बलबन के उत्तराधिकारी कैकुबाद और क्यूमर्स Balban ke Uttaradhikari
कैकुवाद और शमसुद्दीन क्यूमर्स 1287-1290 ईस्वी
नमस्कार साथियों!
Important Gyan के इस सीरीज में आप सभी का स्वागत है । आज हम चर्चा करेंगे बलबन के उत्तराधिकारियों के विषय में विस्तार से। आप इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें । Balban ke Uttaradhikari
बलबन ने किसको अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया था?
आपके जानकारी के लिए बता दें की बलबन ने अपनी मृत्यु से पहले ही अपने पौत्र कैखुसरव को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त कर दिया था। यह बलबन के बड़े पुत्र मुहम्मद का पुत्र था । Balban ke Uttaradhikari
बलबन का उत्तराधिकारी कौन था?
बलबन की मृत्यु के बाद इसका दरबार मुख्य रूप से दो भागों में बंट गया
गुट का नाम | पक्ष लिया |
कोतवाल फखरूद्दीन | कैकुबाद का |
हसन बसरी(वजीर) | कैखुसरव |
इधर दिल्ली का कोतवाल फखरुद्दीन मुहम्मद इससे और इसके परिवार से सख्त नफरत करता था । इसने एक षड्यन्त्र किया और कैखुसरव को डरा धमका कर मुल्तान भेज दिया । और बंगाल के इक्तेदार बुगराखाँ के पुत्र कैकुवाद के को सुल्तान बना दिया । अब कैकुबाद ही सुल्तान बना ।
इधर वजीर हसन बसरी चाहता था की दिल्ली का सुल्तान कैखुसरव बने ।Balban ke Uttaradhikari
कैखुसरव कौन था?
कैखुसरव बलबन के बड़े पुत्र मुहम्मद का पुत्र था और बलबन इसी को अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहता था। हसन वजीर भी की भी यही इच्छा थी लेकिन फखरूद्दीन इसके खिलाफ था और इसको मुल्तान भगा दिया और वहाँ की जागीर दे दिया । Balban ke Uttaradhikari
कैकुवाद कौन था?
कैकुबाद बलबन के दूसरे पुत्र और बंगाल के इक्तेदार बुगराखान का पुत्र था । दिल्ली के कोतवाल फखरूद्दीन इसी को सुल्तान बनाया । सुल्तान तो बन गए लेकिन जब सुल्तान बना तो इसकी आयु मात्र 17 वर्ष था और ये बहुत ही सुंदर, सुशील और सभ्य था। Balban ke Uttaradhikari
बलबन के काल में इसका पालन पोषण बड़े कठोर नियमों के साथ हुआ था। अपने इस उम्र तक किसी सुंदर स्त्री को देखा तक नहीं था । अतः जैसे ही इसके पास भोग-विलास की चीजें और वाह्य आकर्षण आया तो ये उसमें बुरी तरह फिसल गया । Balban ke Uttaradhikari
निजामुद्दीन कौन था?
आपको बता दें की फखरूद्दीन का दामाद निजामुद्दीन था।यह लालची, कुचक्री व्यक्ति था । फखरूद्दीन कहता था की “निजामुद्दीन के पास गीदड़ को पत्थर से मारकर भगाने और दुकानदार के ऊपर प्याज का छिलका फैंककर डांटने की भी हिम्मत नहीं थी ।“
निजामुद्दीन ने कैकुबाद के कमजोर नब्ज को पकड़ लिया और इसको विलासिता की ओर प्रेरित करने लगा। कबाब और शबाब कैकुबाद का दिनचर्या हो गया । Balban ke Uttaradhikari
अब निजामुद्दीन दाद-बेग से नायब हो गया और शासन सत्ता हथियाने लगा। यह कुचक्री था लेकिन साथ ही योग्य भी था । Balban ke Uttaradhikari
कुछ समय बाद तो निजामुद्दीन स्वयं सुल्तान बनने के सपने बुनने लगा। इसने अपने ससुर फखरूद्दीन की बातें भी अनदेखा कर दिया । निजामुद्दीन का कुचक्र बढ़ता ही चला जा रहा था । छः महीने बाद इसने रोहतक के पास कैखुसरव का वध कर दिया ।
निजामुद्दीन ने अपने विरोधी पार्टी का बुरा हश्र किया और हसन बसरी के बाद वजीर बने ख्वाजा खातिर को गदहे पर बैठाकर घुमवाया । इससे तुर्क सरदार निजामुद्दीन से अच्छा-खासा नाराज हो गए ।
यह सारी स्थिति बुगरा खाँ देख रहा था । उसने कैकुबाद को कई संदेशों में समझाया भी । लेकिन कैकुबाद पर इसका कोई असर नहीं हुआ। अंत में बुगराखान अपने पुत्र से मिलने की इच्छा जाहीर की ।
पिता पुत्र का मिलन
बड़े जद्दोजहद के बाद पिता पुत्र का मिलन हुआ जिसका जिक्र अमीर खुसरो ने अपने अपने ‘किरान-उस-सादेन’ में किया है। बुगराखाँ ने अपने पुत्र को हर तरीके से समझाया और निजामुद्दीन से दूर रहने की बात कही ।
निजामुद्दीन की हत्या किसने किया?
कैकुबाद मान तो गया परंतु कुछ समय बाद फिर व्यसनों में फंस गया लेकिन निजामुद्दीन से पीछा छुड़ाने के लिए इसने इसकी हत्या करा दिया । मन का कमजोर शासक फिर भी शासन सत्ता अपने हथ में नहीं लिया और पुनः भोग विलास में लिप्त हो गया।
इसके बाद कैकुबाद ने जलालउद्दीन खिलजी को अपना सेनापति और बुलंदशहर का इक्तेदार बनाया।इसको ‘साइस्ता खाँ की उपाधि दी गई । चूंकि कैकुबाद की दिन पर दिन हालत बिगड़ती चली जा रही थी इसलिए इस समय शासन सत्ता दो तुर्क सरदारों के हाथों में आ गई इनका नाम था
- मलिक कच्छन
- मलिक सुर्खा
खिलजी को गैर तुर्क समझा जाता था। इसलिए तुर्क सरदार नाराज हो गए । इधर ये दोनों मलिक कच्छन और सुरखा अपना प्रभाव जमाने के लिए गैर तुर्क सरदारों की हत्या करना शुरू कर दिए।
इधर कैकुबाद को लकवा मार दिया अतः तुर्की सरदार इसको निकम्मा समझने लगे और इसके पुत्र क्यूमर्स को मात्र तीन वर्ष का था, सुल्तान घोषित कर दिया और शमसुद्दीन नाम दे दिया ।
इस समय कुछ नाटकीय घटनायाएं और मामूली झड़पे घटित हुई और जलालुददीन अल्पवयस्क सुल्तान का संरक्षक बन गया । लेकिन कुछ समय पश्चात इसने कैकूवाद को मरवाकर और चादर में लपेटकर यमुना नदी में फैंक दिया ।ध्यान दें की इसको लातघुशों से तरकेश नामक सैनिक ने मारा था। सुल्तान को किलोखरी में मार दिया गया ।
इस प्रकार बलबन के वंश का अंत 1290 ईस्वी तक आते आते हो गाया। अब लाल महल में
भारतीय पान की तारीफ अमीर खुशरों ने किस ग्रंथ में किया है?
किरान-उस-सादेन नामक ग्रंथ में ही अमीर खुसरो ने भारतीय पान की प्रशंसा किया है ।
मँगोल नेता तैमूरखाँ का आक्रमण
इस समय मँगोल नेता तैमूरखाँ का आक्रमण पंजाब पर हुआ जिसको मलिक बकबक ने परास्त कर दिया ।
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Important Gyan के इस सीरीज में मैं आप लोगों को ये बताने का प्रयास किया कि बलबन के उत्तराधिकारी कौन थे । Balban ke Uttaradhikari
मित्रों मुझे अपनी लेखनी को यहीं पर समाप्त करने का इजाजत दीजिये।अगर कहीं कोई त्रुटि रह गयी हो तो मानवीय भूल समझ कर क्षमा कर दीजियेगा और कोई सुझाव हो तो जरूर दें हम अपने लेख में उचित स्थान देंगे और कोई प्रश्न हो तो जरूर पूछे। Balban ke Uttaradhikari
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