Sanchi ka stupa kis shasak ne banwaya tha?
सांची का स्तूप किस शासक ने बनवाया था?
नमस्कार साथियों!
इम्पॉर्टन्ट ज्ञान के इस सीरीज में हम ज्ञान की बातें दिल से करेंगे । आज हमारे लेख का विषय है “सांची का स्तूप” । चलिए हम आज सांची के स्तूप के बारे में विस्तार से समझते हैं की सांची के स्तूप का निर्माण किसने किया था और यह स्तूप कहाँ स्थित है और इसकी क्या विशेषता है ।
स्तूप क्या है?
महात्मा बुद्ध के महापरिनिर्वाण के पश्चात देखा जाए तो उनकी अस्थियों को मुख्य रूप से आठ भागों में बाँट कर उन पर समाधियों का निर्माण कराया गया । सामान्य तौर पर इसी को “स्तूप” कहा जाता है । लेकिन एक बात और है की स्तूप के निर्माण की प्रथा गौतम बुद्ध से पहले का ही है । (Sanchi ka stupa kis shasak ne banwaya tha in Hindi)
स्तूप का सबसे पहले उल्लेख हमें “ऋग्वेद में देखने को मिलता है ।” इसमें अग्नि की उठती हुई ज्वालाओं को स्तूप कहा गया है । स्तूप का स्तूप का शाब्दिक अर्थ “ढेर” या “थूहा” होता है । इसका निर्माण चीता के स्थान पर बनाया जाता था इसलिए इसको चैत्य नाम दिया गया । इसका संबंध संभवतः “मृतक संस्कार” से था । क्योंकि शवदाह के पश्चात उसकी बची हुई अस्थियों को किसी पात्र में रख दिया जाता था और उसको मिट्टी से ढक दिया जाता था । इसी से स्तूप का जन्म हुआ । (Sanchi ka stupa kis shasak ne banwaya tha in Hindi)
लेकिन आगे चलकर बौद्धों ने अपने इसको संघ पद्धति में अपनाकर इसको स्तूप का रूप देना शुरू कर दिया । इसके बाद बुद्ध और उनके शिष्यों धातु अवशेष रखा जाने लगा । इसी तरह स्तूप का विकास होने लगा ।
सांची का स्तूप
सांची का स्तूप भारत का एक प्रसिद्ध बौद्ध स्मारक है । इसका प्रारम्भिक स्तूपों में प्रमुख स्थान है । स्तूप भारत में मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित विदिशा के पास है । इस स्तूप का निर्माण मौर्यकालीन महान सम्राट अशोक द्वारा किया गया था । इस स्तूप के निर्माण का समय ईस्वी पूर्व तीसरी शताब्दी है । इस स्तूप में महात्मा बुद्ध के मुख्य अवशेष पाए जाते हैं । इस स्तूप की खोज सबसे पहले 1818 में जनरल रॉयलेट ने किया था । (Sanchi ka stupa kis shasak ne banwaya tha in Hindi)
इस स्तूप का निर्माण मुख्य रूप से बौद्ध अध्ययन और शिक्षा केंद्र के रूप में किया गया था । सांची की स्तूप संख्या -1 अथवा “महान स्तूप” सबसे पुरानी शैल रचना है ।
यह स्तूप शांति, प्रेम, विश्वश और साहस का प्रतीक रूप में है । इस स्तूप के चारों तरफ बना भव्य तोरण द्वार और इसपर बनी मूर्तिकारी प्राचीन मूर्तिकला और वास्तु कला का सर्वोत्तम उदाहरण प्रस्तुत करता है ।
सांची स्तूप की मुख्य विशेषताएं
- सांची स्तूप संख्या-1 में ब्राह्मी लिपि के शिलालेख उत्कीर्ण हैं ।
- सांची स्तूप का पूरा व्यास 36.50 मीटर और इसकी ऊंचाई मुख्य रूप से 21.46 मीटर है ।
- महान अशोक ने जब बौद्ध धर्म अपनाया तभी उसके बाद इस स्तूप का निर्माण कार्य करवाया था । चूंकि यह बौद्ध धर्म से संबंधित है लेकिन यहाँ पर महात्मा बुद्ध कभी यात्रा नहीं किए ।
- यह स्तूप मुख्य रूप से बुद्ध के महापरिनिर्वाण से संबंधित है ।
- सांची के स्तूप को “विश्व विरासत स्थल का दर्जा यूनेस्को द्वारा दिया गया है ।
कृपया इसे भी पढ़ें
- Somnath jyotirlinga
- Ghushmeshwar
- Brahm Samaj ki Sthapna in Hindi
- Jain Dharm ki Shiksha in Hindi
- Mahavir Story in Hindi
- Mahatma Budh ka jivan Parichay
FAQ
प्रश्न:-स्तूप का सबसे पहले उल्लेख कहाँ मिलता है?
उत्तर:-स्तूप का सबसे पहले उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है । अग्नि की ज्वाला की लपटों के रूप में ।
प्रश्न:-स्तूप का शाब्दिक अर्थ है “ढेर” या “थूहा”
उत्तर:-सांची के स्तूप का निर्माण किस शासक ने किया था?
प्रश्न:-सांची के स्तूप का निर्माण मौर्य कालीन महान अशोक ने कराया था ।
प्रश्न:-सांची के स्तूप का निर्माण कब हुआ था?
उत्तर:-सांची के स्तूप का निर्माण ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी के लगभग हुआ था ।
प्रश्न:-सांची के स्तूप की खोज किसने की थी?
उत्तर:-इस स्तूप की खोज सबसे पहले 1818 में जनरल रॉयलेट ने किया था ।
प्रश्न:- सांची का स्तूप कहाँ कहाँ पर है?
उत्तर- सांची का स्तूप मध्य प्रदेश के रायसेन जिला में विदिशा के पास है ।
(Sanchi ka stupa kis shasak ne banwaya tha in Hindi)(Sanchi ka stupa kis shasak ne banwaya tha in Hindi)
2 thoughts on “Sanchi ka stupa kis shasak ne banwaya tha”