Ghushmeshwar 12 jyotirlinga Maharashtra
भगवान शङ्कर जी के बारह ज्योतिर्लिंग भारत के विभिन्न जगहों पर स्थित हैं। इनको द्वादश ज्योतिर्लिंग के नाम से भी जानते हैं। आप इतना जान लीजिये की इनके मात्र दर्शन,भक्ति,पूजन और आराधना से जितने भी भक्त हैं उनके कई जन्मों के सब पाप स्वयं समाप्त हो जाते हैं। अद्भुत शक्ति और तेज है इनमें। Ghushmeshwar 12 jyotirlinga Maharashtra
इनके दर्शन से ही सभी भक्त भगवान शिव की कृपा को पाते हैं। इन्हीं ज्योतिर्लिंगों में श्री घुमेश्वर ज्योतिर्लिंग एक बहुत ही महत्वपूर्ण लिंग माना जाता है। एक बात और ध्यान रखें की सभी द्वादश ज्योतिर्लिंगों में यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है। इसको मुख्य रूप से घुश्मेश्वर, घृष्णेश्वर और घुसृणेश्वर भी कहा जाता है। यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में दौलताबाद में स्थित है। यह दौलताबाद से १२ मिल दूर वेरुल गाँव के आसपास ही है। Ghushmeshwar 12 jyotirlinga Maharashtra
इस लिंग के बारे में पुराणों में एक कथा प्रचलित है। सुधर्मा नामक एक बहुत ही तेजस्वी और तपोनिष्ठ ब्राह्मण रहता था। इसका निवास दक्षिणी देश में देवगिरि पर्वत के निकट था।इनकी पत्नी का नाम सुदेहा था। इन दोनों में बहुत ही प्रेम था। घर में अत्यंत ख़ुशी था लेकिन इनको कोई संतान नहीं था। Ghushmeshwar 12 jyotirlinga Maharashtra
सुदेहा के गर्भ से संतान होने का कोई अवसर नहीं दिख रहा था जैसा की ज्योतिष गणना से भी पता चल रहा था। लेकिन सुदेहा ने एक प्रस्ताव अपने स्वामी के सामने रखी की मेरे छोटी बहन से आप व्याह करलें। प्रारम्भ में तो सुधर्मा आना कानी करने लगे लेकिन बाद में अपनी पत्नी के हठ की वजह से राजी हो गए। पत्नी पति के राजी ख़ुशी से सुधर्मा का व्याह सुदेहा की छोटी बहन से हो गया। इसका नाम था घुश्मा। Ghushmeshwar 12 jyotirlinga Maharashtra
नयी नवेली घुश्मा बहुत ही विनीत और सुशील स्वाभाव की स्त्री थी।भोलेनाथ के बहुत बड़ी भक्त। नित्य प्रति ये १०० पार्थिव शिलिंग बनाती थी और सच्चे मन से उनका पूजा करती थी।ये उसकी बहुत ही बड़ी तपस्या थी। Ghushmeshwar 12 jyotirlinga Maharashtra
इस गहरी तपस्या से भोलेनाथ बहुत ही प्रसन्न हुए और उनकी असीम कृपा से घुश्मा के गर्भ से बहुत ही स्वश्थ और सुन्दर बालक जन्म लिया। अब इस बच्चे के जन्म से सुदेहा और घुश्मा दोनों बहुत ही प्रशन्न हुईं। अब उनका जीवन बहुत ही उल्लास पूर्ण हो गया और शेष जीवन मानो बहुत ही आराम से बीतने लगा। Ghushmeshwar 12 jyotirlinga Maharashtra
लेकिन दोस्तों कहते हैं न कि न जीवन में सुख स्थायी होता है और न दुःख। समय का चक्र बड़ा बलवान होता है। ऐसा ही कुछ हुआ पंडित जी के घर में। कुछ ही दिनों में सुदेहा के मन में जंग लगने लगा। और एक कुविचार उसके मन में पनपने लगा। उसने सोचा की अब समय ही बदल गया और मेरा अस्तित्व खतरे में है। इस घर में तो मेरा कुछ है ही नहीं। अब सब कुछ तो घुश्मा का है।
सुदेहा का ये कुविचार आप बीज से विशाल वृक्ष बन चूका था उसने सोचा की मेरा इस घर से पूरा अधिकार ख़त्म हो गया। यहाँ तक पति भी अब मेरा नहीं रहा। ये संतान भी घुश्मा का ही है। समय का पहिया घूमता गया जैसे जैसे सुदेहा का कुविचार बढ़ता गया इधर बालक भी देखते देखते बड़ा हो गया और उसका विवाह भी हो गया। Ghushmeshwar 12 jyotirlinga Maharashtra
एक दिन सुदेहा का कुविचार अपने चरम सीमा पर पहुँच गया था और उसने घुश्मा के पुत्र को रात में सोते समय ही हत्या कर दी और उसके शव को एक तालाब में फेंक दी। यह वही तालाब था जिसमें घुश्मा अपने इष्ट देव भोले नाथ के पार्थिव शिवलिंग को फेंका करती थी। Ghushmeshwar 12 jyotirlinga Maharashtra
जब सुबह हुई तो सब लोग इस बात से अवगत हुए। चारों तरफ कोहराम मचा हुआ था। सुधर्मा और उसकी बहु दोनों फुट फुट कर रोने लगे। माहौल पूरा अशांत हो गया। सभी लोग परेशान थे। लेकिन जिसको भगवान से प्रेम हो और विश्वास हो उसे ज़माने में क्या हो रहा है इसकी क्या सुध। Ghushmeshwar 12 jyotirlinga Maharashtra
मारने वाला वही और बचाने वाला वही। सब तो शिव ही है। घुश्मा तनिक भी विचलित नहीं हुई। ऐसा लग रहा था की उसे कुछ पता ही नहीं। नित्य प्रति शिव की पूजा करके उनके पार्थिव शिवलिंग को तालाब में छोड़ने चली गयी। जब वह तालाब से वापस आ रही थी तो पीछे से उसका पुत्र भी उठ कर आने लगा। जैसे लग रहा था की वह कहीं से घूम कर आ रहा है और वह अपने माता के चरणों में दंडवत प्रणाम करके उनके साथ हो लिया। Ghushmeshwar 12 jyotirlinga Maharashtra
इतने में भोले नाथ भी प्रगट हुए और घुश्मा से कहे की मैं तुम्हारी भक्ति से बहुत प्रसन्न हूँ तुम मुझसे वर मांगो।लेकिन वो सुदेहा के घिनौने करतूतों से खिन्न होकर उसको अपने त्रिशूल से मारने को आगे बढे इतने में भक्त घुश्मा भोलेनाथ के चरणों में गिरकर सुदेहा के करतूतों के लिए भोले नाथ से माफ़ी मांगने लगी। Ghushmeshwar 12 jyotirlinga Maharashtra
घुश्मा ने भोलेनाथ से विनती करते हुए कहा की हे प्रभु! आ मुझपर प्रशन्न हैं तो कृपा करके मेरी बड़ी बहन को माफ़ कर दें। ये सच्चाई है की उसने बहुत बड़ा जघन्य अपराध किया है। आप ही सब कुछ हो प्रभु! आप ही के कृपा से मुझे पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई है।
घुश्मा को अपने प्रभु पर पूरा विश्वाश था। इसी लिए वह विचलित नहीं हुई। उसने प्रभु से विनती किया की हे प्रभु आप मेरी एक प्रार्थना स्वीकार करें और जनहित के लिए इस स्थान पर सर्वदा के लिए निवास करें। Ghushmeshwar 12 jyotirlinga Maharashtra
भक्तवत्सल भोलेनाथ ने घुश्मा की ये प्रार्थना स्वीकार किया और ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा के लिए इसी स्थान पर निवास किया। घुश्मा चूँकि शिवभक्त थी और शिव उसके आराध्य देव थे अतः ये स्थान सदा के लिए के लिए घुश्मेश्वर महादेव के नाम से विख्यात हो गया।
इस ज्योतिर्लिंग की महिमा का गुणगान पुराणों में काफी विस्तार से है। इनके दर्शन मात्र से ही व्यक्ति का लोक परलोक दोनों तर जाता है। Ghushmeshwar 12 jyotirlinga Maharashtra
तो देखा मित्रों गलत करने वाले चाहें कितना भी गलत करलें। जब तक आपके साथ ऊपर वाला है और आपका विश्वास अटल है तो आपका कोई बाल बांका भी नहीं कर सकता है। यही ईश्वर की महिमा। Ghushmeshwar 12 jyotirlinga Maharashtra
साथियों अब मैं अपनी लेखनी को यहीं विराम देता हूँ अगर आप लोगों के मन में कोई प्रश्न हो तो जरूर कमेंट के जरिये पूछें और अपने विचार शेयर करें। धन्यवाद! Ghushmeshwar 12 jyotirlinga Maharashtra
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