भरहुत स्तूप के एक वेदिका पर उत्कीर्ण मिलता है की ‘अजातशत्रु भगवान बुद्ध की वंदना करता है । इसके शासनकाल के आठवें वर्ष में महात्मा बुद्ध को महापरिनिर्वाण की प्राप्ति हुआ थी। अजातशत्रु ने इनके अवशेषों पर स्तूप का निर्माण राजगृह में करवाया था ।

राजगृह के सप्तपर्णी गुफा में ही प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन हुआ था ।

अजातशत्रु के पुत्र का क्या नाम था ?

अजातशत्रु के पुत्र का नाम उदयभद्र था ।

अजातशत्रु के वंश का क्या नाम था?

अजातशत्रु के वंश का नाम हर्यकवंश था ।

अजातशत्रु का दूसरा नाम क्या था?

अजातशत्रु का उपनाम कुणीक था ।

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प्रश्न:-अजातशत्रु किस धर्म को मानता था?

उत्तर:-शुरू में ये जैन धर्म को मानता था लेकिन बाद में बौद्ध धर्म को मानने लगा ।

प्रश्न:-अजातशत्रु के समय कौन सी बौद्ध संगीति का आयोजन किया गया था?

उत्तर:-अजातशत्रु के समय प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन किया गया था ।

प्रश्न:-मगध और अवन्ति के बीच सुलाकर कौन राज्य था?

उत्तर:-वत्स जनपद का राजा उदयन ।

प्रश्न:-अजातशत्रु ने पद्मावती का विवाह किसके साथ किया था?

उत्तर:-वत्स जनपद के राजा उदयन के साथ ।

प्रश्न:-अजातशत्रु ने कितने वर्ष शासन किया था?

उत्तर:-कुल 32 वर्ष शासन किया था।

प्रश्न:-अजातशत्रु ने किसके विरुद्ध अभियान किया था?

उत्तर:-कोशल & वज्जी संघ के विरुद्ध अभियान किया था ।

प्रश्न:-अजातशत्रु का प्रमुख मंत्री कौन था?

उत्तर:-वस्सकार मंत्री था ।

Ajatshatru:-आज आपने क्या जाना? आज हम इस लेख में बताने का प्रयास किया है की आजातशत्रु का अर्थ, अजातशत्रु कौन था, अजातशत्रु का उपनाम क्या था, अजातशत्रु का पुत्र कौन था, अजातशत्रु किसका उपनाम है, अजातशत्रु नाटक का प्रकाशक कौन है,अजातशत्रु नाटक का प्रमुख पात्र कौन है?अजात शत्रु नाटक में मगध का सम्राट कौन है? अजातशत्रु के वंश का क्या नाम था?

Important Gyan: शायद आप लोगों को अपने उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर मिल गया होगा लेकिन अगर कहीं कोई त्रुटि रह गयी हो तो मानवीय भूल समझ कर क्षमा कर दीजियेगा और कोई सुझाव हो तो जरूर दें हम अपने लेख में उचित स्थान देंगे और कोई प्रश्न हो तो जरूर पूछे।

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