रुकनूद्दीन फिरोज कैसे सुल्तान बना और कैसे सुल्तान पद हाथ से गया जानें कुछ विशेष बातें Ruknuddin Firoz shah in Hindi

रुकनूद्दीन फिरोज कैसे सुल्तान बना और कैसे सुल्तान पद हाथ से गया जानें कुछ विशेष बातें Ruknuddin Firoz shah in Hindi

नमस्कार साथियों!

Important Gyan के इस सीरीज में आप सभी का स्वागत है। आज हम जानेंगे रुकनूद्दीन फिरोज के बारे में कुछ रोचक जानकारियाँ जो आप लोगों के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद होगा ।

रुकनूद्दीन फिरोज 1236 ईस्वी

इल्तुतमीश का सबसे बडा पुत्र नसीरुद्दीन महमूद एक वीर और योग्य उत्तराधिकारी था लेकिन समय ने करवट लिया और समय से पहले ही वो चल बसा । उसकी मृत्यु 1229 ईस्वी में ही हो गई थी । अतः इल्तुतमीश के लिए एक बड़ी समस्या बनी हुई थी की वो अपना उत्तराधिकारी किसे चुने ।

इसका पुत्र फिरोज बहुत ही आलसी और विलासी प्रकृति का था और उसके अन्य पुत्र काफी छोटे थे । अतः इल्तुतमीश के पास एक ही विकल्प मौजूद था की वो रजिया को पदभार दे । Ruknuddin Firoz shah in Hindi

इल्तुतमीश ने रजिया को उत्तराधिकारी घोषित

जब इल्तुतमीश ग्वालियर अभियान पर गया तो दिल्ली का राजकाज अल्प समय के लिए रजिया को दे दिया । यह रजिया के लिए सुनहरा अवसर था उसने बड़े कुशलता से सभी काम को किया जिससे इल्तुतमीश को विश्वास हो गया की बस यही उत्तराधिकार बनने लायक है । Ruknuddin Firoz shah in Hindi

अतः आनन फानन में रजिया को अपना उत्तराधिकारी इल्तुतमीश ने घोषित कर उसका नाम टंके पर उत्कीर्ण करा दिया । लेकिन होना क्या था राजधानी में मौजूद कुछ अमीर गिरगिट की तरह रंग बदलना शुरू कर दिए और विरोध स्वरूप रजिया को स्त्री होने का हवाला देने लगे । Ruknuddin Firoz shah in Hindi

लेकिन इल्तुतमीश भी इस समय की बदलती हुई घड़ी को भांप लिया और बोला की मेरे जाने के बाद आप सब लोग रजिया की योग्यता के कायल हो जाएंगे ,जो लोग विरोध कर रहे हैं । यहाँ इल्तुतमीश ने एक गलती जरूर कर दिया की उत्तराधिकार घोषित करते समय उलेमाओं की राय जानना उचित नहीं समझा । Ruknuddin Firoz shah in Hindi

इल्तुतमीश फिरोज को लाहौर से लाया

आपके जानकारी के लिए बता दें की अपने अंतिम समय में इल्तुतमीश लाहौर से फिरोज को साथ ले आया था जिससे इतिहासकार इल्तुतमीश द्वारा फिरोज को अपना उत्तराधिकार घोषित किए जाने की बात करते हैं लेकिन इसका कोई निश्चित प्रमाण नहीं है । Ruknuddin Firoz shah in Hindi

Shah Turkan कौन थी?

खुदाबंदजादा जहां शाहतुर्कान एक निम्नकुल की कन्या थी। लेकिन यह बहुत ही चतुर कन्या थी। साथ ही यह धूर्त, अत्याचारी और क्रूर महिला थी ।  रुकनूद्दीन फिरोज इसका लड़का था ।

लेकिन प्रकृति ने इस महिला को एक गुण अवश्य दिया था की यह महिला विद्वानों, सैय्यदों और धर्मात्माओं को मुक्त हस्त दान करती थी । Ruknuddin Firoz shah in Hindi

रुकनूद्दीन फिरोज का शासक बनना

लेकिन इल्तुतमीश द्वारा निर्धारित उत्तराधिकार का यह नियम एकदम नहीं पालन किया गया । अब मामला एकदम से बदल चुका था । Ruknuddin Firoz shah in Hindi

रुकनूद्दीन फिरोज और शाहतुर्कान का गठबंधन

इधर एक नजर देखा जाए तो फिरोज का व्यक्तित्व बहुत ही आकर्षक था और उसकी माँ शाह तुर्कान बहुत ही महत्वाकांक्षी थी और कुचक्री दिमाग की थी । चूंकि पहले यह एक दासी थी ।

इल्तुतमीश के समय से ही देखा जाए तो उसके साथ प्रांतीय इक्तेदार पश्चिमी अभियान के समय से ही दिल्ली पधारे थे । चूंकि इस समय तक इल्तुतमीश जिंदा नहीं था अतः कुचक्री शाहतुर्कान ने इन प्रांतीय इक्तेदारों को अपने पक्ष में तुरंत कर ली । इससे शहतूरकान का और फिरोज का पक्ष मजबूत हो गया ।

इस तरह देखा जाए तो इल्तुतमीश के मृत्यु के दूसरे दिन ही फिरोज को सुल्तान घोषित कर दिया गया । आपके जानकारी के लिए बता दें की फिरोज को राजगद्दी देने में 100% हाथ प्रांतीय इक्तेदारों का था ।

लेकिन फिर दिल्ली को एक अयोग्य और विलासी सुल्तान मिला। फिरोज की माँ तो एक क्रूर और अत्याचारी थी ही। शाहतुर्कान इस मौके का फायदा उठाकर विलासी फिरोज से राजसत्ता अपने हाथ में ले लिया ।

और यह अपने अत्याचार पर उतर आई । इसने इल्तुतमीश के छोटे बेटे कुतुबउद्दीन की हत्या करवा दी। लेकिन रुकनूद्दीन फिरोज का भाई विद्रोह पर उतर आया और अवध के राजस्व को लूट कर अपने कब्जे में कर लिया ।

माँ बेटा मिलकर चतुर्दिक कोहराम मचा दिए जिससे राजसत्ता में और जनता में काफी खलबली मच गई । चौतरफा परेशानी बढ़ने लगी । अब दरबारी और अमीर उठ खड़े हो गए और इन दोनो के खिलाफ मोर्चा तैयार होने लगा । मोर्चे का गठबंधन कुछ इस प्रकार का था ।  

बामियान के शासक सैफुद्दीन हसन कारलुग का आक्रमण

आपके जानकारी के लिए बता दें की इस हाल में बामियान के शासक सैफुद्दीन हसन कारलुग ने उच्छ पर आक्रमण कर दिया लेकिन उच्छ के योग्य सूबेदार सैफुद्दीन एबक ने उसे परास्त कर दिया ।

रुकनूद्दीन फिरोज के विरुद्ध मोर्चा

इस मोर्चे में कुछ इस प्रकार के अधिकारी शामिल थे-

  1. मलिक इजाउद्दीन कबीर खान एआज-मुल्तान के इक्तेदार
  2. मलिक अलाउद्दीन जानी-लाहौर के इक्तेदार
  3. मलिक इजाउद्दीन सलारी-बदायूं
  4. मलिक सैफुद्दीन कूची-हांसी

इन सभी ने एक मोर्चा बनाकर विद्रोह कर दिए फिरोज के विरुद्ध । इधर फिरोज भी एक सेना लेकर आगे बढ़ा। लेकिन फिरोज की सेना मजबूत नहीं थी और आंतरिक फुट भी थी । इसका वजीर निजाम जुनैद भी धोखा करके विरोधी पार्टी में मिल गया।

आपको बता दें की निजाम जुनैद इलतूतमिश का एक वफादार वजीर था। इधर फिरोज की सेना भी रास्ते में ही विद्रोह करके वापस दिल्ली चली गई । इधर फिरोज भी अपना पक्ष कमजोर देखते हुए वापस लौटने की सोचने लगा ।

लेकिन दिल्ली का माहौल गर्मजोशी में चल रहा था । दिल्ली में ही रजिया ने फिरोज की अनुपस्थिति का लाभ उठाना चाहा । शूरकवार के नमाज के टाइम पर लाल वस्त्र पहनकर जो न्याय के लिए जरूरी होता था जनता के सामने चली गई । जनता के सामने दिल्ली का आँखों देखा माहौल और इलतूतमिश की दिल्ली इच्छा प्रकट की और जनता को वचन भी दिया की अगर मैं अयोग्य निकली तो बेशक जनता मेरा सिर काट ले।

चूंकि जनता भी पूरे गर्मजोशी में थी और रजिया का साथ दिया और रजिया को गद्दी दिला दी । उधर फिरोज की सेना से जनता ने दो चार हाथ भी कर लिया और शाह तुर्कान को कारागार में डाल दिया इसी आनन फानन में फिरोज को पकड़ कर उसका कत्ल कर दिया ।

फिरोज का शासन काल सात महीने में ही ढेर होगया । इसतरह बहुत ही नाटकीय ढंग चला और रजिया की पुकार ने जनता के कानों में शहद की तरह काम किया । अब देखते ही देखते साधारण रजिया, रजिया सुल्तान बन चुकी थी ।

फिरोज के सिंहासन पर बैठने और फिर सिंहासन को खोने में एक बात स्पष्ट हो गई ।

फिरोज को सिंहासन दिलवाने में प्रांतीय इक्तेदारों का हाथ था। उसको गद्दी से उतारने में जनता और सरदारों का हाथ था । रजिया के स्त्री होने और सुल्तान बनने में भी ये सरदार विरोधी बने थे और फिरोज के अयोग्य होने में भी ये सरदार विरोधी बने । दोनो ही मामले में सफल हुए।

लेकिन रजिया के सुल्तान बनने में प्रांतीय इक्तेदारों का हाथ नहीं था और वे रजिया से हमेशा असन्तुष्ट हुए जिसका खामियाजा उसको हमेशा भुगतना पड़ा ।

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इलतूतमीश

FAQs

प्रश्न:-इलतूतमिश का उत्तराधिकारी कौन था?

उत्तर:-इलतूतमिश का उत्तराधिकारी रुकनूद्दीन फिरोज था ।

प्रश्न:-रुकनूद्दीन फिरोज को राजगद्दी दिलाने में किसका हाथ था?

उत्तर:-रुकनूद्दीन फिरोज को राजगद्दी दिलाने में प्रांतीय इक्तेदारों का हाथ था ।

प्रश्न:- रुकनूद्दीन फिरोज कब शासक बना?

उत्तर:– रुकनूद्दीन फिरोज 1236 ईस्वी में शासक बना ।

प्रश्न:- रुकनूद्दीन फिरोज ने अपना शासन कार्य किसको दिया था?

उत्तर:– रुकनूद्दीन फिरोज चूंकि अयोग्य और विलासी था अतः दिल्ली का पुरा पावर इसकी माता शाहतुर्कान के हाथों में ही था ।

प्रश्न:- शाह तुर्कान कौन थी?

उत्तर:– शाहतुर्कान एक एक निम्नकुल की कन्या थी। यह बहुत ही चतुर, धूर्त,कपटी और अत्याचारी थी । लेकिन दान देने में प्रसिद्ध थी ।

प्रश्न:- रुकनूद्दीन फिरोज का उत्तराधिकारी कौन बना?

उत्तर:-रुकनूद्दीन फिरोज का उत्तराधिकारी रजिया सुल्तान बनी ।

प्रश्न:- रुकनूद्दीन फिरोज कितने दिन शासन किया?  

उत्तर:– रुकनूद्दीन फिरोज मात्र सात माह ही शासन किया था ।

Important Gyan के इस सीरीज में मैं आप लोगों को ये बताने का प्रयास किया कि फिरोज कौन था और उसने कौन से कार्य किए और कैसे वो राजगद्दी से उतारा गया। मित्रों मुझे अपनी लेखनी को यहीं पर समाप्त करने का इजाजत दीजिये। Ruknuddin Firoz shah in Hindi

अगर कहीं कोई त्रुटि रह गयी हो तो मानवीय भूल समझ कर क्षमा कर दीजियेगा और कोई सुझाव हो तो जरूर दें हम अपने लेख में उचित स्थान देंगे और कोई प्रश्न हो तो जरूर पूछे। Ruknuddin Firoz shah in Hindi

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