रज़िया सुल्तान उमदत-उल-निस्वा वीरांगना दिल्ली सल्तनत की प्रथम महिला शासक Razia sultan in Hindi

रज़िया सुल्तान उमदत-उल-निस्वा वीरांगना दिल्ली सल्तनत की प्रथम महिला शासक Razia sultan in Hindi

“वह एक महान शासिका, दयालु, ईमानदार, धर्मात्मा, न्याय की पोषक और सभी को खुश रखने वाली शासिका थी”-मिनहाज-उद्दीन-सिराज

नमस्कार साथियों!

Important Gyan के इस सीरीज में आप सभी का स्वागत है । आज कुछ फिर लिखने का मन किया तो सोचा की हम आज ऐसे व्यक्तित्व के बारे में चर्चा करें जो जगत प्रसिद्ध तो था ही साथ ही एक उम्दा केरेक्टर भी। आज हम जानेंगे की रज़िया कौन थी और किन परिस्थियों में शासन कार्य संभाला । Razia sultan in Hindi

रजिया सुल्तान कौन थी?

रज़िया सुल्तान जिसकी उपाधि थी –‘उमदत-उल-निस्वा । इसका अर्थ है स्त्रियों में उदहरणीय । रज़िया सल्तनत के इतिहास का वास्तविक और वैधानिक शासक इलतूतमिश की पुत्री थी और इसकी योग्यता को देखते हुए ही इलतूतमिश ने इसको उलेमाओं की राय लिए बगैर ही अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया । आपके जानकारी के लिए बता दें की यह मध्यकाल की प्रथम और अंतिम महिला शासक थी । Razia sultan in Hindi

लेकिन उससे भी बड़ी बात यह है की दिल्ली सलतनत के इतिहास में यह एकमात्र घटना है की जनता ने इसको सुल्तान बनाया और जनता के सामने अपने वचन न पुरा कर पाने पर सुल्तान का धड़ अलग करने की बात कही गई । Razia sultan in Hindi

जैसा की प्रो के ए निज़ामी ने स्पष्ट किया है की-

  • दिल्ली की नागरिक प्रथम बार दिल्ली सल्तनत का सुल्तान बनाने में सक्रिय भाग लिया ।
  • रज़िया ने भी जान पर खेल कर अपने वचन को पुरा करने का वायदा किया था । अगर सुल्तान अपने वचन से मुकर जाए तो उसका सिर धड़ से अलग कर दिया जाए । सुल्तान और जनता के बीच स्पष्ट समझौता ।  
  • इधर रज़िया के सुल्तान बनने से एक पिता की भी इच्छा की पूर्ति हो जाती है ।
  • रज़िया के सुल्तान बनने से धार्मिक वर्ग को ठेस पहुंचता है क्योंकि एक स्त्री शासक बनी ।
  • एक स्त्री को शासन कार्य सौपने में तुर्क जाती की उदारता सामने आती है ।
  • दिल्ली सल्तनत के इतिहास में एक प्रथम महिला शासक बनती है ।

लेकिन इसका शासन कोई फूलों का ताज नहीं था।  शासक बनते ही इसके खिलाफ मोर्चा बनना शुरू हो गया ।बदायूं, हांसी,मुल्तान और लाहौर आदि के इक्तेदार अपनी सेना लेकर दिल्ली की ओर कूच कर दिए।

दूसरी ओर प्रांतीय इक्तेदार जो फिरोज को सुल्तान बनाने में मुख्य भूमिका अपनाए थे लेकिन रज़िया को सुल्तान बनाने में उनका कोई योगदान नहीं होने से भी वे नाराज थे अतः ये भी अब दो चार हाथ करने को उद्यत हो गए । Razia sultan in Hindi

उधर इलतूतमिश का मुख्य वजीर जिसने फिरोज का तुरंत साथ छोड़ दिया था ये भी कहीं न कहीं रज़िया के सुल्तान बनाने में अपनी भूमिका नहीं होने के कारण खासा नाराज था ।

चूंकि रज़िया को भी कहीं नहीं स्वीकार था की इन लोगों को अपने पक्ष में करे और उनको किसी प्रकार का अधिकार दे अतः इस मोर्चा का डँटकर मुकाबला करने हेतु कमर कस ली ।

रज़िया अपनी सेना लेकर दिल्ली से बाहर निकल गई । इससे कुछ झड़पें हुईं इन विद्रोहियों के साथ लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ तो रज़िया एक चाल चली  और मुल्तान के इक्तेदार कबीर खान आयाज और बदायूं के इक्तेदार मलिक इजाउद्दीन सलारी इन दोनों को अपनी ओर मिला लिया ।

इन दोनों ने रजिया से वायदा किया की वजीर जुनैद को कैद कर लेंगे। चूंकि यह एक हवा मात्र था विद्रोहियों को कमजोर करने का । यह बात अन्य सरदारों को मालूम चल गई और उनका मनोबल टूट गया । इस तरह वे भाग गए। Razia sultan in Hindi

कुछ को तो रज़िया सुल्तान ने मरवा दिया कुछ भाग खड़े हो गए।  इस तरह इनका दमन रज़िया को पूर्ण रूप से सुल्तान बनने में सहायक होने दिया।

इस तरह से देखा जाए तो रजिया अब अपना समय शासन प्रबंधन में देने लगी । इसने अपना लक्ष्य तय किया की वो तुर्की गुलाम सरदारों को मजबूत नहीं होने देगी और उसने अपने विश्वासी अमीरों को पद देना शुरू कर दिया । Razia sultan in Hindi

रज़िया सुल्तान के दो व्यक्ति सबसे ज्यादा विश्वासपात्र थे । ये लोग शासन में बहुत ही महत्वपूर्ण पद प्राप्त किए और आगे गए। लेकिन ध्यान रहे इन्होंने रज़िया के पतन में में भी महत्वपूर्ण भाग लिया था ।

  • मलिक-ए-कबीर एख्तयारूद्दीन एतगिन जिसे ‘अमीर-ए-हाज़िब का पद मिला था।एख्ततियारूद्दीन अल्तुनियाँ को भटिंडा का इक्तेदार बनाया ।
  • एक था अबीसीनियन(एथोपिया) मलिक जमालउद्दीन याकूत जिसको रज़िया ने अमीर ए आखुर(अश्वशाला का प्रधान) का पद दिया । रज़िया जब घोड़े से उतरती थी तो ये अपने हाथों का सहारा देता था। इतिहासकरों ने तो दोनों के बीच प्रेम संबंध होने का भी आरोप लगाया । इस पद को रज़िया ने तुर्की गुलाम अमीर सरदारों की शक्ति को तोड़ने के लिए दिया था । Razia sultan in Hindi

आपको बता दें की जब रज़िया ने सरदारों की शक्ति को कमजोर किया तो इससे प्रत्यक्ष फायदा यह हुआ की बंगाल & बिहार के विद्रोही सरदार तुमुलखान ने रज़िया का आधिपत्य बिना सोचे समझे स्वीकार कर लिया । अब रज़िया का अधिकार उच्छ से लेकर लखनौती तक हो गया था।

रजिया सुल्तान ने कुछ नियम बनाए

पदों के वितरण के बाद रज़िया ने सुल्तान पद को और शक्तिशाली बनाने के लिए कुछ नियम बनाए जैसे-

इसने पर्दा त्याग दिया, मर्दाने कपड़े पहनने शुरू कर दिए, दरबार लगाना शुरू कर दिया, इसके अलावा शिकार और घुड़सवारी करना प्रारंभ किया । अब वह एक पुरुष सुल्तान की तरह व्यवहार करने लगी और दरबार में खुले मुहँ जाने लगी ।

मँगोल संकट का निपटारा

गजनी और बमियान के सूबेदार मलिक हसन कारलुग ने रज़िया से माँगोलों के विरुद्ध सहायता की मांग की 1238 ईस्वी में। लेकिन रज़िया ने दूरदर्शिता का परिचय देते हुए उसको बड़ी विनम्रता से ‘बरन’ यानि की बुलंदशहर की आय देने की बात कही। लेकिन माँगोल के विरुद्ध सहायता नहीं दी ।

अपने तीन साल के कैरियर में इसने यह तो साबित कर दिया की गुलाम तुर्की अमीरों की शक्ति को वह बढ़ने नहीं देना चाह रही थी । और पूरी सत्ता अपने हाथ में ही रखना चाहती थी ।

इस कार्य से तुर्की अमीर खासा नाराज होने लगे। अब धीरे धीरे मामला बिगड़ने लगा और तुर्की अमीर गुलाम सरदार रज़िया को हटाने पर तूल गए तथा इसके विरुद्ध के मोर्चा बनाया ।

  • अमीर ए हाज़िब एखतियारूद्दीन एतगिन,
  • लाहौर के सूबेदार कबीरखान एआज,
  • भटिंडा के सूबेदार अलतूनिया ।

चूंकि दिल्ली में रज़िया को मारना आसान नहीं था क्योंकि यहाँ पर जनता का समर्थन था रज़िया के पक्ष में । अतः रज़िया को दिल्ली से बाहर लेकर मारने की योजना बनाई गई ।

1240 ईस्वी में कबीरखान ने विद्रोह कर दिया।  लेकिन इस विद्रोह को रज़िया ने विद्युत गति से समाप्त कर दिया और अन्य सरदार कबीरखान की सहायता नही कर पाए ।

लेकिन समस्या अब ज्यादा बढ़ने लगी । भटिंडा का सरदार अलतूनिया ने विद्रोह कर दिए । गर्मी की दोपहरी में रज़िया ने आननफानन में घोड़े पर सवार होकर विद्रोह को दबाने के लिए निकल गई ।

जब रज़िया भटिंडा के किले के सामने खड़ी थी तो तुर्की सरदारों ने याकूत की हत्या कर दिया और रज़िया को भटिंडा के किले में कैद कर दिया । उधर योजना के अनुसार बहराम शाह को राजगद्दी दे दी गई ।

लेकिन एतगिन के व्यवहार से असन्तुष्ट बहराम शाह ने इसक हत्या करवा दिया  । चूंकि एतगिन अलतूनिया का मित्रयार था । इसके वध से दुखी अलतूनिया ने रज़िया से शादी कर लिया । इन दोनो की आशाएं जाग गई अपना पद पाने के लिए ।

इधर अलतूनिया ने खोखर, जाट और राजपूत इनको सम्मिलित करके एक सेना तैयार करना शुरू कर् दिया । ये लोग सेना लेकर अंतिम प्रयास किए दिल्ली की ओर बढ़ने का लेकिन असफल रहे और और अपनी बनाई गई सेना से भी हाथ धो लिए ।

रज़िया सुल्तान को किसने मारा

जब ये दोनो कैथल(पंजाब) के जंगल में सोये थे तो हिन्दू डाकुओं ने इनको मार डाला।

इस तरह दिल्ली सल्तनत को एक योग्य सुल्तान से हाथ धोना पड़ा। जैसा की खलिक अहमद निज़ामी ने कहा है-

“इलतूतमिश के उत्तराधिकारियों में रज़िया सबसे योग्य थी ।“-खलिक अहमद निज़ामी

FAQs

प्रश्न:-उमदत-उल-निस्वा उपाधि का क्या अर्थ है?

उत्तर:-उमदत-उल-निस्वा यह उपाधि रज़िया ने धरण किया था। इसका अर्थ है स्त्रियों में उदहरणीय । यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण उपाधि थी ।

प्रश्न:-रुकनूद्दीन फिरोज का उत्तराधिकारी कौन था?

उत्तर:-रुकनूद्दीन फिरोज का उत्तराधिकारी रज़िया सुल्तान थी ।

प्रश्न:-जमालउद्दीन याकूत को कौनसा पद दिया गया था?

उत्तर:-जमालउद्दीन याकूत को अमीर-ए-आखुर का पद दिया गया था।

प्रश्न:-रज़िया पर किसके साथ प्रेम संबंध का आरोप था?

उत्तर:- अबीसीनियन(एथोपिया) मलिक जमालउद्दीन याकूत जिसको रज़िया ने अमीर ए आखुर(अश्वशाला का प्रधान) का पद दिया । रज़िया जब घोड़े से उतरती थी तो ये अपने हाथों का सहारा देता था।

प्रश्न:- रज़िया सुल्तान को किसने मारा था?

उत्तर:-जब रज़ियाऔर अलतूनिया कैथल(पंजाब) के जंगल में सोये थे तो वहाँ के डाकुओं ने उन दोनों को मार दिया ।

प्रश्न:- रज़िया सुल्तान के पतन का मुख्य कारण क्या था?

उत्तर:- रज़िया सुल्तान के पतन का मुख्य कारण उसका स्त्री होना और गुलाम सरदारों की महत्वाकांक्षा और उसके प्रति असंतुष्टि ।

प्रश्न:-रज़िया का वध कब हुआ था?

उत्तर:- रज़िया का वध 1240 ईस्वी में हुआ था ।

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मित्रों मुझे अपनी लेखनी को यहीं पर समाप्त करने का इजाजत दीजिये।अगर कहीं कोई त्रुटि रह गयी हो तो मानवीय भूल समझ कर क्षमा कर दीजियेगा और कोई सुझाव हो तो जरूर दें हम अपने लेख में उचित स्थान देंगे और कोई प्रश्न हो तो जरूर पूछे। Razia sultan in Hindi

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