Maharishi Valmiki Jayanti in Hindi
नमस्कार साथियों!
इम्पॉर्टन्टज्ञान में आप सभी का स्वागत है। आज हम एक नए टॉपिक के साथ आपके सामने आये हैं। क्या आप महर्षि बाल्मीकि के जयंती के बारे में जानने के उत्सुक हैं तो आप एकदम सही जगह पर आये हैं। आज हम आप को इनके पुरे जीवन के बारे में चर्चा करेंगे और ये भी बताएँगे की ये जयंती कब और कैसे मनाई जाती है? Maharishi Valmiki Jayanti
आप एक ऐसे युगपुरुष के बारे में जानने जा रहे हैं जो ऐतिहासिक पुरुष थे जिनकी रचना से एक नए युग का सुत्रपात्त हुआ और समाज को एक नयी दिशा और भक्ति मिली।इन्होने रामायण की रचना करके समाज को आज्ञा-पालन,वचन-बद्धता,कर्तब्य परायणता ,सत्य,प्रेम,मर्यादा,भातृत्व भावना,भक्ति भावना,सेवक धर्म और असत्य पर सत्य की जीत की सही परिभाषा दिया और मनुष्य को अपने जीवन में क्या क्या करना चाहिए इसका मतलब समझाया।Maharishi Valmiki Jayanti
प्रारंभिक जीवन:-
वाल्मीकि जी का जीवन बहुत ही संघर्षपूर्ण था। इनका बचपन काफी कष्ट और गरीबी में बीता। इनके बचपन का नाम रत्नाकर था और पिता का नाम प्रचेता(वरुण देव) था। इनका बचपन एक जंगल और भील जाती की देख रेख में बीता। ये अपना जीवन यापन के लिए डाकू बने और जो लुटते थे उस लूट से परिवार का पालन पोषण करते थे।लेकिन ये कहीं न कही अपने जीवन में पाप ही एकठा कर रहे थे।Maharishi Valmiki Jayanti
हालाँकि देखा जाय तो ये मुख्य रूप से भील जाति के नहीं थे ये प्रचेता वरुण देव थे और ये उन्ही के पुत्र थे लेकिन इनको भीलनी ने चुरा लिया था इसलिए ये भीलों से जुड़ गए और डाकू का पेशा अपना लिए। कहते हैं न की जैसी संगती वैसी रंगती।बिनु सत्संग विवेक न होइ राम कृपा बिनु सुलभ न सोइ। इनकी दुनिया भीलों से जुडी तो डाकू बने लेकिन जब इनका सत्संग नारद जी से हुआ तो ये महर्षि वाल्मीकि बने और कवि बन एक महाकाब्य लिखा जो युगो-युगो तक पूजनीय है।Maharishi Valmiki Jayanti
जीवन परिचय:-
मुख्य नाम | गुरु देव,भगवान,त्रिकाल दर्शी, महर्षि |
मुख्य सम्बन्ध | हिन्दू देवता से |
माता पिता का नाम | प्रचेता |
रचित शाश्त्र | रामायण और योगवशिष्ठ |
जयंती और त्यौहार | वाल्मीकि जयंती और वाल्मीकि प्रकट दिवस |
नारद जी से भेंट:-
लेकिन कहते हैं ना की प्रतिभा और किस्मत को आज तक बाँधा नहीं जा सका। एक दिन
देवर्षि नारद जी जंगल से गुजर रहे थे तभी रत्नाकर ने अपने मित्रों के साथ उनको घेर के लूटना चाहा लेकिन नारद जी ने उनसे कुछ प्रश्न किया जिसका उत्तर उनको अपने परिवार से मांगना था की क्या रत्नाकर जो कर्म कर रहा है उसमें उनके परिवार वाले भागीदार बनेगें जब उनके परिवार वालों ने इंकार कर दिया तो इनको सद्बुद्धि मिली।
नारद जी से ज्ञान मिला:-
नारद जी ने कहा की अपने पहले संसार के रचनाकार भी तुम्ही हो और भविष्य के निर्माता भी तुम्ही हो। तुम्ही खुद के दुश्मन और खुद के दोस्त हो। अपना मार्ग खोजो और ‘राम राम नाम के पथ’ पर चलो तुम्हारा कल्याण हो जाएगा।शुरू में तो ये ‘मरा मरा मरा’ बोलना शुरू किया लेकिन लम्बे तप के बाद इनको ‘राम राम राम’ शब्द से बोध मिला इन्होने इस पथ को पकड़ कर अपने जीवन का कायाकल्प ही कर लिया।संसार से विरक्त होकर भक्ति का मार्ग पकड़ लिया और संसार को वो भक्ति का मार्ग दिया जिससे मनुष्य जीवन का उद्धार हो सके, मुक्ति मिल सके और कल्याण हो सके।Maharishi Valmiki Jayanti
वाल्मीकि जी का पहला श्लोक:-
एक बार वाल्मीकि जी नदी तट पर तपस्या कर रहे थे तभी उन्होंने देखा की क्रोंच पक्षी का एक जोड़ा एक दूसरे के साथ प्रेम में निमग्न थे लेकिन अचानक एक बहेलिया आया और उसमे से सारस नर पक्षी का वध कर दिया तभी वाल्मीकि जी क्रोधित हुए और उस बहेलिये को श्राप दिया “मा निषाद प्रतिष्ठां तवंगम: शाश्वती: समाः। यत्क्रोचमिथुनादेकम वधि: काममोहितम।। अर्थात हे दुष्ट, तुमने प्रेममग्न क्रोंच पक्षी को मार दिया, जा तुझे भी कभी प्रष्तिठा की प्राप्ति नहीं होगी और तुझे भी वियोग झेलना पड़ेगा।
रामायण लिखने की मिली प्रेणा:-
इस घटना के बाद प्रसिद्ध महाकाव्य रामायण की रचना किये।इसमें कुल २४००० श्लोक है इसलिए इसको ‘चतुर्विशतिसाहस्त्री संहिता’ कहा जाता है।रामायण का मूल रूप चौथी शताब्दी में और अंतिम रूप से द्वितीय शताब्दी ईस्वी में लिखा गया था।इसका काल निर्धारण विंटरनित्ज़ ने किया था जो स्वीकार कर लिया गया था। इसमें शक और यवन दोनों जातियों का उल्लेख हुआ है।सबसे उल्लेखनीय बात है की बुद्ध का उल्लेख सबसे पहले रामायण में हुआ है।रामायण की रचना महाभारत से पहले हुई थी।
इसमें कुल सात काण्ड हैं-
- बालकाण्ड
- अयोध्या काण्ड
- अरण्यकाण्ड
- किष्किंधा कांड
- सुंदरकांड
- लंका कांड
- उत्तर काण्ड
रामायण से क्या शिक्षा मिलती है :-
महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण महाकाव्य पुरुषोत्तम राम जी का चरित्र चित्रण हुआ है । सबसे बड़ा कांड बालकाण्ड और सबसे छोटा सुन्दर कांड है। इसमें भक्ति और मुक्ति की एक नयी परिभाषा संसार को मिला और कलयुग के लिए ‘राम नाम का मंत्र मिला। जिससे जपकर प्राणी अपना सम्पूर्ण उद्धार कर सकता है।चूँकि यह संस्कृत में था अतः सामान्य जन की समझ से परे था इसलिए गोस्वामी तुलसीदास जी ने अवधी भाषा में राम चरित मानस की रचना किये जिससे आम जनता भी समझ सके।
सामान्य जन को शिक्षा मिली की हमें जीवन में क्या क्या करना चाहिए। परिवार में किन किन आदर्शों को उतारना चाहिए, वचन की क्या कीमत होती है, भाई भाई का क्या प्यार होता है, असत्य पर सत्य की विजय कैसे होती है,भक्ति का क्या महत्व होता है,जीवन का क्या मूल्य है,गृहस्थ जीवन में रहकर हम कैसे मोक्ष को प्राप्त कर सकते हैं,सेवक का धर्म क्या होता है, बच्चों का माता-पिता के प्रति क्या कर्तब्य होता है और त्याग तपस्या का क्या महत्व होता है।Maharishi Valmiki Jayanti
वाल्मीकि जयंती किस तारीख को मनाई जाती है?
वाल्मीकि जयंती आश्विन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है जो इस बार ३१ अक्टूबर को पड़ रहा है, चूँकि इसी दिन वाल्मीकि जी का जन्म हुआ था।इसी लिए वाल्मीकि जयंती मनाई जाती है।हालाँकि इस दिन कोई सरकारी अवकाश का व्यवश्था नहीं होती है। Maharishi Valmiki Jayanti
वाल्मीकि जयंती कैसे मनाया जाता है?
वाल्मीकि जयंती को एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता है।उत्तर भारत में इसका महत्व ज्यादा है। श्रद्धालु लोग सभी स्थानों पर धार्मिक आयोजन करते हुए शोभा यात्रा निकालते हैं, वाल्मीकि जी की भगवान रूप में पूजा होता है,लोग प्रसाद के रूप में मिष्ठान,फल,पकवान,चनामृत के रूप में वितरण करते है। इसके अलावा कई जगहों पर इस दिन भंडारे भी आयोजित किये जाते हैं। कई स्थानों पर भजन-कीर्तन भी होता है।
वाल्मीकि जी का योगदान:-
वाल्मीकि जी का भारतीय समाज के लिए रामायण महाकाव्य और योगवशिष्ठ की रचना करके महत्वपूर्ण योगदान दिए जिसमें उन्होंने राम जी का सम्पूर्ण चरित्र दर्शाया और वनवास काल में सीता में को शरण दिया तथा लवकुश को सम्पूर्ण शिक्षा-दीक्षा देकर पिता पुत्र की मिलन करवाया।
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FAQ
प्रश्न-२०२० में वाल्मीकि जयंती कब मनाई जाएगी?
उत्तर-वाल्मीकि जयंती ३१ अक्टूबर २०२० को मनाया जायगा।
प्रश्न-वाल्मीकि जी के पिता का क्या नाम था?
उत्तर-वाल्मीकि जी के पिता का नाम प्रचेता था।
प्रश्न-वाल्मीकि वचपन कहाँ व्यतीत हुआ था?
उत्तर-वाल्मीकि जी का वचपन भील जाती के साथ जंगल में व्यतीत हुआ था जहां वो डाकू बनकर लूटपाट करते थे।
प्रश्न-रामायण की रचना कब हुई थी?
उत्तर–रामायण का मूल रूप चौथी शताब्दी में और अंतिम रूप से द्वितीय शताब्दी ईस्वी में लिखा गया था।इसका काल निर्धारण विंटरनित्ज़ ने किया था जो स्वीकार कर लिया गया था।
प्रश्न-रामायण में कुल कितने काण्ड हैं?
उत्तर -रामायण में कुल सात काण्ड हैं-
- बालकाण्ड
- अयोध्या काण्ड
- अरण्यकाण्ड
- किष्किंधा कांड
- सुंदरकांड
- लंका कांड
- उत्तर काण्ड
प्रश्न-रामायण किस भाषा में लिखा गया था?
उत्तर-रामायण संस्कृत भाषा में लिखा गया था?
प्रश्न-रामायण में सबसे बड़ा काण्ड कौनसा है?
उत्तर-रामायण में सबसे बड़ा काण्ड बालकाण्ड है और सबसे छोटा कांड सुन्दर काण्ड है।
प्रश्न-रामायण में किन दो जातियों का उल्लेख हुआ है?
उत्तर-रामायण में शक और यवन दो जातियों का उल्लेख हुआ है और महात्मा बुद्ध का भी उल्लेख हुआ है।
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