Osian temple history in Hindi
ओसियां टेम्पल हिस्ट्री इन हिन्दी
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इम्पॉर्टन्ट ज्ञान के इस सेरीज़ में आप सभी का स्वागत है । अभी मंदिरों का सिलसिला जारी है। इस लेख के माध्यम से हम भारत के सभी मंदिरों के बारे में चर्चा करेंगे । अगर आप भारत के मंदिरों के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो आप हमारे सभी लेखों को शुरू से अंत तक जरूर पढ़ें । आज हमारे लेख का विषय है जोधपुर के ओसिया के मंदिर । यहाँ के सभी प्रमुख मंदिरों के बारे में हम विस्तार से बताएंगे । Osian temple history in Hindi
प्रतिहार काल में सभी शासकों ने जोधपुर में अनेक मंदिरों का निर्माण कार्य किया है। इसका उल्लेख हमें बाउक के जोधपुर प्रशस्ति से पता चलता है। इस प्रशस्ति से पता चलता है की प्रतिहार शासकों ने यहाँ सिद्धेश्वर मंदिर का निर्माण कराया था। मिहिरभोज के ग्वालियर प्रशस्ति में उल्लेख है की यहाँ भगवान विष्णु के मंदिर का निर्माण हुआ था । Osian temple history in Hindi
लगभग आठवीं शती में अर्थात गुप्तोत्तर काल में यह क्षेत्र वास्तुकला के लिए काफी प्रसिद्ध रहा है । ओसिया नामक स्थान राजस्थान के जोधपुर के उत्तर पश्चिम में 56 किलोमीटर की दूरी पर है । यहाँ के प्राचीन मंदिरों में प्रमुख देवता थे-विष्णु,सूर्य,शिव,अर्धनारिश्वर, हरिहर, कृष्ण और नवग्रह आदि । Osian temple history in Hindi
ओसिया के मंदिरों को दो भागों में बांटा जा सकता है:-
प्रथम भाग:- प्रथम प्रकार के मंदिर में शिखर की बहुलता और उसका विकास देखने को मिलता है और इनका निर्माण लगभग 8 वीं से 9 वीं शती में हुआ था । लेकिन सबसे बड़ी बात यह है की स्थानीय लक्षण कम ही दिखते हैं । Osian temple history in Hindi
दूसरा भाग:- दूसरे भाग के मंदिरों में स्थानीय विशेषताओं की बहुलता देखने को मिलता है। प्रत्येक मंदिर का आकार और प्रकार एक दूसरे से भिन्न भी है और एक दूसरे में किसी प्रकार की समानता नहीं है । दूसरे प्रकार के मंदिर में मौलिकता देखने को मिलता है ।
यहाँ के मंदिरों में तीन हरिहर मंदिर अपने आकार प्रकार और अलंकरण को लेकर काफी सुन्दर लग रहे हैं देखने में । और दो पंचायतन शैली में देखने को मिलते हैं । इनके शीर्ष भाग पर आमलक बना है । Osian temple history in Hindi
गुर्जर प्रतिहार वंश के शासक वत्सराज की पुत्र नागभट्ट द्वितीय के समय झालरपाटर मंदिर बना । ओसिया ग्राम में ही वत्सराजा के समय में तीर्थंकर महावीर का मंदिर बना जिसका समय है 770-800 ईस्वी ।
ओसिया के मंदिर की विशेषता
यहाँ के मंदिर छोटे हैं लेकिन ये मंदिर अपनी बनावट में सुंदर और सही अनुपात में है । शिखरों की बनावट प्रारम्भिक ओडिशा के मंदिरों के समान ही प्रतीत होते हैं । ढलुआ पीठासीन स्तंभों के निचले भाग पर बना है। यहाँ सुंदर और बारीक नक्काशी भी की गई है ।ओसिया मंदिरों का प्रवेश द्वार बिल्कुल सीधे गर्भ गृह में खुलता था अतः इसके नक्काशी पर विशेष ध्यान दिया गया । गर्भ गृह के द्वार पर ही बहुत सारे प्रतीक मूर्तियाँ और पौराणिक कथाएं उत्कीर्ण हैं । यहाँ के मंदिरों के द्वार के चौखट पर नवग्रहों की आकृतियाँ बनीं हैं
ओसिया का सूर्य मंदिर
यहाँ का सूर्य मंदिर बहुत ही महत्वपूर्ण है । यह ओसिया के मंदिर का सिरमौर माना जाता है । यह मंदिर पंचायतन प्रकार का है । मुख्य मंदिर के चारों ओर कुछ छोटे छोटे मंदिर हैं । शीर्ष पर मंगलकलश स्थापित है । यह मंदिर शिव को समर्पित है । Osian temple history in Hindi
ओसिया के बाद अन्य के मंदिर
इस वर्ग में सचीय माता और पिपला माता के मंदिर महत्वपूर्ण हैं। इन मंदिरों की विशेषता यह है की इन मंदिरों में राजपूताना शैली का क्रमिक विकास देखने को मिलता है । सच्चीय माता को ही ‘सचिका देवी‘ कहा गया है । ये सचिका देवी महिशमर्दिनी का एक रूप हैं ।अष्टकोणीय स्तम्भ का निर्माण इस मंदिर के केन्द्रीय मंडप में किया गया है । पिपला माता मंदिर में तीस स्तम्भ देखने को मिलता है।ओसिया का हरिहर मंदिर पंचायतन शैली का प्रथम मंदिर है ।
ओसिया के मंदिर सिर्फ मंदिरों के लिए ही नहीं बल्कि मूर्तिकारी के लिए भी प्रसिद्ध हैं। सूर्य मंदिर के बाहर सभामंडप की छत पर कृष्ण की मूर्ति है जो गोवर्धन धारण कीये हैं और बंशी बजा रहे हैं । गोवर्धन लीला बहुत ही प्रसिद्ध है । इसके अलावा त्रिविकम विष्णु , नृसिंघ, हरिहर देवताओ की मूर्तियाँ भी जगत प्रसिद्ध हैं । Osian temple history in Hindi
ओसिया के मंदिरों का इतिहास
कुछ विद्वानों का मानना है की ओसिया ओसवाल वैश्यों के उत्पत्ति का स्थान था । इस लिए इसका नाम ओसिया पड़ा । इसके कुछ अन्य नाम हैं जैसे-नवनेरी,अंकेश,उरकेश आदि । यह एक समृद्ध नगर था । यहीं पर एक चमत्कारिक देवी का मंदिर भी था। इस मंदिर में देवी को खुश करने के लिए पशु बलि व्यापक पैमाने पर दी जाती थी । लेकिन देवी को पशु बलि कट्टई पसंद नहीं था अतः वे जो पशु बलि देते थे उनको कष्ट देना शुरू कर दीं ।
अतः यहाँ के आचार्य श्री ने देवी माँ से प्रार्थना विनती करके माँ को प्रसन्न कर लिए और कहा की माँ आज से आपको माँस मदिरा नहीं चढ़ेगा बल्कि मीठे व्यंजन के भोग चढ़ेंगे । इस माँ प्रसन्न हो गईं । तभी से माँ को मीठे व्यंजन ही चढ़ता है ।
ओसवाल परिवार की कुल देवी सचीय माँ हैं । अतः ओसियां में ही जगत प्रसिद्ध इनका मंदिर भी है । एक समय यहाँ लगभग 110 से ज्यादा मंदिर थे लेकिन वर्तमान में ये घटकर 16 मंदिर ही हैं जो हिन्दू और जैन मंदिर हैं ।
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साथियों! इस लेख के माध्यम से हम आपको ओसिया के जगत प्रसिद्ध मंदिरों के इतिहास के बारे में बताने का प्रयास किये । आशा है आप लोगों को ये लेख पसंद आया होगा और आप लोगों को जानकारी भी मिला होगा । अगर इस लेख से संबंधित आप लोगों के मन में कोई प्रश्न हो तो जरूर प्रश्न करें । Osian temple history in Hindi