Mahavir swami story in Hindi

Mahavir swami story in Hindi

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नमस्कार साथियों!

इम्पोर्टेन्ट ज्ञान के इस सीरीज में आप सभी का स्वागत है। इससे पहले के लेख में हमने जाना  बुद्ध का जीवन परिचय और बौद्ध धर्म का सिद्धांत। आज हम  पढ़ेंगे और जानेंगे की महावीर स्वामी कौन थे ? आज हम उनका जीवन परिचय पूरा विस्तार से समझेंगे। 

वैसे देखा जाय तो रूढ़िवादी सम्प्रदाय के आचार्यों में महावीर स्वामी का नाम सबसे ज्यादा लिया जाता है। ये चौबीसवें प्रमुख तीर्थंकर थे और बुद्ध के बाद इनको भारतीय नास्तिक आचार्यों में ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। हालांकि ये जैन धर्म के प्रवर्तक नहीं थे। लेकिन ये लगभग छठीं शताब्दी ईसापूर्व में जैन आंदोलन के प्रवर्तक जरूर थे। Mahavir swami story in Hindi 

जैन धर्म के संस्थापक ऋषभदेव थे। इनको आदिनाथ भी कहा जाता है। जहाँ छठीं शताब्दी ईसापूर्व के जैन धर्म के आंदोलन के संस्थापक महावीर स्वामी थे वहीँ इसके आदि संस्थापक ऋषभदेव को माना जाता है।Mahavir swami story in Hindi 

यहाँ थोड़ा तीर्थंकर का अर्थ समझ लेते हैं। वह व्यक्ति जो भवसागर को पार कर ले और दूसरों को भी भवसागर को पार कराने में मदद करे उसी को तीर्थंकर कहा जाता है।Mahavir swami story in Hindi

प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ का प्रथम बार उल्लेख ऋग्वेद के सातवें मंडल में हुआ है। इनके पिता का नाम नाभिकूलर और माता का नाम मरुदेवी था। और इनका प्रतिक चिन्ह बृषभ था।Mahavir swami story in Hindi

चौबीसवें तीर्थंकर महावीर स्वामी जिनका प्रतिक चिन्ह ‘शेर’ था। इनका जन्म ५९९ ईसापूर्व के लगभग कुंडग्राम में हुआ था। यह वैशाली के पास ही है। इनके पिता का नाम सिद्धार्थ था। सिद्धार्थ ज्ञातृक क्षत्रियों के संघ के प्रधान थे। इनकी माता का नाम त्रिशला अथवा विदेहदत्ता था जो चेटक की बहन थी। चेटक वैशाली के लिक्षवी कुल के थे।Mahavir swami story in Hindi

महावीर के बचपन का नाम वर्धमान था।इनके बचपन का जीवन काफी वैभव और राजसी वातावरण में व्यतीत हुआ था। किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं था। इनका विवाह यशोदा के साथ हुआ थे। ये कुन्डिन्य गोत्र की कन्या थीं। इनकी पुत्री का नाम प्रियदर्शदना(अनोज्जा) था। प्रियदर्शना का विवाह जमाली के साथ हुआ था। ये जमाली ने ही जैन धर्म में प्रथम भेद उत्पन्न किया था। 

जब महावीर स्वामी के माता पिता का देहांत हुआ तो वे अपने भ्राता नन्दिवर्धन से आज्ञा लेकर गृह त्याग करने का फैसला किया। इस समय इनकी उम्र लगभग ३० वर्ष था। शुरुवात में महावीर वस्त्र धारण करते थे लेकिन १३ महीने बाद ये वस्त्र को छोड़ नंगे रहने लगे। इन्होने ये अपना वस्त्र सुवर्ण बालुका नदी में फेंका था। इस बात का उल्लेख भद्रबाहु के कल्पसूत्र में और जैनिय रचना आचरांगसूत्र में हुआ है। इसमें लिखा है की इन पर काफी अत्याचार हुआ था।Mahavir swami story in Hindi

नालंदा में इनकी भेंट मखली पुत्र गोशाल से हुआ था। ये इनके शिष्य बने लेकिन वैचारिक मतभेद के कारण ये उनसे अलग होकर एक नए संप्रदाय की स्थापना किये जिसका नाम था ‘आजीवक संप्रदाय’ 

इसके बाद महावीर स्वामी जाम्भिका ग्राम के ऋजुपलिका नदी के तट पर साल बृक्ष के नीचे आये और यहाँ पर इन्होने कठोरतम तप किया। इनको इसके बाद कैवल्य यानि की ज्ञान की प्राप्ति हुई। इसलिए इनको केवलिन कहा जाता है। इन्द्रियों को इन्होने जीता इसलिए इनको ‘जिन ‘ कहा गया। अपरमित पराक्रम के कारण इनको ‘महावीर’ कहा जाता है।इसके आलावा इनको अर्हत(योग्य) और ‘निर्ग्रन्थ’ यानि की बंधन रहित कहा गया है। Mahavir swami story in Hindi

अपने ज्ञान प्राप्ति के ६६ वे दिन ये विपुलाचल पहाड़ी पर अपना पहला उपदेश दिया-दिगम्बरों के अनुसार। इनके प्रथम उपदेश को ‘वीर शाशन उदय’ कहा जाता है। इन्होने अपना प्रथम शिष्य अपने भांजे(दामाद) जमाली को बनाया। वैशाली के राजा चेटक , मगध नरेश आजात शत्रु, चंपा नरेश दधिवाहन, और इनकी पुत्री चंदना जैन धर्म की प्रथम भिछुङी बनीं।इसके आलावा राजगृह के व्यापारी शीलभद्र भी जैन धर्म में दीक्षित हुआ था। Mahavir swami story in Hindi

जब महावीर स्वामी को ज्ञान मिला तो वे अपने सिधान्तो का प्रचार प्रारम्भ किया। ये लगभग आठ महीने तक भ्रमण किया करते थे और शेष चार महीने विश्राम करते थे। इनका विश्राम का केंद्र बिंदु था-पूर्वी भारत के विभिन्न नगर। ये विभिन्न नगर थे-चंपा,वैशाली,मिथिला,राजगृह,श्रावस्ती। वैशाली का चेतक जो इनका मामा था इनके मत प्रचार में बहुत ज्यादा योगदान दिया। 

समाज के कुलीन वर्ग ने इनकी शिष्यता ग्रहण किया। राजगृह में उपालि एक गृहस्थ था जो इनका प्रमुख शिष्य बना। इनके जीवन काल में ही इनके मत का खूब प्रचार हुआ था। Mahavir swami story in Hindi

इनके विरुद्ध विद्रोह करने वालों में मखलीपुत्र गोशाल,इनका जमाता जमाली और तीसगुप्त थे। मखलीपुत्र गोशाल ने तो यहाँ तक कहा की “जिस प्रकार से व्यापारी अपनी वस्तुओं को दिखाकर और अपने व्यापारिक चातुर्य को दिखाकर लोगो को ठगने का कार्य करता है वही काम महावीर का है।

लगभग ५० वर्ष तक इन्होने अपने मत का प्रचार किया लेकिन जब ये ७२ वर्ष के थे तभी ५२७ ईसापूर्व के लगभग इन्होने अपने शरीर राजगृह में पावा नामक स्थान पर त्याग दिया। 

वैसे देखा जाय तो महावीर का अपने पूर्वगामी तीर्थंकर पार्ष्व नाथ से दो बातों में मुख्य रूप से मतभेद था। जहाँ पार्श्वनाथ केवल चार विधानों की बात किये हैं -अहिंशा,सत्य,अस्तेय,अपरिग्रह वहीँ महावीर ने पांचवा ब्रत ब्रह्मचर्य को जोड़ा है। दूसरे मतभेद की बात करें तो जहा पार्श्वनाथ ने भिक्षुओं को वस्त्र धारण करने की बात कही है वहीँ महावीर ने नग्न रहने का विधान किये हैं।

२४ तीर्थंकर 

तीर्थंकर नाम  प्रतिक चिन्ह 
1) Rishabh Dev-ऋषभ देव  बृषभ-ये प्रथम जिन,केवलिन,तीर्थंकर,धर्म चक्रवर्ती कहे गए हैं -इनका उल्लेख ऋग्वेद के ७ वें मंडल में हुआ है। 
2) Ajit Nath-अजितनाथ- हाथी 
3) Sambhav Nath-संभव नाथ  अश्व 
4) Abhinandan Ji-अभिनन्दन  कपि(बन्दर)
५) Sumit nath ji-सुमित नाथ   चकवा 
६)Padm Prabhu Ji-पद्म प्रभु   कमल 
७) Suparshwa nath Ji -सुपार्श्वनाथ  स्वास्तिक 
८) Chanda Prabhu Ji-चंदा प्रभु  चन्द्रमा 
९) Suvidhi Nath-सुविधिनाथ  मगर 
१०) Sheetal Nath ji-शीतल नाथ  कल्प बृक्ष 
११) Shreyansh Nath-श्रेयांश नाथ  गैंडा 
१२) Vashu Pujya Ji-वाशु पूज्य   भैंसा 
१३) Vimal Nath Ji-विमल नाथ   सूअर 
१४) Anant Nath Ji-अनंत नाथ  सेही 
१५) Dharm Nath Ji-धर्म नाथ   बज्र 
१६) Shanti Nath-शांति नाथ  मृग 
१७) Kuntu Nath Ji-कुन्थु नाथ  बकरा 
१८) Arnath Ji-अरनाथ  मछली 
१९) Malli Nath Ji-मल्ली नाथ  जल कलश  -महिला के रूप में स्वेताम्बर मानते थे 
२०) Munisubrat Ji-मुनिसुब्रत   कछुआ 
२१) Nami Nath ji-नमी नाथ  नीलकमल 
२२) Aristnami Ji-अरेस्टनेमी  शंख 
२३) Parshwa Nath Ji-पार्श्वनाथ  सर्प 
२४) Mahavir-वर्ध मान महावीर  सिंह 

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FAQ                                                          

प्रश्न:-जैन धर्म के संश्थापक कौन थे?

उत्तर:-जैन धर्म के संस्थापक ऋषभदेव थे।ये प्रथम तीर्थंकर थे और इनका प्रतिक चिन्ह बृषभ था। इनका सर्वप्रथम उल्लेख ऋग्वेद के सातवें मंडल में हुआ है। 

प्रश्न:-दूसरे तीर्थंकर कौन थे?

उत्तर:-दूसरे तीर्थंकर अजितनाथ थे जिनका प्रतिक चिन्ह हाथी था।

प्रश्न:-जैन  धर्म में महिला तीर्थंकर कौन था?

उत्तर:-जैन धर्म में महिला तीर्थंकर मल्लिनाथ थे। ये १९ वे तीर्थंकर थे। इनका प्रतिक चिन्ह था कलश। 

प्रश्न:-किस तीर्थंकर को कृष्ण का अवतार कहा गया है?

उत्तर:-२२ वे तीर्थंकर नेमिनाथ को छान्दोग्य उपनिषद में कृष्ण का अवतार कहा गया है। 

प्रश्न:-जैन धर्म में प्रथम गणधर कौन थे?

उत्तर:-जैन धर्म में प्रथम गणधर आर्यदेव थे। इनका प्रतिक चिह सर्पफण था। 

प्रश्न:-जैन धर्म में दूसरी महिला गणधर कौन थी?

उत्तर:-पुष्पचुल्प दूसरी महली गणधर थी। 

प्रश्न:-शुरू में महावीर स्वामी का नाम क्या था?

उत्तर:-शुरू में महावीर स्वामी का नाम -वर्धमान था।

प्रश्न:- महावीर स्वामी ने किस वर्ष गृह त्याग किया था?

उत्तर:-३० वर्ष की अवश्था में महावीर स्वामी ने अपना गृह त्याग किया था। 

प्रश्न:-मखलीपुत्र गोशाल से महावीर स्वामी कहाँ मिले थे ?

उत्तर:-नालंदा में मिले थे।

प्रश्न -जैन धर्म में “कोटि सारदाड़िय (सर्वजन प्रिय)” किसकी उपाधि थी?

उत्तर:-जैन धर्म में २३वें तीर्थंकर पार्स्वनाथ जी  की उपाधि थी –“कोटि सारदाड़िय (सर्वजन प्रिय)”

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