अलाउद्दीन मसूदशाह का काल बलबन के शक्ति निर्माण का काल Alauddin Masud Shah in Hindi जानें कुछ रोचक बातें!
Alauddin Masud Shah 1242-1246 ईस्वी के बीच
नमस्कार साथियों!
Important Gyan के इस सीरीज में आप सभी का स्वागत है । आज हम आप लोगों को दिल्ली सल्तनत के गुलाम वंश के सुल्तान अलाउद्दीन मसूदशाह के बारे में कुछ रोचक बातें।
बहरामशाह की मृत्यु के बाद दिल्ली के तुर्की सरदारों ने फिरोजशाह के पुत्र अलाउद्दीन मसूदशाह को राजगद्दी मिली । अब तुर्की सरदार चूंकि पूरी तरह सुल्तान को बनाने और बिगाड़ने में माहिर और शक्तीशाली हो गए थे । इनका हौसला और बढ़ता जा रहा था । Alauddin Masud Shah in Hindi
अलाउद्दीन मसूदशाह कौन था?
अलाउद्दीन मसूदशाह ने 1242 से 1246 ईस्वी के बीच शासन किया था। तुर्की सरदारों इसी शर्त पर एक समझौता करके राजगद्दी प्रदान किए की वह भी मात्र एक कठपुतली की तरह का करे स्वयं सुल्तान की शक्तियों का प्रयोग न करे । Alauddin Masud Shah in Hindi
नायब-ए-मुमालिकत के पद का पुनः सृजन
इन तुर्की सरदारों का यह कहना था की सुल्तान जो भी काम करेगा वह ‘नायब’ पद के अधिकारी के माध्यम से ही करेगा । अतः आपके जानकारी के लिए बता दें की बहरामशाह ने एतगिन की उसके दफ्तर में हत्या करके इस पद को प्रभावहीन कर दिया था। Alauddin Masud Shah in Hindi
लेकिन मसूदशाह के का में पुनः इस पद का सृजन कर दिया गया । इस पद पर एक गोर के भगोड़े कुतुबउद्दीन हसन गोरी को बैठाया गया । लेकिन यहाँ एक बात को ध्यान में रखें की हसन कोई तुर्क अमीर वर्ग का नहीं था अतः इस पद को बहुत ज्यादा शक्तिशाली तुर्की सरदारों नहीं होने दिया वास्तविक शक्ति वजीर मुहाजबुददीन के पास ही रही । Alauddin Masud Shah in Hindi
लेकिन मुहाजबुददीन के गलत तरह से कार्यों के कारण सरदारों ने इसको इसके पद से हटा दिया और नजबुद्दीन अबू बक्र को यह पद दिया गया । इस समय कुछ और पद बने जिसमें एक पद था ‘अमीर-ए-हाज़िब’ का। इस पद पर बलबन को बैठाया गया।
बलबन चालीस गुट के सरदारों में सबसे निम्न स्थान पर था । इसने धीरे धीरे तुर्की सरदारों को अपनी ओर मिला लिया और इनका ध्यान राजपूतों तथा मँगोलों की ओर लगा दिया।
इससे इस काल में यह एक बात देखने को मिलता है की सुल्तान और सरदार तथा सरदार एवं सरदार में आपसी आपसी झगड़े नहीं हुआ।
लेकिन बंगाल और बिहार में सूबेदार तुगानखाँ ने दिल्ली की अधीनता को स्वीकार करना नहीं चाहता था। और साथ ही उच्छ तथा मुल्तान के सूबेदार भी दिल्ली की अधीनता स्वीकार करने से मना कर दिया ।
बलबल के शक्ति निर्माण का समय
अगर गौर से देखें तो अलाउद्दीन मसूदशाह का समय काल ज्यादातर बलबल के शक्ति निर्माण और धीरे धीरे उसके उत्थान का ही समय था। बलबल चतुर्दिक विकसित हो रहा था । बलबन के पास जब शक्ति आने लगी तो इसने अपने चचेर भाई जलालुददीन को कैद से मुक्त कर दिया और महमूद को बहराइच का हकीम बना दिया ।
इस समय तक मिनहाजुद्दीन सिराज को काजी पद से भी हटा दिया गया। इधर बलबन भी अपनी शक्ति निर्माण में लग गया था और नासिरुद्दीन और उसकी माँ के साथ मिलकर अलाऊददीन को गद्दी से उतारने में लग गया । इस तरह कुछ समय पश्चात मसूदशाह को गद्दी से हटा दिया गया। और नसीरुद्दीन महमूद को गद्दी दे दी गई । ये सब काम बड़े ही शांति के साथ हुआ, बिना शोरगुल का ।
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Important Gyan के इस सीरीज में मैं आप लोगों को ये बताने का प्रयास किया कि अलाउद्दीन मसूद सहह कौन था। मित्रों मुझे अपनी लेखनी को यहीं पर समाप्त करने का इजाजत दीजिये। Alauddin Masud Shah in Hindi
अगर कहीं कोई त्रुटि रह गयी हो तो मानवीय भूल समझ कर क्षमा कर दीजियेगा और कोई सुझाव हो तो जरूर दें हम अपने लेख में उचित स्थान देंगे और कोई प्रश्न हो तो जरूर पूछे। Alauddin Masud Shah in Hindi
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