मुहम्मद बिन तुग़लक़ पागल रक्त पिपासु और धनवानों का युवराज Muhammad bin Tughlaq जानें प्रतियोगी परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण

मुहम्मद बिन तुग़लक़ पागल रक्त पिपासु और धनवानों का युवराज Muhammad bin Tughlaq जानें प्रतियोगी परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण

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मुहम्मद बीन तुगलक: 1325-1351

 मुहम्मद बीन तुगलक कौन था?

काला कपड़ा पहनकर सुल्तान की गद्दी पर बैठने वाला मुहम्मद बीन तुगलक दिल्ली सल्तनत के प्रथम संस्थापक गियासुद्दीन तुगलक का सबसे बडा पुत्र था । इसका वास्तविक नाम जौना खान था और इसकी उपाधि उलुग खाँ थी।

मुहम्मद तुगलक इसका एक सामान्य नाम था और इसी नाम से इसको लोग ज्यादा पुकारते थे। इसने अलकापुरी को खूब धूमधाम से सजाकर गद्दी पर बैठा था ।

इसकी माता का नाम मखदूम जहां था । मुहम्मद तुगलक 40 दिन तक तुगलकाबाद में रहा । इसके बाद ही यह दिल्ली आया था । वैसे देखा जाए तो मध्य युग के शासकों में चरित्र और कार्यों की दृष्टि से सबसे ज्यादा विवादित सुल्तान रहा ।

इसके शासन काल में 1313 ईस्वी में अफ्रीकी यात्री इब्नबतूता भारत आया था । मुहम्मद तुगलक ने इसको दिल्ली का काजी नियुक्त किया था । इसके शासन काल में एक नहीं बल्कि तीन विद्वान थे-इसामी, बरनी और इब्नबतूता । इन तीनों ने इसके समकाल के बारे में विस्तार से जानकारी दिया है। Muhammad bin Tughlaq in Hindi

दिल्ली सल्तनत का पहला शासक जिसने बिना किसी भेदभाव के पदों का आबंटन किया था। लेकिन योग्यता को आधार बनाया ।

दिल्ली सल्तनत में सबसे ज्यादा सबसे बड़ा साम्राज्य किसका था?

दिल्ली सल्तनत के इतिहास में सबसे बड़ा सम्राज्य मुहम्मद बीन तगलक का ही था । अगर कश्मीर और बलूचिस्तान को छोड़ दिया जाए तो सम्पूर्ण भारत इसके अधीन था ।

इब्नबतूता ने मुहम्मद बीन तगलक के कुल 23 प्रांतों का उल्लेख किया है । इसने अपने समय में और अधिक वृद्धि किया था ।

मुहम्मद बीन तगलक दोआब में कर वृद्धि कब किया था?

1325 से 1327 के बीच में दोआब में राजस्व प्रशासन में सुधार किया और हर प्रांत आय-व्यय का लेखा जोखा के लिए रजिस्टर बनवाया। इसने पावनावसूली के लिए शताधिकारी की नियुक्ति किया । इसकी तुलना फिलिप द्वितीय से की जाती है ।

मुहम्मद बीन तगलक ने दोआब में कर वृद्धि कर दिया जिससे बर्नी ने इसको ‘रक्तपिपासू’ कहकर पुकारा है । वह आगे कहता है की इसने 10 से 20 गुना कर बढ़ा दिया था । और जिस समय आकाल पड़ा था उसी समय इसने कर बढ़ा दिया ।  वहीं एअल श्रीवास्तव कहते हैं की मुहम्मद बीन तगलक ने चारागाहों और घरों पर कर लगा दिया। Muhammad bin Tughlaq in Hindi

बरनी आगे कहता है की दोवाब के इस तरह से खदेड कर शिकार किया जैसे वे हिंसक पशु हों । मुहम्मद बीन तगलक ने स्वर्गहारी में अपना अस्थायी निवास बनाया और यहीं से अकाल पीड़ितों को दिए जा रहे राशन का निरीक्षण करता था । Muhammad bin Tughlaq in Hindi

इसके अलावा इसने कृषि विभाग की स्थापना भी किया जिसका नाम था ‘दीवान-ए-कोही’ और इसका अधिकारी ‘अमीर-ए-कोही कहा जाता था। यह सरकारी फॉर्म हाउस था जो 60 वर्ग मिल के भूमि में था । आपको बता दें की 3 वर्ष में फसल के लिए 70 लाख टँका व्यय किया गया । मुहम्मद बीन तगलक की यह व्यवस्था पूरी तरह से फ्लॉप हो गई।

मुहम्मद बीन तगलक की राजधानी परिवर्तन कब हुआ था?

1326 से 1327 के बीच में मुहम्मद बीन तगलक राजधानी दिल्ली से दौलताबाद ले गया । आपको बता दें की सुल्तान कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी ने देवगिरि का नाम कुतबाबाद रखा था और सुल्तान मुहम्मद बीन तगलक ने इसका नाम दौलताबाद रख दिया । Muhammad bin Tughlaq in Hindi

मोहम्मद बिन तुगलक ने राजधानी को दिल्ली से दौलताबाद क्यों ट्रांसफर किया?

इसके राजधानी परिवर्तन का प्रमुख कारण था देवगिरि का साम्राज्य के केंद्र में होना,उत्तरी भारत के स्थान पर दक्षिणी भारत के शासन पर अधिक ध्यान देने की जरूरत,मँगोल आक्रमण से सुरक्षा, दक्षिणी भारत की समृद्धि की लालच और यहाँ पर मुस्लिम संस्कृति की स्थापना की लालसा ही शायद मुहम्मद बीन तगलक को राजधानी परिवर्तन करने पर मजबूर की। Muhammad bin Tughlaq in Hindi

फरिश्ता ने देवगिरि को कुव्वत उल इस्लाम नगर की संज्ञा दिया है । बर्नी ने कहा है की मकानों, महलों और बाहर के स्थानों में एक कुत्ता, बिल्ली भी नजर नहीं आता था। Muhammad bin Tughlaq in Hindi

वहीं इब्नबतूता ने कहा है की एक अंधे और एक लंगड़े ने दौलताबाद जाने से इनकार कर दिया । यह योजना भी पूरी तरह से असफल रही ।

मोहम्मद बिन तुगलक ने सांकेतिक मुद्रा कब लागू की थी?

1329 से 1320 के बीच में मोहम्मद बिन तुगलक ने सांकेतिक मुद्रा लागू किया था । सोने के सिक्के में सोने की मात्रा 200 ग्रेन कर दिया । इसे ही दिनार या डोकानी कहा जाता था । Muhammad bin Tughlaq in Hindi

चांदी के 175 ग्रेन के सिक्के को 140 ग्रेन कर दिया जिसे अदली कहा गया । इसके सिक्के पर जिली अल्लाह अर्थात सुल्तान ईश्वर की प्रतिछाया है अंकित हुआ ।

आपको बता दें की चीन में यह सांकेतिक मुद्रा की प्रणाली कूबलाई खाँ ने 1229 में और ईरान के गईखातू ने शुरू किया ।

टॉमसन ने मोहम्मद बिन तुगलक को “धनवानों का युवराज” कहा है ।

मोहम्मद बिन तुगलक की विदेश नीति क्या थी?

मोहम्मद बिन तुगलक ने खुराशान विजय की योजना बना लिया । इस समय यंहा के शासक थे ‘अबसईद’। मिश्र,ट्रांसअकसियाना और तुगलक ने एक संघ बना लिया खुरासान के विरुद्ध ।

खुरासान विजय के लिए मोहम्मद बिन तुगलक ने तीन लाख सत्तर हजार सैनिकों की भर्ती किया लेकिन यह योजना भी इसकी फेल हो गई । Muhammad bin Tughlaq in Hindi

मोहम्मद बिन तुगलक के विजय अभियान

मोहम्मद बिन तुगलक ने नगरकोट यानि पंजाब की विजय किया इसके अलावा कराजल अभियान भी भयंकर युद्ध के बाद विजय किया ।

आपको बता दें की चीन के शासक ने मोहम्मद बिन तुगलक के दरबार में एक तोमन या तिमुर को भेजा था और मोहम्मद बिन तुगलक ने भी 1342 ईस्वी में इब्नबतूता को राजदूत के रूप में भेजा था ।

मोहम्मद बिन तुगलक के शासन काल में कुछ प्रमुख विद्रोह हुए थे जिसका जिक्र करना बहुत जरूरी है ।

प्रथम विद्रोह-1226 ईस्वी

मोहम्मद बिन तुगलक के शासन काल में प्रथम विद्रोह बहाउद्दीन गुरसास्प ने किया था।

इसको दबाने के लिए मोहम्मद बिन तुगलक ने मलिक जादा को नियुक्त किया था ।

द्वितीय विद्रोह-1326 ईस्वी

मोहम्मद बिन तुगलक के काल में दूसरा विद्रोह मुल्तान के हाकीम बहराम एबा किशलू खाँ ने किया था ।

बंगाल का विद्रोह-1333 ईस्वी

गायसुद्दीन बहादुर ने बंगाल में विद्रोह कर दिया । मोहम्मद बिन तुगलक ने इमादुलमुल्क को नियुक्त किया जिसे दबा दिया गया ।

माबर का विद्रोह-1335 ईस्वी

यहाँ के विद्रोह का नेता जलालुद्दीन हसनशाह थे। दक्षिण भारत का पहला स्वतंत्र राज्य माबर बन गया ।

दौलताबाद में हुसंगशाह का विद्रोह

मोहम्मद बिन तुगलक ने अपने शिक्षक कुतुलुग खाँ को नियुक्त किया जिसने इस विद्रोह को दबा दिया ।

 कृष्णनायक/कन्हैया नायक वारंगल का स्वतंत्राता का युद्ध

आपको बता दें की यह प्रतापरुद्रदेव द्वितीय का पुत्र था । वारंगल में उस समय मोहम्मद बिन तुगलक के गवर्नर मलिक मकबूल थे । ये मलिक मकबूल तेलंगाना के ब्राह्मण थे और इनका नाम था कुन्नु था । पहले वारंगल के शासक संगम के पुत्र हरिहर और बुक्का थे । और ये दोनों पहले प्रतापरुद्र देव  की सेवा में थे जिनका समय 1336 है।

जब वारंगल का पतन हुआ तो ये लोग कम्पील्य नरेश कमपिलदेव के यहाँ शरण लिए।  लेकिन बाद में इन दोनो को मुक्त कर दिया गया और कंपीली का हाकीम बनाया गया।

ये दोनो तुंगभद्रा नदी के किनारे विजयनगर की स्थापना किए और अपने गुरु के नाम पर विद्यानगर बनाए । लेकिन हिन्दू धर्म में दोबारा इन दोनो को आचार्य माधव विदयारण्य ने दीक्षित किया ।

इधर गयासुद्दीन दमगानी से होयसल नरेश बीरबलाल तृतीय का संघर्ष चल रहा था। हरिहर और बुक्का ने होयसल राज्य को भी हड़प लिया।  देवगिरि में शताधारी(विदेशी मुसलमान) ने देवगिरि में विद्रोह किया ।

लेकिन अली इस्माइल मख अफ़गान ने देवगिरि को जीतकर विद्रोह किया जिसको तुगलक ने स्वयं दबाया था।

गुजरात में तागी का विद्रोह

यह विद्रोह मोहम्मद बिन तुगलक के समय का अंतिम विद्रोह था । तगी गुजरात से भागकर सिंध चला गया जिसका पीछा करता हुआ सुल्तान गया लेकिन थट्टा में पहुंचते ही सुल्तान की मृत्यु हो गयाई ।

अतः मोहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु पर अब्दुल कादिर बदायूनी  ने कहा था की “राजा को प्रजा से और प्रजा को राजा से मुक्ति मिल गई”

मोहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु कैसे हुई?

सुल्तान मोहम्मद बिन तुगलक के समय में गुजरात में तगी का विद्रोह हुआ जो मोहम्मद बिन तुगलक  के शासन काल का अंतिम विद्रोह था । अतः तगी के विद्रोह का दमन करते हुए सुल्तान की मृत्यु हुई थी।

बहमनी राज्य की स्थापना कब हुई थी?

1347 ईस्वी में अबुल मुजफ्फर अलाउद्दीन मुजफ्फर बहमनशाह ने बहमनी साम्राज्य की स्थपना किया था ।

मोहम्मद बिन तुगलक की धार्मिक नीति

बरनी और इसामी ने मोहम्मद बिन तुगलक को काफिर(देशद्रोही) बना दिया था । मोहम्मद बिन तुगलक को मिश्र के खलीफा अलहाकीम द्वितीय ने सुल्तान के पद की मंजूरी दिलाई।

मोहम्मद बिन तुगलक हिन्दू त्योहारों में भाग लेता था । यह प्रथम सुल्तान था। मोहम्मद बिन तुगलक ने जैन विद्वान जिन प्रभा सूरी को अपने दरबार में सम्मानित किया था ।

मोहम्मद बिन तुगलक ने ही सती प्रथा पर रोक लगाया था । सल्तनत का पहला सुल्तान । मोहम्मद बिन तुगलक सोमवार और गुरुवार को न्याय करता था। 

मोहम्मद बिन तुगलक को सल्तनत का अरस्तू कहा जाता था । इसामी मोहम्मद बिन तुगलक को इस्लामी जगत का विद्वानतम मूर्ख कहा है । मोहम्मद बिन तुगलक को भाग्यवादी आदर्शवादी भी कहा जाता है । Muhammad bin Tughlaq in Hindi

Important Gyan के इस सीरीज में मैं आप लोगों को ये बताने का प्रयास किया कि मोहम्मद बिन तुगलक कौन था, मोहम्मद बिन तुगलक की टोकन करेंसी क्या थी, मोहम्मद बिन तुगलक के असफलता के क्या कारण थे और इसकी नवीन राजधानी का क्या नाम था? Muhammad bin Tughlaq in Hindi

 मित्रों मुझे अपनी लेखनी को यहीं पर समाप्त करने का इजाजत दीजिये। Muhammad bin Tughlaq in Hindi

अगर कहीं कोई त्रुटि रह गयी हो तो मानवीय भूल समझ कर क्षमा कर दीजियेगा और कोई सुझाव हो तो जरूर दें हम अपने लेख में उचित स्थान देंगे और कोई प्रश्न हो तो जरूर पूछे। Muhammad bin Tughlaq in Hindi

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